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दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता संशोधन विधेयक को संसद से मंजूरी - rajya sabha

संसद के उच्च सदन में दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता दूसरा (संशोधन) विधेयक 2020 को मंजूरी मिल गई. इस विधेयक को लोकसभा में पिछले सप्ताह मंजूरी मिल गई थी. दोनों सदनों में इस विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी प्रदान की गई. पढ़ें पूरी खबर...

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

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Published : Mar 12, 2020, 6:08 PM IST

नई दिल्ली : दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता दूसरा (संशोधन) विधेयक 2020 को गुरुवार को राज्यसभा से भी मंजूरी मिल गई. लोकसभा से इस विधेयक को पिछले सप्ताह शुक्रवार को ही मंजूरी मिल गई थी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उच्च सदन में पेश विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए घर खरीदारों और छोटे एवं मझोले उद्योगों को हरसंभव संरक्षण प्रदान करने का आश्वासन दिया.

उच्च सदन में विधेयक पर लगभग डेढ़ घंटे तक चर्चा के बाद सदन ने इसे ध्वनिमत से मंजूरी दे दी. संसद के दोनों सदनों से इस विधेयक को मंजूरी मिलने के बाद अब यह कानून बनने पर संबंधित अध्यादेश का स्थान लेगा. इससे पहले सीतारमण ने विधेयक को चर्चा के लिये सदन पटल पर पेश करते हुए कहा कि संबंधित अध्यादेश की अवधि गुरुवार मध्यरात्रि को समाप्त हो रही है. इसके मद्देनजर उन्होंने इस विधेयक को आज ही चर्चा कर पारित करने का सदन से अनुरोध किया.

चर्चा के दौरान अधिकतकर सदस्यों ने दिवाला और शोधन संहिता (आईबीसी) में बार बार संशोधन करने पर सवाल उठाते हुए सरकार से छोटे उद्योगों के हितों का संरक्षण नहीं हो पाने पर चिंता जतायी. कांग्रेस के जयराम रमेश ने विधेयक के बारे में संसदीय समिति की सिफारिशों को सरकार द्वारा नजरंदाज किये जाने का जिक्र करते हुये कहा कि इससे कंपनियों के दिवाला होने का खतरा बढ़ेगा.

रमेस ने कहा कि इसका सीधा असर पहले से ही संकट से गुजर रहे छोटे उद्योगों पर पड़ेगा. रमेश ने कहा कि इसके बचाव का विधेयक में कोई प्रावधान नहीं है. उन्होंने आईबीसी में कंपनियों के विवादों से जुड़े लंबित मामलों का त्वरित निपटारा नहीं हो पाने पर भी चिंता जताई.

भाजपा के महेश पोद्यार ने बार के संशोधनों को उचित बताते हुए कहा कि इससे तत्काल अनुभवों के आधार पर कमियों को दुरुस्त करने का मौका मिलता है. तृणमूल कांग्रेस के मानस रंजन भुइयां ने कहा कि तीन साल में तीन बार अध्यादेश और चार बार कानून में संशोधन की जरूरत महसूस होने से इस विषय पर सरकार के अल्पज्ञान और कानून को लागू करने में कमी को उजागर करता है.

चर्चा में सपा के रविप्रकाश वर्मा, बीजद के अमर पटनायक, बसपा के सतीश चंद्र मिश्र, माकपा के के. के. रागेश, भाकपा के बिनय विस्वम, द्रमुक के पी विल्सन, वाईएसआर कांग्रेस के वी विजयसाई रेड्डी और आप के नारायण दास गुप्ता ने हिस्सा लिया. वित्त मंत्री सीतारमण ने आईबीसी के तहत लंबित मामलों के निपटारे की धीमी गति की आशंकाओं को गलत बताते हुये कहा कि राष्ट्रीय कंपनी कानून अधिकरण (एनसीएलटी) में 31 जनवरी तक कुल पेश किए गए 64523 मामलों में से 43102 का निबटारा हो गया है.

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उन्होंने विधयेक में कमियों के आरोप के जवाब में कहा कि प्रस्तावित विधेयक उच्चतम न्यायालय के निर्णय की भावना के अनुरूप बनाया गया है. उन्होंने कहा कि प्रस्तावित विधेयक के तहत घर खरीदारों के हितों के संरक्षण का भी पूरा ध्यान रखा गया है. इसी प्रकार छोटे और मंझोले उद्योगों के हितों को संरक्षित करने के पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं. इस दिशा में लघु एवं मध्यम उद्योग मामलों के मंत्रालय के साथ सामंजस्य कायम कर स्थिति को दुरुस्त किया जा रहा है.

सीतारमण ने कहा कि संशोध प्रस्ताव लागू होने के बाद अंतिम विकल्‍प वाले वित्तपोषण के संरक्षण से वित्तीय संकट का सामना कर रहे सेक्टरों में निवेश को बढ़ावा मिलेगा.उन्होंने कहा कि विधेयक में कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) शुरू करने में होने वाली गड़बड़ियों की रोकथाम के लिए व्‍यापक वित्तीय कर्जदाताओं के लिए अतिरिक्त सुविधाएं प्रदान करने की बात कही गई है . इसके माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कॉरपोरेट कर्जदार के कारोबार का आधार कमजोर न पड़े और उसका व्यवसाय निरंतर जारी रहे.

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