चेन्नई : महामारी में गरीब दोहरी मार झेल रहा है. एक तो उनके पास पैसा नहीं है और दूसरी तरफ राज्य सरकार जो सहायता लोगों को दे रही है वह पर्याप्त नहीं है. तमिलनाडु के टी मीनाक्षीपुरम के ग्रामीणों को लगता है कि सरकार उनकी आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम नहीं है. इसलिए यहां के रहने वाले लोग, मंदिर के पैसों का इस्तेमाल पेट की भूख मिटाने के लिए कर रहे हैं. एक व्यक्ति को शिकायत है कि सरकार जो चावल उन्हें राहत के तौर पर दे रही है वह खाने योग्य ही नहीं है.
कोरोना महामारी ने लोगों की दिनचर्या को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है. शहरी लोगों के पास खुद की सेविंग (बचत) है. हालांकि लॉकडाउन ने उन्हें भी प्रभावित किया है. लेकिन उनकी स्थिति ग्रामिण लोगों से अच्छी है. क्योंकि शहरी व्यक्ति अपने बचाए पैसों का इस्तेमाल महामारी जैसे बुरे वक्त में कर रहे हैं.
सरकार राहत के तौर पर 1000 रूपये गरीबों को प्रदान कर रही है. लेकिन इन लोगों का कहना है कि यहा राशि पर्याप्त नहीं है. इस वित्तीय सहायता से उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं हो रही है.तमिलनाडु के टी मीनाक्षीपुरम के ग्रामीणों को लगता है कि सरकार उनकी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम नहीं है.
इसलिए उन्होंने अपनी आजीविका को बचाने के लिए सर्वसम्मति से अपने मंदिर उत्सव के फंड को वितरित करने का फैसला किया है. टी मीनाक्षीपुरम दूसरे गांवों के लिए अब आदर्श बन गया है. यहां मंदिर निधि का उपयोग राहत कोष के तौर पर किया जा रहा है.
यह गांव थिरुमानिक्कम पंचायत में स्थित है जो सैदापट्टी संघ का एक हिस्सा है और मदुरै से लगभग 50 किलोमीटर दूर है.हालांकि, बुनियादी सुविधाओं के संबंध में यह सबसे पिछड़ा गांव है. इसके बावजूद, लोग जातिगत भेदभाव को त्याग कर सब मिलजुल कर रहते हैं.
इस गांव में एक अलिखित नियम है कि, जातिवाद का पालन करने वालों के लिए यहां कोई स्थान नहीं है.इस गांव में तीन मंदिर हैं, अय्यरार मंदिर, मुथलम्मन मंदिर और कालिम्मन मंदिर.हालांकि ये तीनों मंदिर अलग-अलग समुदायों के हैं, लेकिनसभी लोग टी मीनाक्षीपुरम को एक प्रबुद्ध गांव बनाने के लिए मंदिर उत्सव मनाने के लिए एक साथ आते हैं.
हमने मंदिर के धन के आवंटन के बारे में कुछ ग्रामीणों से बात की.एक ग्रामीण ने बताया कि तीनों मंदिरों से जुड़े त्योहारों को मनाना उनकी परंपरा है. हमने सभी लोगों से उन्हें भव्य तरीके से मनाने के लिए धन एकत्रित करत हैं. पलराज नाम के ग्रामीण ने बताया कि, वर्तमान में कोरोना वायरस के संक्रमण के परिणाम स्वरूप सरकार ने पूरे देश में लॉकडाउन लागू कर दिया है.
इससे लोगों की आजीविका बुरी तरह प्रभावित हुई है. इसलिए हमने उत्सव मनाने के बजाय भूख को प्राथिमिकता दी है.