नई दिल्ली : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पाकिस्तान के बाद चीन भी भारत के साथ सीमा विवाद को इस तरह खड़ा कर रहा है, मानो यह किसी 'अभियान' के तहत किया जा रहा है. भारत और चीन के सैनिकों के बीच पांच महीने से ज्यादा समय से पूर्वी लद्दाख में गतिरोध जारी है.
रक्षा मंत्री ने 44 पुलों का ऑनलाइन उद्धाटन करने के बाद कहा कि भारत सीमा पर स्थिति का न केवल दृढ़ता से सामना कर रहा है, बल्कि वह सीमावर्ती इलाकों में विकास भी कर रहा है. उन्होंने कहा कि इन दोनों देशों से लगती सीमाओं पर स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है.
भारत और चीन के बीच जहां पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गतिरोध जारी है, वहीं पाकिस्तान से लगती नियंत्रण रेखा पर भी स्थिति तनावपूर्ण है क्योंकि पाकिस्तानी सेना जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों को घुसाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है.
सिंह ने कहा, 'आप हमारी उत्तरी और पूर्वी सीमाओं पर बनाई गई स्थिति से परिचित हैं. पहले पाकिस्तान और अब चीन. ऐसा लगता है कि एक अभियान के तहत सीमा विवाद पैदा किए गए हैं. इन देशों के साथ हमारी करीब 7,000 किलोमीटर लंबी सीमा है, जहां तनाव जारी है. '
सिंह लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और जम्मू-कश्मीर के रणनीतिक रूप से अहम क्षेत्रों में बनाए गए पुलों का उद्घाटन करने के बाद बोल रहे थे.
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अधिकारियों ने बताया कि इनमें से अधिकतर पुलों से लद्दाख, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश सेक्टरों में चीन से लगती सीमा पर सैनिकों की आवाजाही में काफी सुधार होने की उम्मीद है.
भारत और चीन ने सीमा पर गतिरोध का समाधान करने के लिए राजनयिक और सैन्य स्तर की कई वार्ताएं की हैं, लेकिन तनाव को कम करने को लेकर अब तक कामयाबी नहीं मिली है.
सिंह ने कहा कि कोविड-19 के चुनौतीपूर्ण समय में और सीमा पर तनाव तथा पाकिस्तान एवं चीन द्वारा बनाए गए विवाद के बावजूद, भारत न केवल उनका दृढ़ता से सामना कर रहा है, बल्कि विकास के सभी क्षेत्रों में ऐतिहासिक बदलाव ला रहा है.
रक्षा मंत्री ने अरुणाचल प्रदेश में नेचिफू सुरंग की आधारशिला रखी. इस 450 मीटर लंबी सुरंग से नेचिफू दर्रे के पार हर मौसम में संपर्क सुनिश्चित होगा.
इन पुलों में 10 जम्मू-कश्मीर में, आठ लद्दाख में, दो हिमाचल प्रदेश में, पंजाब और सिक्किम में चार-चार तथा उत्तराखंड एवं अरुणाचल प्रदेश में आठ-आठ पुल हैं.
अपने संबोधन में सिंह ने सीमावर्ती इलाकों में अवसंरचना में सुधार की उपलब्धि के लिए सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की तारीफ की और कहा कि एक बार में 44 पुलों को समर्पित करना अपने आप में एक रिकॉर्ड है.
उन्होंने कहा, 'हमारे सशस्त्र बल कर्मी उन इलाकों में बड़ी संख्या में तैनात हैं जहां साल भर परिवहन उपलब्ध नहीं रहता है.' उन्होंने रेखांकित किया कि सीमा अवसंरचना में सुधार से सशस्त्र बलों को काफी मदद मिलेगी.
सिंह ने कहा, 'ये सड़कें न केवल रणनीतिक जरूरतों के लिए हैं, बल्कि ये राष्ट्र के विकास में सभी पक्षों की समान भागीदारी को भी दर्शाती हैं.'
उन्होंने कहा कि असाधारण बर्फबारी से 60 साल का रिकॉर्ड टूट गया. इसके बावजूद सभी रणनीतिक रूप से अहम दर्रों और सड़कों को खोलने की औसत वार्षिक तारीख से लगभग एक महीने पहले उन्हें यातायात के लिए खोल दिया गया.
गौरतलब है कि चीन के साथ गतिरोध के बीच भारत ने कई अहम परियोजनाओं पर काम तेज कर दिया है. इनमें हिमाचल प्रदेश के दारचा को लद्दाख से जोड़ने वाली रणनीतिक रूप से अहम सड़क भी शामिल है.
लगभग 290 किलोमीटर लंबी सड़क सैनिकों के आवागमन और लद्दाख क्षेत्र में अग्रिम मोर्चों पर भारी अस्त्र-शस्त्र पहुंचाने के लिए बेहद महत्वपूर्ण होगी तथा करगिल क्षेत्र तक महत्वपूर्ण संपर्क उपलब्ध कराएगी.