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राम मंदिर : ओवैसी के खिलाफ अवमानना कार्रवाई के लिए न्यायालय में याचिका - वीरेश शांडिल्य ने दायर की याचिका

शीर्ष अदालत को कथित रूप से बदनाम करने और उस पर आक्षेप लगाने के कारण एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ अवमानना कार्रवाई के लिए को एक याचिका दायर की गई. याचिका में कहा गया है कि ओवैसी ने अयोध्या में इस सप्ताह भूमि पूजन से पहले एक समाचार चैनल पर शीर्ष अदालत की शुचिता और विवेक के बारे में कथित रूप से बदनाम करने वाले बयान दिए.

असदुद्दीन ओवैसी
असदुद्दीन ओवैसी

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Published : Aug 7, 2020, 7:55 PM IST

Updated : Aug 7, 2020, 10:25 PM IST

नई दिल्ली : अयोध्या प्रकरण में उच्चतम न्यायालय के फैसले को लेकर शीर्ष अदालत को कथित रूप से बदनाम करने और उस पर आक्षेप लगाने के कारण एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ अवमानना कार्रवाई के लिए शुक्रवार को एक याचिका दायर की गयी.

न्यायालय की अवमानना याचिका अधिवक्ता और एंटी टेररिस्ट फ्रंट इंडिया के अध्यक्ष वीरेश शांडिल्य ने दायर की है. याचिका में कहा गया है कि ओवैसी ने अयोध्या में इस सप्ताह भूमि पूजन से पहले एक समाचार चैनल पर शीर्ष अदालत की शुचिता और विवेक के बारे में कथित रूप से बदनाम करने वाले बयान दिए.

याचिका में कहा गया है, 'राम मंदिर का विवाद इस न्यायालय मे काफी लंबे समय से लंबित था और फैसला सुनाए जाने के बाद से अवमाननाकर्ता करोड़ों हिन्दुओं की आस्था और भावनाओं को ध्यान में रखे बगैर ही इस विवाद के बारे में मिथ्यापूर्ण गलत बयान दे रहा है. इस तरह के बयान देकर अवमाननाकर्ता मुस्लिम समुदाय को उकसाने का प्रयास कर रहा है.'

याचिका मे दलील दी गयी है कि 30 जुलाइ को ओवैसी के बयान ने भगवान राम में आस्था रखने वाले करोड़ों भारतीयों की धार्मिक भावनाओं को आहत किया है.

यह भी पढ़ें-राम मंदिर शिलान्यास: ओवैसी ने कहा- बाबरी मस्जिद थी, है और रहेगी

याचिका में कहा गया है, 'राष्ट्रीय टेलीविजन पर इस तरह का बयान देकर अवमाननाकर्ता से शीष अदालत के प्रति अनादर दर्शाया है और उसने यह भी दिखाया है कि भारतीय न्याय व्यवस्था के प्रति उसकी कोई आस्था नहीं है.'

याचिका में कहा गया है कि आवेदक उच्चतम न्यायलाय की क्षमता और चरित्र पर मानहानिकारक अनावशयक आक्षेप लगाकर उसे बदनाम करने के कारण कथित अवमाननाकर्ता के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू करने का अनुरोध करता है.

शीर्ष अदालत ने पिछले साल नौ नवंबर को अपना फैसला सुनाते हुए अयोध्या में एक न्यास द्वारा राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर दिया था. न्यायालय ने इसके साथ ही अयोध्या में ही प्रमुख स्थान पर सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद निर्माण के लिए पांच एकड़ भूमि आबंटित करने का निर्देश भी केन्द्र को दिया था.

Last Updated : Aug 7, 2020, 10:25 PM IST

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