नई दिल्लीः राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने नई शिक्षा प्रणाली पर भरोसा जताया है. उन्होंने कहा है किअध्ययन के अन्य विषयों के साथ आध्यात्मिक ज्ञान देने की भी जरूरत है. भागवत ने कहा कि मातृभाषा को बढ़ावा दिया जाना भी जरूरी है.
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा 17 अगस्त से शुरू हुए दो दिवसीय सम्मेलन में शनिवार शाम मोहन भागवत ने 'शिक्षा में भारतीयता' के प्रारूप और आधुनिक परिवेश में इसकी आवश्यकता पर बल दिया और अपने विचार रखे. भागवत ने कहा कि संसार से जितना लिया है उससे ज्यादा संसार को देने का भाव लोगों में हो, ऐसी शिक्षा जरूरी है.
शिक्षा प्रणाली में भारतीयता की जरूरत पर जोर देते हुए भागवत ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति आजीविका चलाने के लिए पढ़ता है तो यह शिक्षा नहीं है. क्योंकि समाज में ऐसे कई उदाहरण हैं जहां अशिक्षित लोगों ने शिक्षित लोगों को नौकरियां दी हैं.
सरसंघचालक ने कहा कि अभी उन्होंने नई शिक्षा प्रणाली का अध्ययन नहीं किया है लेकिन उन्हें पूरी आशा है कि भारतीयता के मूल्यों को शिक्षा में शामिल करने का प्रयास सभी करेंगे.
आध्यात्मिक ज्ञान देने की जरूरत
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि इस धारणा को हमें बदलने की जरूरत है कि सिर्फ अंग्रेजी ज्ञान से ही अच्छा पैसा कमाया जा सकता है. उन्होंने मातृभाषाओं को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि अध्ययन के अन्य विषयों के साथ आध्यात्मिक ज्ञान देने की भी जरूरत है.