लखनऊ : भारत और चीनी सेनाओं के बीच हिंसक झड़प ने एक नए विवाद को जन्म दे दिया है. पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 20 भारतीय जवानों के शहीद होने के बाद देश में कई जगहों पर चीन के विरुद्ध प्रदर्शन हुए. प्रदर्शन कर रहे लोग ने चीन से संबंध तोड़ने के साथ बदला लेने की मांग की.
यूपी के बलरामपुर से सटे भारत-नेपाल सीमा स्थित गांव जरवावासियों में भी चीन की इस हरकत पर रोष व्याप्त है. ग्रामीणों ने बताया कि चीन के कायरतापूर्ण हरकत से सभी आहत हैं. देश के वीर जवानों की शहादत पर लोगों में बेहद गुस्सा है.
भारत-नेपाल सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई गई
बलरामपुर जनपद से 82.5 किमी की दूरी पर नेपाल राष्ट्र की सीमा लगती है. सीमा पर रखवाली के लिए जिले में सुरक्षाबलों की 50वीं बटालियन और 9वीं बटालियन मुस्तैद है. इसके साथ ही सभी सीमावर्ती थानों पर विशेष सतर्कता बरती जा रही है. इन सीमाओं की सुरक्षा के लिए सीमा सुरक्षा बल के 50वीं बटालियन की 12 चौकियां हैं. वहीं 9वीं बटालियन की 7 चौकियां स्थापित हैं. इसके अलावा जनपद में हरैया सतघरवा, तुलसीपुर, गैसड़ी, पचपेड़वा जैसे बॉर्डर इलाके से सटे थानों पर भी सतर्कता बरतते हुए कॉम्बिंग की जा रही है. साथ ही क्षेत्र में लगातार जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं. यहां पुलिस विभाग, नेपाल पुलिस व सीमा सुरक्षा बल, नेपाली सशस्त्र प्रहरी के साथ मिलकर काम करते हैं.
चीन के खिलाफ गांववालों में है नाराजगी
नेपाल-भारत के संबंधों को लेकर ग्रामीण सूरज सिंह ने बताया कि भारत-नेपाल का रोटी-बेटी का संबंध रहा है. ये रिश्ता अभी तक कायम है. उसमें कोई भी खटास नहीं आई है. अगर चीन नेपाल के रास्ते भारत पर हमला करने की हिमाकत करता है, तो बॉर्डर पर तैनात हमारे सुरक्षा बल (एसएसबी जवान) चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार हैं. उन्होंने यह भी कहा कि भारत में कभी भी सेना की कमी महसूस हुई, तो हमारे युवा क्षेत्रवासी भारतीय सेना में शामिल होकर चीन से जंग लड़ेंगे.
पीठ में छुरा घोंपने की पुरानी आदत