यह एक ऐसा अधिनियम है, जो लोगों के बीच बिना किसी मतभेद के समानता और न्याय पर विश्वास प्रदान करता है. यह संकल्प अधिनियमों से भी ज्यादा बड़ा है. यह एक दृढ़ संकल्प, एक वादा, एक सुरक्षा है और सब से सर्वोपरि हमें खुद को एक बड़े उद्देश्य के लिए समर्पित करता है. ये वाक्य खुद नेहरू ने कहे थे. उन्होंने 1946 में संविधान को मंजूरी देने के लिए आयोजित एक बैठक, जिसका अभिप्राय संविधान के उद्देश्य को प्राप्त करना था, के दौरान कही थी.
जब भारतवासियों को प्रवासी शासकों द्वारा स्थापित गुलामी की बेड़ियों से मुक्त किया गया, तब कई जानकारों और बुद्धिजीवियों ने संविधान की तैयारी में मुख्य स्तंभ के रूप में समानता, स्वतंत्रता और भाईचारा सुनिश्चित करने के लिए अपने कौशल और कुशाग्रता का परिचय दिया. हमारे महान हस्तियों ने सर्वश्रेष्ठ संविधान तैयार किया, जो इस साल 70 साल पूरे करने का जश्न मना रहा है.
समानता, स्वतंत्रता और भाईचारे को फ्रांसीसी संविधान से, सोवियत संघ से पंचवर्षीय योजना, आयरलैंड से डीपीएसपी और संविधान के कामकाज को जापान से अपनाया गया है.
पढ़ें : 'प्रजातंत्र का नगीना है देश का संविधान'
मोदी सरकार ने 2015 में 26 नवंबर को अंबेडकर को उनकी 125वीं जयंती मनाने का फैसला किया. केंद्र ने संविधान की महानता का उच्चारण करने के लिए देशभर के सभी स्कूलों में साल भर के कार्यक्रम आयोजित करने का निर्देश दिया है.
जब देश संविधान की स्वर्ण जयंती समारोह में व्यस्त था, तब तत्कालीन राष्ट्रपति नारायणन ने अमूल्य टिप्पणी की थी. उन्होंने कहा था कि क्या हमारी विफलताओं का कारण संविधान है या हम इसकी विफलता का कारण बने हैं, ये विचार करने योग्य है.
नागरिकों से लेकर शासकों तक सभी की समस्याओं के उपाय प्रदान करने के लिए संवैधानिक मूल्यों का पालन करना पड़ता है.
गणतंत्र दिवस के संबोधन के दौरान, तत्कालीन राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने यह कहकर हमारा मार्गदर्शन किया था कि हमारी प्रतिबद्धता का पता तब चलेगा, जब हम अपने ऊंचे उद्देश्यों तक पहुंचने के लिए उपयुक्त उपाय करेंगे न कि केवल निरा बयान देकर.
संविधान में 100 से अधिक संशोधन करने के बावजूद, हम 70 वर्षों में गरीबी और उसकी जुड़वां, भूख और बीमारी जैसे मुद्दों को संबोधित करने के पहले दिन के लक्ष्य को हासिल नहीं कर सके, इसके अलावा भारत मानव विकास के सूचक में दुनिया में पिछड़कर 130वें स्थान पर गया है.
हमारा तात्कालिक लक्ष्य इसका कारण जानना होना चाहिए. ये सत्य है कि राजनैतिक भ्रष्टाचार हर तरह के भ्रष्टाचार को गांव तक और हर गली कूचे तक पहुंचा देता है.