नई दिल्ली : रेलवे रॉलिग स्टॉक के पूर्व सदस्य राजेश अग्रवाल ने कहा कि 'जब से आम बजट और रेल बजट का विलय हो गया है रेलवे घाटे वाला संस्थान बनकर रह गया है, हमें उम्मीद है कि इस बार ऐसा साबित नहीं होगा.'
उन्होंने कहा, रेलवे के लिए परिव्यय और सकल बजटीय समर्थन उम्मीदों से कम है. शायद यह पिछले साल की तुलना में कम है. एक ओर जहां प्रधानमंत्री और रेल मंत्री दोनों की प्रतिबद्धता रेलवे को लेकर काफी ज्यादा है. मालवाहक गाड़ियों को चलाने, औसत गति बढ़ाने के लिए जो वादा किया गया था उसको लेकर एक-दो साल में देखना है क्या होता है.
वित्त मंत्री ने बजट भाषण में उल्लेख किया है कि राष्ट्रीय रेल योजना तैयार की गई है. उन्होंने कहा कि यह योजना 2030 तक 'भविष्य के लिए रेलवे तैयार' प्रणाली पर आधारित है. इसमें मेक इन इंडिया के तहत रेलवे को मजबूती प्रदान करना है.
रेलवे के पूर्व अधिकारी ने कहा कि रेलवे द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कुछ तरीकों का पालन और योजना बनाने की जरूरत है, जिनका आने वाले वर्षों में पालन किया जाना चाहिए.
उन्होंने बताया कि जब मैं रोलिंग स्टॉक का नेतृत्व कर रहा था, हमने 2019 में ऐसे कई सुधार किए. सेमी हाई स्पीड ट्रेन, एलएचबी रेक की गति में सुधार, यात्री सेवाओं में सुधार हुआ है. उन्होंने कहा कि हमें ये देखने की जरूरत है कि 2016-17 में जो लक्ष्य तय किए थे, वे कहां तक पूरे हुए हैं.
केंद्र सरकार ने केंद्रीय बजट में रेलवे के लिए ऐसी कोई नई घोषणा नहीं की है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डीएफसी के लिए एक समयसीमा निर्धारित की है जिसमें कहा गया है कि उम्मीद की जा रही है कि जून 2022 तक पश्चिमी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) और पूर्वी समर्पित फ्रेट कॉरिडोर की शुरुआत हो जाएगी.
केंद्रीय बजट में सोमनगर-गोमो खंड को लेकर अतिरिक्त पहल की गई है जो कि 263.7 किलोमीटर का है. इसे पूर्वी डीएफसी के तहत वर्ष 2021-22 में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल में लिया जाएगा. उसके बाद 274.3 किमी के गोमो-दनकुनी खंड को भी इसके तहत शामिल किया जाएगा.