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मप्र : कमलनाथ ने राज्यपाल को सौंपा इस्तीफा, कहा- प्रदेश पूछ रहा क्या है मेरा कसूर - सीएम कमलनाथ

उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर मध्यप्रदेश विधानसभा में शुक्रवार दोपहर दो बजे होने वाले शक्ति परीक्षण से पहले ही मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपना त्यागपत्र देने की घोषणा कर दी है. राजभवन सूत्र के अनुसार मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ का इस्तीफा मंजूर किया.

कमलनाथ का इस्तीफा
कमलनाथ का इस्तीफा

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Published : Mar 20, 2020, 10:15 AM IST

Updated : Mar 20, 2020, 3:37 PM IST

नई दिल्ली : मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पत्रकार वार्ता में इस्तीफे का एलान कर दिया है. मुख्यमंत्री ने अपने निवास पर पत्रकारों से बातचीत के बाद वह राजभवन पहुंचे और राज्यपाल लालजी टंडन को अपना त्यागपत्र सौंप दिया. इससे पहले पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा 'मैंने हमेशा सिद्धांतों व मूल्यों का पालन किया है... इसलिए मैंने निर्णय लिया है कि मैं राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दूंगा.'

उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर मध्यप्रदेश विधानसभा में शुक्रवार दोपहर दो बजे होने वाले शक्ति परीक्षण से पहले ही मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री के पद से अपना इस्तीफा प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन को सौंप दिया है. इस्तीफा स्वीकार भी कर लिया गया है.

कमलनाथ (मुख्यमंत्री)

उन्होंने इस दौरान अपने कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाईं . भाजपा पर षडयंत्र रचने का आरोप. उन्होंने कहा कि मैंने सदा विकास में विश्वास रखा है. प्रदेश पूछ रहा है कि मेरा कसूर क्या है? मुझे जनता ने पांच साल का बहुमत दिया था. मेरी सरकार को अस्थिर कर प्रदेश की साढ़े सात करोड़ जनता के साथ धोखा किया गया है.

इस्तीफा पत्र

उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर मध्यप्रदेश विधानसभा में शुक्रवार दोपहर दो बजे होने वाले शक्ति परीक्षण से पहले ही मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देने की घोषणा करते हुए कहा कि जनता द्वारा नकारे गए सत्तालोलुप 'महाराज' और उनके लोगों के साथ मिलकर भाजपा ने खेल रचकर लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या की है.

पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होने के बाद प्रदेश के 22 कांग्रेस विधायकों ने बागी होकर त्यागपत्र दे दिए थे. इनमें अधिकांश सिंधिया समर्थक हैं. इसके बाद मध्यप्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार संकट में आ गई थी.

शुक्रवार को मुख्यमंत्री निवास में पत्रकार वार्ता में कमलनाथ ने घोषणा की कि वह राज्यपाल लालजी टंडन को अपना इस्तीफा सौंपने जा रहे हैं.

मुख्यमंत्री निवास में पत्रकार वार्ता में कमलनाथ ने कहा, किस प्रकार करोड़ों रुपये खर्च कर प्रलोभन का खेल खेला गया जनता द्वारा नकारे गए महत्वाकांक्षी, सत्तालोलुप 'महाराज' और उनके द्वारा प्रोत्साहित 22 लोभियों के साथ मिलकर भाजपा ने खेल रच लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या की, जिसकी सच्चाई थोड़े ही समय में सभी के सामने आएगी. प्रदेश की जनता के साथ धोखा करने वाले इन लोभियों व बागियों को जनता कभी माफ नहीं करेगी.

मैं चाहता था कि कांग्रेस महल में नहीं बल्कि महल कांग्रेस में आए ताकि जनता शक्तिशाली बने.' उन्होंने कहा, आज के बाद कल भी आता है.

कल के बाद परसों भी आता है. जनता गवाह है. आज मैंने तय किया है कि मैं राज्यपाल को अपना इस्तीफा दूंगा. और इसका कारण है कि मैंने देश के लोकतांत्रक मूल्यों का पालन किया. मैं नीलामी एवं सौदे की राजनीति में कभी पड़ा नहीं. मैंने साफ एवं स्पष्ट राजनीति की है.

मैंने मूल्यों की राजनीति की है. पूरा मीडिया एवं पूरी जनता गवाह है मेरे 40 साल में जब मैं सांसद रहा, कोई मेरे ऊपर उंगली नहीं उठा सका. मैंने किसी मंत्री या मुख्यमंत्री को अपने काम की सिफारिश के लिए फोन नहीं किया, यदि किया तो छिंदवाडा के विकास के लिए किया.' उन्होंने कहा कि वह लोगों के कल्याण के काम करना जारी रखूंगा.

कमलनाथ ने आरोप लगाया कि भाजपा को प्रदेश हित में मेरे द्वारा किए जा रहे जनहितैषी कार्य रास नहीं आए इसलिए भय व बौखलाहट में वो मेरे खिलाफ निरंतर साजिश रचती रही. हमारे 22 विधायकों को प्रलोभन देकर कर्नाटक में बंधक बनाने का काम किया, जिसकी सच्चाई देश की जनता ने प्रतिदिन देखी.

कमलनाथ ने आरोप लगाया कि मेरी सरकार को अस्थिर कर भाजपा प्रदेश की साढ़े सात करोड़ जनता के साथ विश्वासघात कर रही है. उसे यह भय सता रहा है कि यदि मैं प्रदेश की तस्वीर बदल दूंगा तो प्रदेश से भाजपा का नामोनिशान मिट जाएगा.

उन्होंने 15 महीनों में किसान ऋण माफी योजना, इंदिरा ज्योति योजना और सामाजिक सुरक्षा पेंशन राशि बढ़ाने सहित अपने कामों को विस्तार से बताते हुए कहा कि इन कामों की सच्चाई प्रदेश की जनता जानती है और मुझे जनता के प्रमाण पत्र की आवश्यकता है, भाजपा के प्रमाण पत्र की नहीं.

उन्होंने कहा कि प्रदेश कांग्रेस का वचन पत्र पांच साल के लिए था लेकिन 15 माह में अपने वचन पत्र के करीब 400 वचनों को पूरा किया जबकि 21,000 अधूरी घोषणाओं वाली भाजपा को हमारा वचनों को पूरा करना रास नहीं आया. देश की जनता ने कांग्रेस को पांच साल दिए जबकि भाजपा को 15 साल दिए थे. जनता ने उनके कार्यकाल की और मेरे 15 माह के कार्यकाल को देखा है.

Last Updated : Mar 20, 2020, 3:37 PM IST

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