नई दिल्ली : भारतीय वायुसेना में राफेल के आने से सेना की युद्धक शक्ति में बढ़ोतरी हुई है. फ्रांस से उड़ान भरने के बाद पांच लड़ाकू विमान भारतीय जमीन में पहुंचे. हरियाणा के अंबाला एयरबेस पर यह विमान लैंड हुए. यहां इन विमानों को वॉटर सेल्यूट दिया गया. बात अगर राफेल के पायलटों की करें, तो उन्हें उड़ाने के लिए बहुत ही अनुभवी पायलटों का चयन किया गया था. इन पायलटों के ग्रुप का नेतृत्व हरकीरत सिंह ने किया. इस ग्रुप में राजस्थान के अभिषेक त्रिपाठी, हरियाणा के रोहित कटारिया, बिहार के विंग कमांडर अरुण, जम्मू-कश्मीर के हिलाल अहमद राथर भी शामिल रहे.
जानिए राफेल को देश की सरजमीं पर उतारने वाले जांबाजों के विषय में
भारतीय वायुसेना की शक्ति आज और भी ज्यादा बढ़ गई है. वायुसेना के सबसे विशाल पहरेदार राफेल अंबाला एयरबेस पर लैंड हुए. फ्रांस से उड़ान भरने के बाद पांचों राफेल लड़ाकू विमानों की अंबाला एयरबेस पर लैंडिंग हुई. इन जेट को उड़ाने के लिए बहुत ही अनुभवी पायलटों का चयन किया गया था. इन पायलटों के ग्रुप का नेतृत्व हरकीरत सिंह ने किया. इस ग्रुप में हरिकीरत के अलावा राजस्थान के अभिषेक त्रिपाठी, हरियाणा के रोहित कटारिया, बिहार के विंग कमांडर अरुण, जम्मू-कश्मीर के हिलाल अहमद राथर शामिल रहे.
भारतीय वायुसेना मे राफेल
आइए जानते हैं राफेल के इन जांबाजों के बारे में-
- हरकीरत सिंह
फ्रांस से भारत पहुंचे पांच राफेल लड़ाकू विमान बुधवार को अंबाला एयरबेस पर पहुंचे. राफेल स्क्वाड्रन के पहले कमांडिंग ऑफिसर ग्रुप कैप्टन हरकीरत सिंह थे. आपको बता दें हरकीरत सिंह मिग और सुखोई भी उड़ा चुके हैं. - अभिषेक त्रिपाठी (राजस्थान)
राफेल विमान विंग कमांडर अभिषेक त्रिपाठी भी उड़ाकर लाए. जानकारी के अनुसार जालोर शहर के ब्रह्मपुरी क्षेत्र में रहने वाले अनिल त्रिपाठी के घर नौ जनवरी 1984 को जन्मे अभिषेक त्रिपाठी का पूरा बचपन जालोर में बीता है. अभिषेक के पिता अनिल कुमार त्रिपाठी भूमि विकास बैंक में और माता मंजू त्रिपाठी सेल टैक्स विभाग में कार्यरत थीं. ऐसे में अभिषेक का बचपन जालोर के गुर्जरों का बास राजेंद्र नगर में बीता. पढ़ाई की शुरुआत जालोर शहर से हुई. दसवीं कक्षा तक का अध्ययन इमानुएल सेकंडरी विद्यालय में किया. इसके बाद वे जालोर से बाहर जयपुर चले गए. उन्होंने 11वीं और 12वीं मानसरोवर स्थित सीडलिंग पब्लिक स्कूल से अच्छे अंकों से उत्तीर्ण किया. इसके बाद उच्च शिक्षा के साथ उन्होंने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी दिल्ली से एमएससी किया. - रोहित कटारिया (हरियाणा)
राफेल उड़ाकर लाने वाले विंग कमांडरों में एक हरियाणा के रोहित कटारिया भी हैं. पायलट रोहित कटारिया के पिता भी आर्मी से रिटायर्ड कर्नल हैं. वहीं रोहित के घर से कई लोग आर्मी में है. बचपन के सात से आठ साल रोहित ने गुरुग्राम के बसई गांव में गुजारे. पिता के आर्मी में होने के कारण जहां-जहां पिता की पोस्टिंग होती गई. वहां-वहां रोहित जाते रहे. रोहित ने अपने जज्बे को कायम रखा और एनडीए में रोहित का सिलेक्शन हुआ और फिर देहरादून आईएमए से ट्रेनिंग लेकर रोहित एयरफोर्स में शामिल हो गए. रोहित कटारिया ने फ्रांस जाकर राफेल की ट्रेनिंग ली थी. पांच लड़ाकू विमानों के इस बेड़े ने सोमवार को फ्रांसीसी बंदरगाह शहर बोरदु के मेरिग्नैक एयरबेस से उड़ान भरी थी. यह विमान लगभग 7,000 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद बुधवार तीन बजे अंबाला एयरबेस पहुंचें. उड़ान भरने के बाद राफेल विमान सिर्फ एक जगह संयुक्त अरब अमीरात में रुके, जहां से बुधवार को सुबह ग्यारह बजे के करीब टेक ऑफ किया गया. इनमें से एक विमान की कमान रोहित के हाथ में थी. - विंग कमांडर अरुण (बिहार)
फाइटर जेट राफेल उड़ाने के लिए भारत के सैन्य स्कूलों से चयनित कमांडरों में विजयापुर मिलिट्री स्कूल से भी एक छात्र अरुण कुमार को पायलट के रूप में चुना गया. बता दें अरुण कुमार मूल रूप से बिहार के हैं. भारतीय वायु सेना के विंग कमांडर अरुण कुमार को यह सुनहरा अवसर मिला है. यह गर्व की बात है कि 35 साल के अरुण कुमार विजयपुरा मिलिट्री स्कूल के छात्र थे. अरुण कुमार विजयपुरा मिलिट्री स्कूल में 1995 से 2001 बैच के छात्र थे. उन्होंने जनवरी 2002 में एनडीए (नेशनल डिफेंस एकेडमी) ज्वॉइन की थी. अरुण कुमार के पिता एन. प्रसाद भी वायु सेना में वारंट ऑफिसर के रूप में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. अरुण कुमार विजयपुरा सैन्य स्कूल में प्रशिक्षण के दौरान काफी सक्रिय रहते थे. वह वहां सबके प्यारे दोस्तों में से एक थे. इसलिए सभी शिक्षक और छात्र उनकी उपलब्धि को लेकर उत्साहित हैं. - हिलाल अहमद राथर (जम्मू-कश्मीर)
हिलाल अहमद राथर जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के बक्शी आबाद के रहने वाले हैं. आर्थर फिलहाल एयर अटैच पोस्ट पर सर्विस दे रहे हैं. 17 दिसंबर 1988 में इन्हें फ्लाइंग ब्रांच में फाइटर पायलट का कमीशन दिया गया था. 1993 में यह फ्लाइट लेफ्टिनेंट बने. वह 2004 में विंग कमांडर बने. 2010 में उन्हें ग्रुप कैप्टन पद के लिए प्रोन्नति मिली. 2016 में एयर कमांडर बनाए गए. अगर राथर की शिक्षा की बात करें, तो यह डिफेंस सर्विस स्टाफ कॉलेज (डीएसएससी) से पासआउट हुए हैं. राथर फ्रंट लाइन एयर फोर्स बेस कमांडर भी रह चुके हैं. नगरौटा के सैनिक स्कूल से आगे की बढ़ाई करने के बाद अमेरिका से शिक्षा ग्रहण की.