हैदराबाद : 31 अगस्त 2020 को नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) के प्रकाशन को एक वर्ष पूरा हो जाएगा. 1.9 मिलियन लोग जो इस सूची में नहीं आ सके, वे पिछले एक साल से अपने भविष्य को लेकर डरे हुए हैं. हालांकि NRC के प्रकाशन के बाद, सरकार ने कहा था कि जिनके नाम शामिल नहीं हुए हैं, उन्हें पुन: सत्यापन के लिए आवेदन करने का दूसरा मौका दिया जाएगा. लेकिन अब तक कुछ भी नहीं किया गया है, जिससे वे डरे हुए हैं और अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं.
सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में असम सरकार ने 2015 में तीन स्तरीय प्रक्रिया के माध्यम से एनआरसी को अपडेट करना शुरू किया था. 30 जून, 2018 को असम सरकार ने एनआरसी का दूसरा मसौदा जारी किया था. एनआरसी से बाहर किए गए लोगों की संख्या 40 लाख थी. अंतिम सूची आने के बाद यह संख्या घटकर 19 लाख रह गई.
एनआरसी के प्रकाशन के 120 दिनों के भीतर शामिल नहीं हुए लोगों को फॉरनर्स ट्रिब्यूनल के समक्ष अपील करना होगा. सरकार ने यह भी आश्वासन दिया था कि शामिल नहीं हुए लोगों में से किसी को भी हिरासत में तब तक नहीं लिया जाएगा जब तक कि फॉरनर्स ट्रिब्यूनल द्वारा उन्हें विदेशी घोषित नहीं किया जाता. जिन लोगों के नाम शामिल नहीं हुए हैं उनके आवेदन पर काम करने के लिए सरकार ने फॉरनर्स ट्रिब्यूनल में जजों की नियुक्ति की है, पर अबतक कुछ नहीं हुआ है.