नई दिल्ली :प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोसी रेल मेगा ब्रिज को राष्ट्र को समर्पित किया और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बिहार में नई रेल लाइनों और विद्युतीकरण परियोजनाओं का उद्घाटन किया. प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से जारी एक बयान में कहा गया कि वीडियो कॉन्फ्रेंस से होने वाले कोसी रेल महासेतु का उद्घाटन बिहार के इतिहास में एक ऐतिहासिक क्षण है, क्योंकि यह महासेतु इस क्षेत्र को पूर्वोत्तर भारत के राज्यों से जोड़ेगा.
प्रधानमंत्री ने बिहार की 12 रेल परियोजनाओं का किया लोकार्पण
पिछले कुछ दिनों में प्रधानमंत्री ने बिहार में दर्जनभर से अधिक परियोजनाओं की सौगात दी है. बिहार में अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा के चुनाव होने हैं. निर्वाचन आयोग कभी भी राज्य में चुनाव की घोषणा कर सकता है. सूत्रों के मुताबिक अभी तक मोदी ने जिन परियोजनाओं का उद्घाटन या शिलान्यास किया है, उनकी लागत लगभग 16,000 करोड़ रुपये होगी.
मोदी (डिजाइन इमेज)
उद्घाटन के बाद प्रधानमंत्री के संबोधन के कुछ अहम अंश :
- पीएम ने कहा कि मास्क जरूर पहनें, दो गज की दूरी का हमेशा ध्यान रखें. भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें. अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता, अपनी इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए, काढ़ा पीते रहें, गुनगुना पानी पीते रहें. आप सतर्क रहिए, सुरक्षित रहिए, स्वस्थ रहिए.
- प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज आज बिहार में रेल कनेक्टिविटी के क्षेत्र में नया इतिहास रचा गया है. कोसी महासेतु और किउल ब्रिज के साथ ही बिहार में रेल यातायात, रेलवे के बिजलीकरण, रेलवे में मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने, नए रोजगार पैदा करने वाले एक दर्जन प्रोजेक्ट्स का आज लोकार्पण और शुभारंभ हुआ है.
- बिहार के लोग तो भली-भांति जानते हैं कि वर्तमान में निर्मली से सरांयगढ़ का सफर करीब-करीब 300 किमी का होता है. अब वह दिन ज्यादा दूर नहीं जब बिहार के लोगों को 300 किमी की ये यात्रा नहीं करनी पड़ेगी. 300 किमी की ये यात्रा सिर्फ 22 किमी में सिमट जाएगी.
- आज कोसी महासेतु होते हुए सुपौल-आसनपुर कुपहा के बीच ट्रेन सेवा शुरू होने से सुपौल, अररिया और सहरसा जिले के लोगों को बहुत लाभ होगा. यही नहीं, इससे नॉर्थ ईस्ट के साथियों के लिए एक वैकल्पिक रेलमार्ग भी उपलब्ध हो जाएगा.
- करीब साढ़े आठ दशक पहले भूकंप की एक भीषण आपदा ने मिथिला और कोसी क्षेत्र को अलग-थलग कर दिया था. आज यह संयोग ही है कि कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के बीच इन दोनों आंचलों को आपस में जोड़ा जा रहा है.
- चार वर्ष पहले उत्तर और दक्षिण बिहार को जोड़ने वाले दो महासेतु, एक पटना में और दूसरा मुंगेर में शुरू किए गए थे. इन दोनों रेल पुलों के चालू हो जाने से उत्तर बिहार और दक्षिण बिहार के बीच लोगों का आना-जाना और आसान हुआ है.
- बिहार में गंगाजी, कोसी, सोन नदियों के विस्तार के कारण, बिहार के अनेक हिस्से एक दूसरे के कटे रहे हैं. नदियों के फैलाव वजह से होने वाला लंबा सफर बिहार के लोगों की एक समस्या रहा है. बिहार की इस बड़ी समस्या के समाधान के साथ हम आगे बढ़ रहे हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गिनाईं रेलवे की उपलब्धियां
- प्रधानमंत्री ने कहा कि नीतीश जी की सरकार बनने से पहले तक बिहार में इक्का-दुक्का मेडिकल कॉलेज हुआ करते थे. आज बिहार में 15 से ज्यादा मेडिकल कॉलेज हैं, जिसमें से अनेक बीते कुछ वर्षों में ही बनाए गए हैं. कुछ दिन पहले ही बिहार में एक नए AIIMS की भी स्वीकृति दे दी गई है.
- जिस तरह से कोरोना के समय में रेलवे ने काम किया है, काम कर रही है, उसके लिए मैं भारतीय रेल के लाखों कर्मचारियों की विशेष प्रशंसा करता हूं. देश के लाखों श्रमिकों को श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के माध्यम से सुरक्षित घर पहुंचाने के लिए रेलवे ने दिन-रात एक कर दिया था.
- 2014 के पहले के पांच साल में बिहार में सिर्फ सवा तीन सौ किलोमीटर नई रेल लाइन शुरू थी, जबकि 2014 के बाद के 5 साल में बिहार में लगभग 700 किलोमीटर रेल लाइन कमीशन हो चुकी हैं.यानी करीब दोगुने से अधिक नई रेल लाइन शुरू हुई हैं.
- बिहार में जिस तरह की परिस्थितियां रहीं हैं, उसमें रेलवे लोगों के आने-जाने का बहुत बड़ा साधन रही है. ऐसे में बिहार में रेलवे की स्थिति को सुधारना केंद्र सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक रहा है.
- रेलवे के आधुनिकीकरण का लाभ बिहार और पूर्वी भारत को मिल रहा है. मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए मधेपुरा में इलेक्ट्रिक लोको फैक्ट्री और मढ़ौरा में डीजल लोको फैक्ट्री स्थापित की गई हैं. इन परियोजनाओं से बिहार में लगभग 44 हजार करोड़ रुपये का निवेश हुआ है.
- बीते 6 साल से भारतीय रेल को नए भारत की आकांक्षाओं और आत्मनिर्भर भारत की अपेक्षाओं के अनुरूप ढालने का प्रयास किया जा रहा है. आज भारतीय रेल, पहले से कहीं अधिक स्वच्छ है.
- आज भारतीय रेल के ब्रॉडगेज रेल नेटवर्क को मानवरहित फाटकों से मुक्त कर, पहले से कहीं अधिक सुरक्षित बनाया जा चुका है. आज आत्मनिर्भरता और आधुनिकता की प्रतीक, वंदे भारत जैसी भारत में बनी ट्रेनें रेल नेटवर्क का हिस्सा होती जा रही हैं.
Last Updated : Sep 18, 2020, 4:31 PM IST