नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के विरोध में अभी प्रदर्शनों का दौर थमा भी नहीं था कि सरकार ने राष्ट्रीय जानसंख्या पंजी (NPR) को कैबिनेट से मंजूरी देते हुए इसके लिए भी प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा कर दी है. ऐसे में वामपंथी दलों ने एक बार फिर से देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है.
एक जनवरी से सात जनवरी तक देश की सभी पांच प्रमुख वामपंथी पार्टियां NRC, CAA, और NPR के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करेंगी.
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPI-M) के महासचिव सीताराम येचुरी ने बताया की देश के अलग-अलग राज्यों के 13 मुख्यमंत्रियों ने CAA और NRC को खारिज कर दिया है. उन्होंने कहा है की वो अपने राज्यों में इसे लागू नहीं होने देंगे. इसके अलावा छात्र और आम जनता भी सड़कों पर लगातार विरोध प्रदर्शन कर रही है, लेकिन मोदी सरकार को उनकी आवाजें सुनाई नहीं दे रही हैं.
उन्होंने आगे कहा अभी NPR के विरोध में भी दो दलों ने अपनी बात कही है और खुद एनडीए के कई घटक दलों ने भी अपनी असहमति सार्वजनिक तौर पर जाहिर कर दी है. ऐसे में सरकार को अब विचार करना चाहिए की वह क्या गलत कर रहे हैं.