नई दिल्ली : कांग्रेस को जबरदस्त झटका देते हुए पार्टी के प्रमुख युवा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी से त्यागपत्र दे दिया है. सिंधिया के साथ ही उनके समर्थक पार्टी के 22 विधायकों के इस्तीफे से राज्य की कमलनाथ सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं.
कांग्रेस छोड़ने वाले 49 वर्षीय सिंधिया केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो सकते हैं. उनकी दादी दिवंगत विजयराजे सिंधिया इसी पार्टी में थीं. ऐसी अटकले हैं कि सिंधिया को राज्यसभा का टिकट दिया जा सकता है और उन्हें केंद्रीय मंत्री बनाया जा सकता है.
कांग्रेस ने पार्टी विरोधी गतिविधि के कारण पार्टी के महासचिव एवं पूर्ववर्ती ग्वालियर राजघराने के वंशज ज्योतिरादित्य सिंधिया को पार्टी से निष्कासित कर दिया.
मंगलवार सुबह जब पूरा देश होली का जश्न मना रहा था, तभी सिंधिया ने भाजपा के वरिष्ठ नेता और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की. इसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके 7, लोक कल्याण मार्ग स्थित आवास पर मुलाकात की.
बैठक में क्या बातचीत हुई, इस बारे में आधिकारिक रूप से कुछ भी नहीं कहा गया है. हालांकि, भाजपा सूत्रों ने कहा कि सिंधिया से लंबी बातचीत करने का भगवा पार्टी के दोनों शीर्ष नेताओं का फैसला इस बात को दर्शाता है कि वे उन्हें (सिंधिया को) कितना महत्व देते हैं जिन्हें राहुल गांधी का बेहद करीबी माना जाता है.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को नौ मार्च को लिखे इस्तीफा पत्र में सिंधिया ने कहा कि उनके लिये आगे बढ़ने का समय आ गया है क्योंकि इस पार्टी में रहते हुए अब वह देश के लोगों की सेवा करने में अक्षम हैं.
कांग्रेस पार्टी ने कहा कि उनका पत्र सोनिया गांधी के आवास पर मंगलवार को दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर मिला. इस दिन उनके पिता और कांग्रेस नेता माधव राव सिंधिया का 75 वां जन्मदिन है.
सिंधिया की बुआ एवं मध्य प्रदेश से भाजपा विधायक यशोधरा राजे ने कांग्रेस छोड़ने के उनके कदम का स्वागत किया है. सिंधिया की एक अन्य बुआ वसुंधरा राजे भाजपा नेता हैं और वह राजस्थान की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं.
सिंधिया के पिता माधव राव सिंधिया ने भी अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत 1971 में जनसंघ के सांसद के रूप में की थी और बाद में वह कांग्रेस में शामिल हो गये थे.
पढ़ें :कमलनाथ का दावा- मध्य प्रदेश सरकार पर कोई संकट नहीं, हम सिद्ध करेंगे बहुमत
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समेत कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी छोड़ने के कदम की आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने लोगों के साथ विश्वासघात किया है और 'व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा' को विचारधारा से ऊपर रखा.
सिंधिया के पार्टी छोड़ने के साथ ही उनके समर्थक विधायकों के इस्तीफा देने से मध्य प्रदेश की कमलनाथ नीत कांग्रेस सरकार के अस्तित्व पर संकट गहरा गया है. विधानसभा अध्यक्ष एन प्रजापति अगर 22 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर लेते हैं तो कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ जाएगी.
मध्य प्रदेश की 230 सदस्यीय विधानसभा में दो सीटें फिलहाल रिक्त हैं. ऐसे में 228 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के पास मामूली बहुमत है. अगर 22 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर लिये जाते हैं तो विधानसभा में सदस्यों की प्रभावी संख्या महज 206 रह जाएगी. उस स्थिति में बहुमत के लिये जादुई आंकड़ा सिर्फ 104 का रह जाएगा.
पढ़ें :ज्योतिरादित्य अब गुरुवार को भोपाल में ले सकते हैं भाजपा की सदस्यता
ऐसे में, कांग्रेस के पास सिर्फ 92 विधायक रह जाएंगे, जबकि भाजपा के 107 विधायक हैं. कांग्रेस को चार निर्दलीयों, बसपा के दो और सपा के एक विधायक का समर्थन हासिल है. उनके समर्थन के बावजूद कांग्रेस बहुमत के आंकड़े से दूर हो जाएगी. हालांकि, यह अभी स्पष्ट नहीं है कि निर्दलीय और बसपा तथा सपा के विधायक कांग्रेस का समर्थन जारी रखेंगे या वे भी भाजपा से हाथ मिला लेंगे.
भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के एक शिष्टमंडल ने विधानसभा अध्यक्ष से भोपाल में मुलाकात की और कांग्रेस के 19 विधायकों का इस्तीफा सौंपा . इन विधायकों को कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू के एक रिसॉर्ट में रखा गया है जहां भाजपा का शासन है.
भारतीय जनता पार्टी के विधायक विश्वास सारंग ने बताया कि पार्टी के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह विशेष विमान से मंगलवार की दोपहर भोपाल पहुंचे. वह अपने साथ विधायकों के इस्तीफे लेकर आए.
कांग्रेस के तीन अन्य विधायकों ने भी विधानसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंप दिया है. इन विधायकों में छह मंत्री हैं. उनके इस्तीफे के बाद कमलनाथ ने राज्यपाल को पत्र लिख कर उन्हें तत्काल प्रभाव से हटाने की मांग की.
पढ़ें :सिंधिया परिवार के कारण मध्य प्रदेश में दूसरी बार गिर रही कांग्रेस की सरकार
सिंह ने विधायकों का नाम लिया जिनका पत्र उन्होंने प्रजापति को सौंपा और दावा किया कि राज्य की कांग्रेस सरकार बहुमत खो चुकी है. सिंह ने यह भी दावा किया कि इन विधायकों ने इस्तीफा पत्र अपने हाथों से लिखा है.
उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले विधायकों की संख्या बहुत जल्दी 30 पहुंच सकती है.
विधानसभा अध्यक्ष प्रजापति ने कहा, 'मुझे ये इस्तीफे मिले हैं. राज्य विधानसभा के स्थापित नियमों एवं कानून के आधार पर मैं इन पत्रों पर कार्रवाई करूंगा.'
होली मनाने लखनऊ पहुंचे प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने कहा कि वह मध्यप्रदेश में बदलती राजनीतिक स्थिति पर नजर रखे हुए हैं और इस बारे में कोई भी निर्णय भोपाल पहुंचने के बाद ही किया जाएगा. टंडन ने एक टीवी चैनल को बताया कि वह 12 मार्च तक छुट्टी पर हैं.
यह पूछे जाने पर कि वह किसी पार्टी को सदन में बहुमत साबित करने के लिए बुलायेंगे, टंडन ने कहा, 'मौजूदा समय में, मैं केवल एक दर्शक हूं . एक बार मैं वहां वापस लौट जाऊं उसके बाद चीजों को और उन पत्रों को जिसमें कुछ लोगों ने शिकायत की है, देखने के बाद ही इस बारे में कोई टिप्पणी करूंगा.'
सिंधिया ने कांग्रेस अध्यक्ष को लिखे पत्र में कहा है कि आज के घटनाक्रम की पृष्ठभूमि पिछले एक साल से तैयार हो रही थी और अब उनके लिये नयी शुरुआत करना सर्वश्रेष्ठ है.
सिंधिया ने अपने इस्तीफा पत्र में कहा, 'पिछले 18 साल से कांग्रेस का प्राथमिक सदस्य रहा. अब मेरे लिये आगे बढ़ने का समय है. मैं कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं और जैसा कि आप अच्छी तरह जानती है कि यह रास्ता पिछले एक साल से अपने आप तैयार हो रहा था.'
यह भी पढ़ें :सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने पर हैरानी नहीं, वह जल्द बनेंगे केंद्रीय मंत्री : नटवर
सिंधिया ने ट्विटर पर पोस्ट किये पत्र में कहा, 'अपने राज्य और देश के लोगों की सेवा करना मेरा हमेशा से मकसद रहा है. मैं इस पार्टी में रहकर अब यह करने में अक्षम में हूं.'
उन्होंने कहा, 'अपने लोगों और कार्यकर्ताओं की आकांक्षाओं को साकार करने के लिये मेरा मानना है कि यह सर्वश्रेष्ठ है कि अब मैं नई शुरुआत करूं.'
गुना के पूर्व सांसद ने देश की सेवा करने के लिये मंच प्रदान करने की खातिर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी के अपने पूर्व साथियों के प्रति आभार प्रकट किया है.
सिंधिया भाजपा में शामिल होने से पहले अपने गढ़ ग्वालियर में एक रैली को संबोधित कर सकते हैं.
इसके तुरंत बाद, कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने एक बयान में कहा, 'कांग्रेस अध्यक्ष ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण सिंधिया को तत्काल प्रभाव से निष्कासित करने की स्वीकृति प्रदान की है.'
पार्टी का कभी उदीयमान सितारा समझे जा रहे सिंधिया और मुख्यमंत्री कमलनाथ के बीच लंबे समय से खींचतान चल रही थी. दिसंबर 2018 में मध्य प्रदेश विधानसभा का चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस ने कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाया.
हालांकि, समस्या हाल में शुरू हुई, जब सरकार में सिंधिया समर्थकों को दरकिनार किया गया और ऐसा लगता है कि मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने की उनकी महत्वाकांक्षा भी विफल कर दी गई. यह भी बताया जाता है कि पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व उनकी शिकायतें सुनने को तैयार नहीं था.
इस सप्ताह के अंत में, सिंधिया और कमलनाथ मंत्रिमंडल के छह मंत्री बेंगलुरु गए और उनसे संपर्क नहीं हो पा रहा था. इसके बाद यह स्पष्ट हो गया कि पार्टी में बगावत पनप रही है और कमलनाथ सिंधिया के वफादार छह मंत्रियों के साथ-साथ अन्य विधायकों का भी समर्थन खो देंगे.
कमलनाथ ने मंगलवार को राज्यपाल लालजी टंडन को पत्र लिखकर सिंधिया के खेमे से जुड़े छह मंत्रियों को तत्काल हटाने की मांग की.
होली के दिन चल रहे सियासी ड्रामे का असर मध्य प्रदेश के बाहर भी होगा. मध्य प्रदेश भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए महत्वपूर्ण है. मध्य प्रदेश हिंदी पट्टी के उन तीन प्रमुख राज्यों में से एक था, जहां कांग्रेस ने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले विधानसभा चुनावों में भाजपा को सत्ता से बाहर कर दिया था.
मध्यप्रदेश के आसन्न नुकसान के साथ, यह स्पष्ट है कि कांग्रेस नेतृत्व पार्टी को एकजुट रखने में विफल रहा है और अपने कई क्षेत्रीय नेताओं की परस्पर विरोधी महत्वाकांक्षाओं को नियंत्रित करने में असमर्थ रहा है. निरंतर अंतर्कलह से पार्टी के और कमजोर होने की संभावना है.
मध्यप्रदेश को फिर से हासिल करने से हिंदी पट्टी में भाजपा की ताकत बढ़ेगी और कांग्रेस के पास केवल पंजाब, राजस्थान और छत्तीसगढ़ रह जाएगा. राजस्थान में भी पार्टी को विभिन्न खेमों के बीच टकराव का सामना करना पड़ रहा है.
सिंधिया के इस्तीफे पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा, 'राष्ट्रीय संकट के समय भाजपा के साथ हाथ मिलाना एक नेता की खुद की राजनीतिक आकांक्षा को दिखाता है. खासतौर पर उस समय जब भाजपा अर्थव्यवस्था, लोकतांत्रिक संस्थाओं, सामाजिक तानेबाने और न्यायपालिका को बर्बाद कर रही है.' उन्होंने कहा, 'सिंधिया ने जनता के विश्वास और विचारधारा के साथ विश्वासघात किया है. ऐसे लोग यह साबित करते हैं कि वे सत्ता के बगैर नहीं रह सकते. वो जितनी जल्दी छोड़ दें बेहतर है.' लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी सिंधिया पर हमला करते हुए कहा, 'यह कांग्रेस पार्टी के लिए दुखद खबर है'.
चौधरी ने कहा, 'उन्हें पार्टी ने महत्वपूर्ण काम सौंपा था. लेकिन अब स्थिति ऐसी हो गई कि उन्हें दूसरी पार्टी में जाना अधिक सुविधाजनक लगा.' चौधरी ने कहा, 'भाजपा की ओर से दिये गए किसी प्रकार के प्रलोभन ने उन्हें पार्टी बदलने के लिये राजी किया.'