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सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए पीपीपी मॉडल जरूरी

सड़क परिवहन, राजमार्ग और एमएसएमई मंत्री ने कहा कि अब समय आ गया है कि हमें परिवहन में पीपीपी (सार्वजनिक निजी भागीदारी) मॉडल की तरफ जाना चाहिए. हम निजी सलाहकार के रूप में एक अच्छी प्रतिष्ठित कंपनी की नियुक्ति करेंगे. इसका काम विशेष रूप से राज्य, नगर निगम और राष्ट्रीय राजमार्ग स्तर पर इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम (आईटीएस) को पीपीपी मॉडल में बनाने पर अध्ययन करना होगा.

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नितिन गडकरी

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Published : Sep 8, 2020, 7:33 PM IST

नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को कहा कि सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए यातायात प्रणाली में सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल पर एक नीति की आवश्यकता है. मॉडल को बनाने के लिए जल्द एक निजी सलाहकार नियुक्त किया जाएगा. मोटर वाहन संशोधन अधिनियम 2019 के कार्यान्वयन के बाद सड़क दुर्घटनाओं और संबंधित मौतों में कमी आई है. भारत औसतन प्रतिवर्ष लगभग पांच लाख सड़क दुर्घटनाओं का गवाह बनता है. इसमें लगभग 1.5 लाख लोग मारे जाते हैं और लगभग 3 लाख अपंग हो जाते हैं.

निजी सलाहकार के रूप में एक अच्छी प्रतिष्ठित कंपनी की नियुक्ति करेंगे
सड़क परिवहन, राजमार्ग और एमएसएमई मंत्री ने कहा कि अब समय आ गया है कि हमें परिवहन में पीपीपी (सार्वजनिक निजी भागीदारी) मॉडल की तरफ जाना चाहिए. हम निजी सलाहकार के रूप में एक अच्छी प्रतिष्ठित कंपनी की नियुक्ति करेंगे. इसका काम विशेष रूप से राज्य, नगर निगम और राष्ट्रीय राजमार्ग स्तर पर इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम (आईटीएस) को पीपीपी मॉडल में बनाने पर अध्ययन करना होगा. मंत्री ने गैर-लाभकारी निकाय उपभोक्ता आवाज द्वारा आयोजित सड़क सुरक्षा पर एक वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा कि इस संबंध में जल्द ही एक निविदा जारी की जाएगी. एक आईटीएस में केंद्रीकृत नियंत्रण केंद्र, बंद टोलिंग सिस्टम शामिल हैं, जिसमें सीसीटीवी, मौसम की निगरानी, ​​उन्नत संचार प्रणाली, यातायात प्रबंधन आदि अन्य डिजिटल सेवाएं यातायात को सुव्यवस्थित करने के घटक के रूप में शामिल होंगी.

वर्ष 2025 तक सड़क दुर्घटनाओं में 50 प्रतिशत की कमी आएगी
मंत्री ने यह विश्वास भी व्यक्त किया कि वर्ष 2030 के लक्ष्य के मुकाबले वर्ष 2025 तक सड़क दुर्घटनाओं और संबंधित 1.5 लाख मौतों में 50 प्रतिशत की कमी आएगी. हम विशेष रूप से सभी हितधारकों के सहयोग से लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए फास्ट ट्रैक मोड पर काम कर रहे हैं. मंत्री ने कहा कि उन्होंने सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए बहुत सारी पहल की है. खासकर खराब सड़क डिजाइनिंग या अन्य सड़क इंजीनियरिंग के संबंध में. इसके कारण दुर्घटनाओं की संख्या में कमी आई है. उन्होंने कहा कि विश्व बैंक और एडीबी राष्ट्रीय राजमार्गों से काले धब्बे (ब्लैक स्पाॅट) हटाने के लिए 7,000 करोड़ रुपये प्रदान कर रही है. गडकरी ने कहा कि हमने पहले ही राष्ट्रीय राजमार्गों पर काले धब्बों की पहचान कर ली है. भारत पहले ही 20,000 करोड़ रुपये खर्च कर चुका है. उन्होंने विश्व बैंक की सहायता से एक परियोजना को लागू करके तमिलनाडु सरकार की 25 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के प्रयासों की सराहना की.

काले धब्बे की पहचान करने में मदद करें
विभिन्न हितधारकों की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करते हुए उन्होंने कहा कि हमें सभी हितधारकों विशेषकर विश्वविद्यालयों, शैक्षणिक संस्थानों, गैर सरकारी संगठनों, राज्य सरकारों आदि के सहयोग की आवश्यकता है. गडकरी ने संसद सदस्यों से भी आह्वान किया कि काले धब्बे की पहचान करने में मदद करें. उन्होंने कहा कि राज्य और नगरपालिकाओं को सड़कों पर काले धब्बों की पहचान करने की आवश्यकता है. कोरोना पर उन्होंने कहा कि हम आर्थिक रूप से बहुत तनाव की स्थिति में हैं. राज्य सरकारें और केंद्र सरकार वित्तीय बाधाओं का सामना कर रही हैं. भारत जल्द इस संकट को दूर करेगा. उन्होंने कहा कि एमवी अधिनियम ने सड़क दुर्घटनाओं को कम कर दिया है. साथ ही सभी राज्यों से सही भावना में अधिनियम के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने का आग्रह किया है.

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