नई दिल्ली : निर्वाचन आयोग ने झारखंड में विधानसभा चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान कर दिया है. इसी के साथ झारखंड में चुनाव की आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है. स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए आयोग ने कई नियम बनाए हैं, जिन्हें आदर्श आचार संहिता कहते हैं.
आदर्श आचार संहिता का उद्देश्य सभी राजनीतिक दलों के लिए बराबरी का समान स्तर उपलब्ध कराना, प्रचार अभियान को स्वस्थ्य रखना और राजनीतिक दलों के बीच विवाद को टालना है. सत्ताधारी पार्टी इस दौरान सरकारी मशीनरी का दुरूपयोग नहीं कर सके, इसलिए केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक चुनाव आयोग के कर्मचारी की तरह काम करते हैं. इस दौरान मंत्री या अधिकारी अनुदान, नई योजनाओं की घोषणा, लोकार्पण, शिलान्यास या भूमिपूजन नहीं कर सकते.
जानिए क्या है चुनाव की आदर्श आचार संहिता के नियम सामान्य आचरण के लिए नियम
- राजनीतिक दल या उम्मीदवार जाति, धर्म या भाषा के आधार पर मतभेद नहीं फैलाएंगे.
- आलोचना नीति और काम को लेकर हो, किसी की निजी जिंदगी पर टीका-टिप्पणी नहीं किया जाना चाहिए.
- जाति या धर्म के आधार पर वोट की अपील और धार्मिक स्थलों का इस्तेमाल प्रचार के लिए नहीं करेंगे.
- किसी भी व्यक्ति की अनुमति के बिना उसकी भूमि, भवन और परिसर का इस्तेमाल गलत.
- मतदाताओं को घूस देना या डराना-धमकाना भ्रष्ट आचरण और अपराध माना जाएगा.
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सभा और जुलूस के लिए नियम
- सभा के लिए पुलिस से पहले ही अनुमति लेनी होगी ताकि यातायात और शांति व्यवस्था बनी रहे.
- जुलूस शुरू और समाप्त होने का स्थान और समय पहले से ही तय कर पुलिस को अग्रिम सूचना देंगे.
- मतदान शुरू होने के 48 घंटे पहले से सार्वजनिक सभाओं पर रोक.
मतदान के दिन के लिए नियम
- राजनीतिक दल अपना कैंप या अस्थाई कार्यालय मतकेंद्र से कम से कम 100 मीटर दूर बनाएंगे.
- राजनीतिक दल प्राधिकृत कार्यकर्ताओं को बैज और पहचान पत्र देंगे.
- मतदाताओं को दी जाने वाली पर्ची पर कोई प्रतीक, उम्मीदवार या दल का नाम नहीं होगा.
- मतदान के दिन और इससे 48 घंटे पहले शराब देने या बांटने से दूर रहेंगे.
- मतदाताओं के छोड़कर, ऐसा कोई व्यक्ति बूथ के भीतर प्रवेश नहीं करेगा, जिसके पास चुनाव आयोग का कोई मान्य पास नहीं है.
यदि कोई राजनीतिक दल या उम्मीदवार आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करता है तो चुनाव आयोग उम्मीदवार को चुनाव लड़ने से रोक सकता है और उसके खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज कराया जा सकता है. आचार संहिता के उल्लंघन में जेल जाने तक के प्रावधान भी हैं. आचार संहिता के उल्लंघन पर नजर रखने के लिए चुनाव आयोग पर्यवेक्षक भी नियुक्त करता है. इसके साथ ही सी-विजिल ऐप के जरिए आम लोग भी इसकी शिकायत कर सकते हैं.