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एनआरसी बना बहस का मुद्दा, CPM नेता बोले- नहीं मिलेगा कोई परिणाम

असम के बाद भारत के अन्य राज्यों में एनआरसी का मुद्दा विवादास्पद हो गया है. जहां सत्ता पक्ष इसका समर्थन कर रहा है तो वहीं विपक्ष इसका विरोध. इसी मुद्दे को लेकर इटीवी भारत ने सीपीएम नेता हन्नान मोल्लाह और  राजनीतिक और रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ सुबिमल भट्टाचार्जी से बातचीत की.

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Published : Sep 27, 2019, 9:53 AM IST

Updated : Oct 2, 2019, 4:39 AM IST

नई दिल्ली: असम में अंतिम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) सूची के प्रकाशन के बाद, इससे जुड़े विवाद भारत के कई राज्यों में देखे जा सकते हैं. सत्तारूढ़ दल और विपक्ष इस मुद्दे को लेकर एक दूसरे पर निशाना साध रहे हैं.

सीपीएम नेता और पूर्व सांसद हन्नान मोल्लाह ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा, 'एनआरसी कोई परिणाम नहीं ला सकता है. जब यह पहली बार असम में शुरू किया गया था, तो एक उम्मीद थी कि इससे अवैध बांग्लादेशियों की पहचान किया जाएगा लेकिन अब सरकार भी समझ गई है कि अवैध विदेशियों की पहचान करने के लिए एक मजबूत उपाय की आवश्यकता है.'

NRC पर सीपीएम नेता और पूर्व सांसद हन्नान मोल्लाह और रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ सुबिमल भट्टाचार्जी

उन्होंने कहा कि भाजपा द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाने के लिए एनआरसी का इस्तेमाल किया गया है, 'लेकिन वास्तव में परिणाम विपरीत आ रहा है.'

मोल्लाह ने कहा कि अगर भारत में एक विशेष राज्य के लोग दूसरे राज्य में जाते हैं, तो 'क्या इसका मतलब है कि वे विदेशी हैं?'तो सरकार क्या उन लोगों को भगाएगी जो एक राज्य से दुसरे राज्य में गए हैं.

एनआरसी सिर्फ देश में एक संप्रदायिक वातावरण बनाने के लिए इस्तेमाल हो रहा है और इससे देश का को फायदा होने वाला नहीं है.

बता दें, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड सहित अन्य भाजपा शासित राज्यों ने एनआरसी प्रक्रिया का समर्थन किया है और कहा है कि यह एक अच्छा अभ्यास था.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने राज्यों में इसी तरह एनआरसी प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का फैसला किया.

वहीं राजनीतिक और रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ सुबिमल भट्टाचार्जी ने कहा कि सरकार को मामले को गंभीरता से देखना चाहिए.

भट्टाचार्जी ने कहा 'राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) संशोधन की प्रक्रिया में है और यह एक सही कदम है.'

भट्टाचार्य ने कहा, 'असम में NRC को एक उद्देश्य के साथ लागू किया गया था, लेकिन नागरिकों के शामिल करने और निकालने कि प्रक्रिया पर यह उतना सफल नहीं रहा. NRC पूरे भारत में विवादित हो चुका है जबकी पूरे भरत में बहुत सारे अवैध प्रवासी फैले हुए हैं.

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सरकार इस मुद्दे पर बचती नजर आ रही है.

राजनीतिक दलों द्वारा एनआरसी मुद्दे के उपयोग का उल्लेख करते हुए, भट्टाचार्जी ने कहा कि जब नागरिकता सत्यापन प्रक्रिया शुरू होगी तब दोनों (सत्तारूढ़ और विपक्षी पार्टी) को अपना सहयोग देना होगा

असम एकमात्र राज्य था जहां एनआरसी प्रक्रिया को 'मुख्य रूप से अवैध विदेशियों का पता लगाने के लिए' लागू किया गया था.

Last Updated : Oct 2, 2019, 4:39 AM IST

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