नई दिल्ली :कृषि संबंधी विधेयकों को लेकर किसानों के विरोध के बीच केंद्र सरकार ने सोमवार को रबी की फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की घोषणा की. छह रबी फसलों की खरीद के लिए एमएसपी में न्यूनतम 50 रुपये प्रति क्विंटल से 300 रुपये प्रति क्विंटल तक की वृद्धि की गई है.
सरकार का कहना है कि एमएसपी स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों के अनुसार है और 2018-19 से, सरकार किसान द्वारा पैदा की गई औसत लागत और लागत पर न्यूनतम 50 प्रतिशत लाभ की गणना के आधार पर एमएसपी तय कर रही है.
हालांकि, किसान संगठनों ने फिर से सरकार के दावे को खारिज कर दिया है. उनका कहना है कि बढ़ती आजीविका लागत की जरूरतों को पूरा करने के लिए 2.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी बहुत कम है. एआईकेएससीसी ने मंगलवार को एक बार फिर से एमएसपी गारंटी कानून की मांग है, जो C2 + 50% फॉर्मूला पर एमएसपी का आश्वासन देता है, जिसकी संस्तुति वास्तव में स्वामीनाथन समिति द्वारा की गई है.
एआईकेएससीसी के संयोजक वीएम सिंह ने कहा सीजन 2019-20 के लिए गेहूं का एमएसपी 1925 रुपये प्रति क्विंटल था, लेकिन आज यह बाजार में 1400 रुपये प्रति क्विंटल पर बिक रहा है, जिससे किसानों को बड़े पैमाने पर नुकसान हो रहा है. यदि सरकार वास्तव में किसानों के लिए ईमानदार है, तो उसे आगे आना चाहिए और अपनी घोषित एमएसपी 1925 रुपये प्रति क्विंटल पर खरीदारी करनी चाहिए.
एआईकेएससीसी द्वारा मंगलवार को जारी एक बयान में कहा गया है कि डीजल और पेट्रोल की कीमत बढ़ रही है और 2020 में बिजली बिल पर सभी सब्सिडी को वापस लेने और सभी आम उपभोक्ताओं से 10.20 रुपये प्रति यूनिट वसूलने का इरादा है. उर्वरक सब्सिडी भी लागत में वृद्धि के लिए वापस ले ली गई है और साथ ही कालाबाजारी भी बढ़ गई है. आजीविका की लागत उच्च दरों पर बढ़ रही है, लेकिन एमएसपी में 2.6 प्रतिशत की वृद्धि इस देश के किसानों पर एक क्रूर मजाक है.