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निगम चुनाव : युवाओं के भरोसे पार्टियां, भाजपा ने कहा-60 से ऊपर वालों को टिकट नहीं - निगम चुनाव

गुजरात में छह नगर निगमों में इस महीने के आखिर में चुनाव होने हैं. चुनाव को लेकर सभी पार्टियों ने कमर कस ली है. वहीं टिकट पाने को लेकर घमासान मचा हुआ है. कांग्रेस, आप में युवाओं को आजमाने पर जोर है, वहीं भाजपा ने भी साफ कहा है कि 60 साल से ऊपर वालों को टिकट नहीं दिया जाएगा.

गुजरात निगम चुनाव
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Published : Feb 3, 2021, 8:32 PM IST

अहमदाबाद : गुजरात में छह नगर निगमों में होने वाले चुनाव से पहले भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल के बयान ने टिकट पाने की उम्मीद रखने वालों की बेचैनी बढ़ा दी है. दरअसल पाटिल ने कहा कि 60 साल से ऊपर के उम्मीदवार और जो लगातार तीन बार जीते हैं, उन्हें टिकट नहीं दिया जाएगा. साथ ही बीजेपी नेताओं के परिजनों और बच्चों को टिकट नहीं दिए जाने का ऐलान किया है. इससे वरिष्ठ नेताओं के भविष्य पर सवालिया निशान लग गया है.

कई वरिष्ठ नेताओं के राजनीतिक करियर पर विराम लगता दिख रहा है. दिलचस्प बात ये है कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष जिन्होंने 60 साल वाला बयान दिया है वह खुद 65 साल के हैं. साथ ही एक सांसद के रूप में उनके तीन कार्यकाल हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि ये उम्रदराज नेता जिनको टिकट नहीं मिलेगा, क्या ये तब भी पार्टी के लिए काम करते रहेंगे या कांग्रेस और अन्य पार्टियों का रुख करेंगे?

अहमदाबाद में 23 से ज्यादा नगरसेवक 60 साल से ऊपर

अहमदाबाद की बात करें तो 23 से अधिक नगरसेवक 60 वर्ष से अधिक उम्र के हैं. ये सभी नेता वरिष्ठ हैं जो काफी समय से भाजपा से जुड़े रहे हैं. दूसरी ओर जिन लोगों ने पांच बार जीत दर्ज की है उनमें वासना से अमित शाह, खड़िया से कृष्णवदन ब्रह्मभट्ट और मयूर दवे शामिल हैं.

जो चार बार जीते हैं उनमें सरदारनगर से बिपिन सिक्का, नारनपुरा से गौतम शाह, बैजपुर से दिनेश मकवाना, खोखरा से महेंद्र पटेल, शालीनगर से प्रवीण पटेल, असरवा से बिपिन पटेल और वस्त्राल से मधुबेन पटेल हैं. 11 नेता ऐसे हैं जो तीन से ज्यादा बार जीते हैं. ऐसे में इन सभी को इस चुनाव में टिकट नहीं मिलने वाला है.

एएमसी के 33 नगरसेवकों में तीन पूर्व महापौर, पूर्व उप महापौर और पूर्व स्थायी समिति अध्यक्ष शामिल हैं जिन्हें टिकट नहीं मिलता दिख रहा है. साथ ही, 15 महिला नगरसेवक हैं जिन्हें टिकट नहीं मिलेगा.

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भावनगर से आप और कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों की सूची घोषित की थी. दोनों दलों ने वरिष्ठ नागरिकों से परहेज किया और महिलाओं और युवाओं को अवसर दिया. शायद भाजपा पर भी युवाओं को आगे बढ़ाने का दबाव है.

'बेटों' को भी टिकट मिलना मुश्किल

तीन वरिष्ठ नेता अपने बेटों के लिए टिकट चाहते हैं. पूर्व विधायक अशोक भट्ट के बेटे भूषण भट्ट अपने पुत्र को लिए टिकट चाहते हैं. इसी तरह अहमदाबाद महानगर पालिका (एएमसी) के नेता शाह ने अपने बेटे के लिए टिकट मांगा है. तुलसी डाभी भी बेटे के लिए टिकट के लिए पैरवी कर रही हैं.

युवाओं और शिक्षितों को मौका दे रही पार्टियां

सूरत नगर निगम (एसएमसी) में पार्टियों के बीच रस्साकशी तेज होने वाली है. आप ने इस बार ज्यादातर शिक्षित उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. 72 उम्मीदवारों की
उसकी पहली सूची में 80% के पास स्नातक की डिग्री है. पाटीदार समुदाय से भी उम्मीदवारों का चयन किया है. एनसीपी की सूची में 20 उम्मीदवार शामिल हैं, जिनमें से केवल छह 40 वर्ष से अधिक आयु के हैं. राकांपा ने अल्पसंख्यक समुदाय बहुल क्षेत्रों के उम्मीदवारों का चयन किया है.

क्या विधानसभा चुनाव में भी लागू होगा नियम?

अगर पाटिल द्वारा निर्धारित ये नियम 2022 के विधानसभा चुनावों में लागू हुआ तो कई वरिष्ठ विधायकों का करियर भी दांव पर लगेगा, जिन्होंने पार्टी के लिए काफी समय तक संघर्ष किया है.

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