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प्रवासियों का दर्द : जब नहीं थे पैसे, तो बेचनी पड़ी सुहाग की निशानी

प्रवासी मजदूरों की अपने गृह राज्य लौटने की जद्दोजहद जारी है. ऐसे में बेंगलुरु से कटक अपने गांव वापस आ रहे मजदूरों ने जब आपबीती सुनाई, तो सुनने वाले भावुक हो उठे...

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प्रवासियों का दर्द : जब नहीं थे पैसे, तो बेचनी पड़ी सुहाग की निशानी

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Published : Jun 2, 2020, 12:13 PM IST

Updated : Jun 2, 2020, 3:07 PM IST

भुवनेश्वर : एक तरफ लॉकडाउन, तो दूसरी ओर परिवार की चिंता. जी हां! घर लौटने की प्रवासी मजदूरों की जद्दोजहद अब भी जारी है. इतना ही नहीं, घर लौटने के लिए इन मजदूरों की दास्तां सुनकर कोई भी भावुक हो उठेगा. दरअसल ओडिशा के कटक जिले में साइकिल यात्रा कर घर लौट रहे प्रवासियों की पीड़ा को जिस किसी ने भी सुना, वह भावुक हो गया.

कटक के सामाजिक कार्यकर्ताओं की नजर जब इन तीन मजदूरों पर पड़ी, तो उन्होंने इन प्रवासियों को पिकअप वाहन द्वारा घर भेजने की व्यवस्था की.

पत्रकारों से बातचीत में जो बात निकलकर सामने आई, वह वाकई में बड़ी मार्मिक थी. इन प्रवासियों ने बताया कि इनमें से एक की पत्नी ने साइकिल का इंतजाम करने के लिए पति को मंगलसूत्र बेचने के लिए विवश किया क्योंकि उनके पास घर लौटने के पैसे नहीं थे.

घर लौटे आर्थिक तंगी झेल रहे मजदूर.

उन्होंने बताया कि वह बेंगलुरु में काम करते हैं, जहां से वह अपने घर कटक (ओडिशा) वापस आ रहे हैं.

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एक प्रवासी चंदन ने बताया कि उन्होंने दो महीनों से पैसे नहीं कमाए और कोरोना के चलते लगे लॉकडाउन से उन्हें गंभीर वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा. उनके पास एक अंतिम उपाय पत्नी का मंगलसूत्र ही बचा, जिसे पत्नी के मजबूर करने पर 15,000 रुपयों में उन्होंने बेचा, इसके बाद वह बेंगलुरु से भद्रक के बसुदेवपुर के लिए रवाना हो गए.

इस बीच सामाजिक कार्यकर्ताओं की नजर जब इन प्रवासियों पर पड़ी, तो उन्होंने इनके खाने-पीने की व्यवस्था कर उनके मूल स्थान तक पहुंचाने के लिए पिक-अप ट्रप की भी व्यवस्था की.

Last Updated : Jun 2, 2020, 3:07 PM IST

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