नई दिल्ली: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव की पृष्ठभूमि में गुरुवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पूरा ध्यान अपनी छवि बनाने पर केंद्रित है और कोई दृष्टिकोण नहीं होने के कारण ही चीन ने घुसपैठ की. उन्होंने यह भी कहा कि वैश्विक दृष्टकोण और विचार से ही देश की रक्षा की जा सकती है.
उन्होंने कहा, 'सवाल यह है कि भारत को चीन से कैसे निपटना चाहिए. यदि आप उनसे निपटने के लिए मजबूत स्थिति में है तभी आप काम कर पाएंगे, उनसे वो हासिल कर पाएंगे, जो आपको चाहिए. यह सचमुच किया जा सकता है. लेकिन यदि उन्होंने कमजोरी पकड़ ली तो फिर गड़बड़ है.'
कांग्रेस नेता के मुताबिक, आप बगैर किसी स्पष्ट दृष्टिकोण के चीन से नहीं निपट सकते और मैं केवल राष्ट्रीय दृष्टिकोण की बात नहीं कर रहा, मेरा मतलब अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण से है. बेल्ट एंड रोड, यह धरती की प्रकृति को ही बदलने का प्रयास है.
उन्होंने कहा, 'भारत को वैश्विक दृष्टिकोण अपनाना ही होगा. भारत को अब एक 'विचार' बनना होगा और वह भी 'वैश्विक विचार. दरअसल बड़े स्तर पर सोचने से ही भारत की रक्षा की जा सकती है.'
राहुल गांधी का तीसरा वीडियो. राहुल गांधी ने इस बात पर जोर दिया, 'जाहिर सी बात है कि सीमा विवाद भी है और हमें इसका समाधान भी करना है, लेकिन हमें अपना तरीका बदलना होगा, हमें अपनी सोच बदलनी होगी. इस जगह हम दोराहे पर खड़े हैं, अगर हम एक तरफ जाते हैं तो हम बड़ी भूमिका में आएंगे और अगर दूसरी तरफ चले गए तो हम अप्रासंगिक हो जाएंगे.'
उन्होंने दावा किया, 'मैं चिंतित हूं क्योंकि मैं देख रहा हूं कि एक बड़ा अवसर गंवाया जा रहा है। हम दूर की नहीं सोच रहे, हम बड़े स्तर पर नहीं सोच रहे और क्योंकि हम अपना आंतरिक संतुलन बिगाड़ रहे हैं. हम आपस में लड़ रहे हैं. जरा राजनीति की तरफ देखिए दिनभर, सारा दिन भारतीय आपस में लड़ रहे हैं और इसका कारण है- आगे बढ़ने के लिए किसी स्पष्ट दृष्टिकोण का नहीं होना.'
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, 'मैं जानता हूं कि प्रधानमंत्री प्रतिद्वंदी हैं. मेरी जिम्मेदारी उनसे प्रश्न पूछने की है. मेरा दायित्व है कि मैं प्रश्न पूछूं, दबाव डालूं ताकि वो काम करें. उनकी जिम्मेदारी है कि वो दृष्टिकोण दें, जो कि नहीं हो रहा है. मैं दावे से कहता हूं कि दृष्टिकोण नहीं है और इसलिए ही आज चीन भारत भूमि पर घुसा है.'
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राहुल ने कहा कि हम दो राहे पर खड़े हैं. एक तरफ हम जाएंगे तो कामयाबी मिलेगी और दूसरी तरफ जाएंगे तो अप्रासंगिक हो जाएंगे इसलिए मैं चिंतित हुं क्योकिं एक बड़े अवसर को गंवाया जा रहा है, क्योंकि हम दूर की नहीं सोच रहे हैं और हम आंतरिक संतुलन को बिगाड़ रहे हैं. राजनीति में देख लीजिए, पूरे दिन भारतीय आपस में लड़ रहे हैं.