पटना : नेता, जो चुनाव जीतकर एमएलए या एमपी बनता है और फिर कानून बनाता है. जब वो ही कानून के लपेटे में हो, तो क्या कहा जा सकता है. ऐसे में एमपी-एमएलए पर काफी लंबे समय तक केस लंबित रहते हैं. बिहार और देशभर में ऐसे ही 'लॉ मेकर्स' पर संगीन मामले दर्ज हैं. 10 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने विधायकों और सांसदों पर लंबित आपराधिक मामलों को लेकर हाई कोर्ट से डेटा मांगा.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने हैरानी जताई. सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान ये बात निकलकर सामने आई कि इस समय पूर्व और वर्तमान सांसदों/विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है. वर्तमान में देशभर में 4 हजार 859 केस दर्ज हैं, जबकि मार्च 2020 में इनकी संख्या 4 हजार 442 थी. इस लिस्ट में यूपी और बिहार में सबसे ज्यादा एमपी-एमएलए पर केस दर्ज हैं. कई मामले 40 साल पुराने हैं.
एससी में सबमिट रिपोर्ट के मुताबिक
- सांसदों और विधायकों के खिलाफ कुल मामलों की संख्या 4 हजार 859 है.
- उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 1 हजार 374 मामले हैं.
- इसके बाद बिहार में 557 और ओडिशा में 445 मामले हैं.
कानून के शिकंजे में बिहार के 'लॉ मेकर्स'
बिहार में विधानसभा चुनाव हैं, ऐसे में उन दागी नेताओं पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं. लिहाजा, कोर्ट में हुई सुनवाई के बाद इनका जिक्र करना भी जरूरी हो जाता है. चलिए जानते हैं बिहार के ऐसे बड़े लॉ मेकर्स के बारे में, जिनके ऊपर दर्जनों केस चल रहे हैं. इस समय या तो वो जेल में हैं या जमानत पर रिहा हैं.
राजबल्लभ यादव (पूर्व एमएलए -आरजेडी)
फरवरी 2016 को आरजेडी विधायक एक नाबालिग से दुष्कर्म करने के मामले में उनके गृह आवास बिहार शरीफ से गिरफ्तार किया गया. यादव पर 376 और पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया. इस समय राजबल्लभ सजायाफ्ता है. उसे उम्र कैद की सजा सुनाई गई है. 24 नवंबर 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाई कोर्ट से दी गई बेल को रद्द कर दिया था.
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रामा किशोर सिंह ( पूर्व एमपी- एलजेपी)
2014 में वैशाली लोकसभा सीट पर जीत दर्ज कर सांसद बने रामा किशोर सिंह पर हत्या, मर्डर, लूट और रंगदारी जैसे कई संगीन मामले दर्ज हैं. 25 अगस्त 2004 को देसरी थाना के सहदेई बुजुर्ग ओपी क्षेत्र के चकेयाज गांव के चंद्रमा सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी. इस हत्याकांड में रामा सिंह को मुख्य आरोपी बनाया गया था. अपराध की सीमा यहीं तक नहीं है.
- 29 मार्च 2001 को दुर्ग जिले के कुम्हारी से पेट्रोल पंप मालिक जयचंद वैद अपहरण केस के मुख्य आरोपी रहे हैं.
- 2 फरवरी 1989 को जमशेदपुर के जुगसलाई थाना से कुछ दूरी पर कांग्रेस नेता प्रदीप मिश्रा, आनंद राव और जनार्दन चौबे की हत्या कर दी गई. इस हत्याकांड में रामा सिंह आरोपी रहे.
- हालांकि, कई मामलों में रामा सिंह को कोर्ट ने बरी कर दिया है.
अनंत सिंह ( मोकामा विधायक)
वर्तमान में मोकामा से निर्दलीय विधायक अनंत सिंह पर हत्या, रंगदारी, लूट और आर्म्स एक्ट जैसे कई संगीन मामले दर्ज हैं. फिलहाल, वो आर्म्स एक्ट मामले में सजायाफ्ता हैं. इस चुनाव अनंत सिंह अपनी सीटिंग सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.
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अनंत सिंह पर दर्ज मामले
- 08 जनवरी 2008 को संजय नाम के शख्स की हत्या का आरोप
- 8 फरवरी 2018 को रामजन यादव हत्याकांड के मुख्य आरोपी रहे अनंत सिंह.
- अगस्त 2004 में छापेमारी करने गई एसआईटी की टीम से मुठभेड़. इस एनकाउंटर में एक पुलिसकर्मी शहीद हो गया.
- 16 अगस्त 2019 को एके-47 और दो हैंड ग्रेनेड की बरामदगी
- इस बार नामांकन के दौरान हलफनामे में अनंत सिंह ने अपने ऊपर दर्ज 38 केस का जिक्र किया है.
अरुण यादव (आरजेडी विधायक)
बिहार के भोजपुर जिले की संदेश विधानसभा सीट से विधायक अरुण यादव पर नाबालिग लड़की से दुष्कर्म और देह व्यापार का मामला दर्ज है. इसके बाद से अरुण यादव फरार है. पुलिस लगातार उसकी तलाश में छापेमारी कर रही है.
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आनंद मोहन सिंह (पूर्व सांसद)
लॉ मेकर्स का कानून के शिकंजे में फंसे होने की फेहरिस्त में एक नाम आनंद मोहन सिंह का भी आता है. आनंद मोहन सिंह 14 साल से सहरसा जेल में बंद हैं. उनके ऊपर 1994 में गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया की हत्या का आरोप लगाया गया. आनंद मोहन दो बार सांसद रह चुके हैं. उनकी गिनती बाहुलबलियों में की जाती है.
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सूरजभान सिंह (एलजेपी नेता)
बिहार की जरायम की दुनिया में एक नाम आता है सूरजभान सिंह का. 2000 विधानसभा चुनाव में निर्दलीय विधायक बने सूरजभान, 2004 में एलजेपी से सांसद चुने गये. लेकिन उससे पहले उनके ऊपर कई मामले दर्ज किये गये.
रामी सिंह हत्याकांड के मुख्य आरोपी
जनवरी 1992 को बिहार के बेगूसराय के मधुरापुर गांव की रामी सिंह की हत्या के मुख्य आरोपी सूरजभान थे. निचली कोर्ट ने सूरजभान को अजीवन कारावास की सजा सुनाई.
पूर्व मंत्री बृज बिहारी हत्याकांड
3 जून 1998 को राबड़ी देवी सरकार के तत्कालीन विज्ञान और प्रोद्यौगिकी विभाग मंत्री बृज बिहारी प्रसाद की हत्या कर दी गई. इस हत्याकांड में यूपी को डॉन श्री प्रकाश शुक्ला के साथ सूरजभान सिंह को भी अभियुक्त बनाया गया.
- निचली अदालत ने सूरजभान को 2009 में आजीवन कारावास और अर्थदंड की सजा सुनाई लेकिन बाद में वो बरी हो गए.