बलिया :काशी हिंदू विश्वविद्यालय के 100 वर्षों के इतिहास में पहली बार बलिया की एक छात्रा नेहा सिंह का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ है. बलिया के डीएम श्रीहरि प्रताप शाही ने नेहा के घर रसड़ा तहसील क्षेत्र के डेहरी गांव में जाकर खुद उन्हें बधाई दी और सर्टिफिकेट का विमोचन भी किया. रसड़ा एसडीएम मोती लाल यादव के द्वारा भी नेहा को आशीर्वाद प्रदान किया गया. नेहा बलिया की पहली और अकेली गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड धारी बनी हैं.
लॉकडाउन में बनाई पेंटिंग
नेहा सिंह पिछले साल से तैयारी कर रहीं थीं. लॉकडाउन में अप्रैल से घर बैठकर उन्होंने खनिज रंगों से सबसे बड़ा पेंटिंग बनाया, जिसका साइज 62.72 स्क्वायर मीटर यानि 675.36 स्क्वायर फीट है. नेहा जुलाई में ही गिनीज के नियमों के अनुसार पेंटिंग को तैयार करके ऑनलाइन सारा डाक्यूमेंट्स जमा कर चुकी थीं, मगर कोविड के चलते गिनीज से जवाब आने में चार महीने का समय लग गया. पहले यह रिकॉर्ड भारत के ही आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा की रहने वाली श्रेया तातिनेनी के नाम था, जिन्होंने 29 सितंबर 2019 को 54.67 वर्ग मीटर यानी 588.56 स्क्वायर फीट में खनिज रंगों से पेंटिंग बनाई थी. उसी समय से नेहा ने इस रिकॉर्ड को तोड़ने के लिए एप्लीकेशन डाला हुआ था, मगर गिनीज से अनुमति मिलते एवं तैयारियां करते-करते साल भर का समय लग गया.
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड से लेनी पड़ती है अनुमति
नेहा ने बताया कि खनिज रंगों से जो भी पेंटिंग बनाएंगे, उसका अप्रूवल पहले से ही गिनीज से लेनी होती है. करीब 8 अलग-अलग पेंटिंग को नकारने के बाद अंतिम गिनीज रिकॉर्ड के लिए भगवद्गीता पर आधारित पेंटिंग बनाई. खनिज रंगों से पेंटिंग बनाने के लिए गिनीज रिकॉर्ड अथॉरिटी के बहुत सारे नियमों का पालन करना होता है. उन्होंने बताया कि भगवद्गीता के 18 अध्यायों को पेड़ की 18 शाखाओं में और हर एक शाखा में 1 से 18 पत्तों का चित्रण करके ऊपर कमल एवं ॐ से मोक्ष प्राप्ति का सुंदर चित्रण प्रस्तुत किया गया है. इस कार्य की तैयारी एवं इसे पूर्ण रूप देने के लिए पिछले सात सालों से खुद से बनाई गई लगभग सभी पेंटिंग मुंबई के एक चित्रकला के व्यापारी को बेच दिए.