दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

नगालैंड सरकार ने कर्मचारियों से मांगा विद्रोही संगठनों से जुड़े रिश्तेदारों का विवरण

नगालैंड सरकार ने अपने सभी कर्मचारियों को एक महीने के भीतर एक घोषणा पत्र प्रस्तुत करने का आदेश दिया है, जो परिवार के उन सदस्यों या रिश्तेदारों की जानकारी का विवरण देगा, जो विद्रोही संगठनों से जुड़े हैं. इससे संबधित सूचना मुख्य सचिव द्वारा सभी विभागों को दे दी गई है. पढ़ें वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट...

कॉन्सेप्ट इमेज.
कॉन्सेप्ट इमेज.

By

Published : Jul 10, 2020, 8:48 PM IST

Updated : Jul 11, 2020, 6:02 AM IST

नई दिल्ली : नगालैंड सरकार ने अपने सभी कर्मचारियों को एक महीने के भीतर एक घोषणा पत्र प्रस्तुत करने का आदेश दिया है, जो परिवार के उन सदस्यों या रिश्तेदारों की जानकारी का विवरण देगा, जो विद्रोही संगठनों से जुड़े हैं. यह घोषणा पत्र इस बात का एक और संकेत है कि सरकार और विद्रोही संगठनों के बीच चल रही नागा वार्ता प्रक्रिया अब गतिरोध की स्थिति से आगे बढ़ गई है.

बता दें कि 7 जुलाई, 2020 को एक गोपनीय आधिकारिक ज्ञापन में यह जानकारी मांगी गई है. यह घोषणा पत्र नगालैंड के मुख्य सचिव द्वारा सभी विभागों को भेज दिया गया है. इसके जमा करने की आखिरी तारीख 7 अगस्त 2020 है.

सूत्रों के मुताबिक, अगर किसी परिवार का सदस्य और रिश्तेदार किसी विद्रोही संगठन का सदस्य है तो, कर्मचारी को उसका और जिस संगठन से वह जुड़ा है, दोनों का नाम बताना होगा. साथ ही कर्मचारी से उसका क्या रिश्ता है, इस बात की जानकारी भी देनी होगी. इसके अलावा विद्रोही संगठन में उसके रिश्तेदार या परिवार के सदस्य की रैंक और पद की भी जानकारी देनी होगी.

सरकार, ऐसे सरकारी कर्मचारी जिनके रिश्तेदार विद्रोही संगठनों के सदस्य हैं, उनके खिलाफ भी कार्यवाही कर सकती है. इसके साथ ही यह संभावना भी है कि इन जानकारियों का इस्तेमाल करके सरकार उन कर्मचारियों के माध्यम से इन संगठनों से जुड़े सदस्यों पर दवाब बना सकती है.

यह आदेश 6 जून, 2020 को नगालैंड के राज्यपाल आर एन रवि द्वारा राज्य के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो को लिखे गए एक पत्र दिया गया है, जिसमें कहा गया था कि राज्य में सशस्त्र गिरोह बड़े पैमाने पर जबरन वसूली और अवैध गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं. इस कारण राज्य में कानून-व्यवस्था ध्वस्त हो गई है. इस दौरान उन्होंने राज्य में सक्रिय छह विद्रोही संगठनों का जिक्र किया था.

बता दें कि उग्रवाद प्रभावित राज्य में वरिष्ठ पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को नियुक्त करने के लिए पूरी शक्तियों की मांग करते हुए राज्यपाल रवि ने सीएम को पत्र लिखते हुए कहा था, 'ऐसी स्थिति में, मैं अनुच्छेद 371 ए (1) के तहत राज्य में कानून और व्यवस्था के लिए अपने संवैधानिक दायित्वों से पीछे नहीं हट सकता. भारत के संविधान के अनुसार, मैं चाहता हूं कि कानून और व्यवस्था को सुधारने के लिए जिला स्तर से ऊपर केअधिकारियों का स्थानांतरण और नियुक्ति के फैसले राज्यपाल की मंजूरी के बाद होंगे.'

मुख्य रूप से, सरकार की वार्ता नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालिम (इसाक-मुइवा) (एनएससीएन-आईएम) गुट के साथ चल रही है, जो 1997 में शुरू हुई थी, लेकिन अब तक कोई सफलता हासिल नहीं हुई है. माना जाता है कि एनएससीएन (आईएम) सात हजार से अधिक कैडरों के साथ सबसे बड़ा नागा विद्रोही संगठन है, जिनमें से अधिकांश के पास आधुनिक हथियार हैं.

पढ़ें -भारत-नेपाल सीमा विवाद: डाक टिकट के जरिए भारत ने दर्शाया शांतिपूर्ण विरोध

गौरतलब है कि पिछले 23 वर्षों में, एनएससीएन (आईएम) के साथ सरकार ने पेरिस, जिनेवा, ज्यूरिख, एम्स्टर्डम, चियांग माई (थाईलैंड), लंदन, ओसाका, मलेशिया और द हेग जैसे स्थानों पर बातचीत की है.

एनएससीएन (आईएम) पिछले काफी समय से अपनी संप्रभुता और स्वतंत्रता की मांग करता आया है. वहीं, सरकार ने एनएससीएन (आईएम) को अलग संविधान और अलग राष्ट्रीय ध्वज देने की मांग से भी इनकार कर दिया है. 2015 में दोनों पक्षों के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जो कि काफी हद तक उम्मीद के मुताबिक था, लेकिन समय के साथ प्रगति के बजाय इसमें गिरावट आई है.

बता दें कि स्पेन के बास्क विद्रोह के बाद, नागा उग्रवाद आंदोलन को दुनिया का दूसरा सबसे पुराना उग्रवाद आंदोलन माना जाता है, जो 1950 में शुरू हुआ था. इस आंदोलन को सभी आंदोलन की मां भी कहा जाता है. इसने पूर्वोत्तर भारत क्षेत्र में मणिपुर, असम, त्रिपुरा और मेघालय-पड़ोसी राज्यों में उग्रवाद आंदोलन खड़ा करने में एक बड़ा योगदान दिया है.

Last Updated : Jul 11, 2020, 6:02 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details