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मेरा मुख्य लक्ष्य अपने पदक का रंग बदलना है : मैरी कॉम - मैरी कॉम का लक्ष्य

मैरी कॉम ने लंदन ओलंपिक-2012 में कांस्य पदक जीता था और इसी के साथ वह ओलंपिक में पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला मुक्केबाज बनीं थीं. इस बार उनका लक्ष्य अगले साल टोक्यो ओलंपिक में अलग रंग का ओलंपिक पदक जीतना है. जानें विस्तार से...

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एमसी मैरीकॉम (फाइल फोटो)

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Published : May 21, 2020, 1:00 AM IST

नई दिल्ली : लंदन ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता एमसी मैरीकॉम ने कहा है कि इस समय उनका एक मात्र लक्ष्य अगले साल टोक्यो ओलंपिक में अलग रंग का ओलंपिक पदक जीतना है.

मैरी कॉम ने लंदन ओलंपिक-2012 में कांस्य पदक जीता था और इसी के साथ वह ओलंपिक में पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला मुक्केबाज बनी थीं.

मैरी कॉम ने ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर लिया है.

मैरी ने एक शो में कहा, 'मैं जब भी रिंग में होती हूं मुझसे कई तरह की उम्मीदें की जाती हैं और वो मेरे दिमाग में रहती हैं. मैं कई बार यह सोच कर रात-रात भर नहीं सो पाती कि मैं अपने अंदर सुधार करने को लेकर क्या करूं, मैं अपनी कमजोरियों पर काम कैसे करूं और बाकी चीजें.'

उन्होंने कहा, 'मेरे लिए जो दुआएं की जाती हैं उनकी बदौलत मैं अभी तक सफल हूं. मैं अभी भी अपनी स्ट्रेंथ, स्टेमिना, स्पीड और एंड्यूरेंस पर काम कर रही हूं. इस समय मेरा मुख्य लक्ष्य अपने पदक का रंग बदलना है.'

छह बार की विश्व विजेता मुक्केबाज ने कहा कि उन्हें लंदन ओलंपिक की तैयारी के लिए पुरुष मुक्केबाजों के साथ अभ्यास करना पड़ा था ताकि वो 51 किलोग्राम भारवर्ग में खेल सकें.

मैरी कॉम आमतौर पर 48 किलोग्राम भारवर्ग में खेलती हैं लेकिन एमेच्योर अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ (एआईबीए) ने इस भारवर्ग को ओलंपिक में से हटा दिया है.
इसलिए उन्होंने 51 किलोग्राम भारवर्ग में शिफ्ट किया था और 2010 एशियाई खेलों में कांस्य जीता था. इसके बाद वो ओलंपिक पदक जीतने में सफल रही थीं.

उन्होंने कहा, 'उस समय मेरे पास 51 किलोग्राम भारवर्ग का अनुभव नहीं था. एक साल पहले ही मैंने अपनी कैटेगरी में शिफ्ट किया था. मैंने अपने सभी विश्व चैम्पियनशिप पदक 48 किलोग्राम भारवर्ग में ही जीते हैं.'

उन्होंने कहा कि 51 किलोग्राम में मुझे अपने से लंबे मुक्केबाजों का सामना करना होता था और उनकी पहुंच भी अच्छी रहती थी. भारत में उस तरह की लंबाई की ज्यादा मुक्केबाज नहीं हैं. इसलिए 2012 ओलंपिक के लिए मुझे पुरुषों के साथ अभ्यास करना होता था.

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