हैदराबादः 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने राज्य सभा में एक विधेयक पेश किया, जिसमें जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति को रद्द कर दिया गया और केंद्रशासित प्रदेश बनाए जाने का प्रस्ताव रखा गया.
यह विधेयक 6 अगस्त 2019 को लोकसभा द्वारा पारित किया गया. 9 अगस्त 2019 को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने विधेयक पर अपनी सहमति दी और यह जम्मू और कश्मीर पुन: संगठन अधिनियम 2019 बन गया. अधिनियम ने राज्य को केंद्रशासित प्रदेश में विभाजित कर दिया. जम्मू कश्मीर में विधानसभा के साथ और लद्दाख बिना विधानसभा के केंद्रशासित प्रदेश बनाए गए. 31 अक्टूबर 2019 को ये केंद्रशासित प्रदेश अस्तित्व में आए.
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि 5 अगस्त 2019 और जुलाई 2020 के बीच देश के भीतरी इलाकों में कोई बड़ा आतंकी हमला नहीं हुआ.
नेताओं की गिरफ्तारी
मुख्यधारा के राजनीतिक दलों के अधिकांश शीर्ष नेताओं जिनमें तीन पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, और महबूबा मुफ्ती शामिल हैं 4 अगस्त, 2019 को गिरफ्तार कर लिए गए. 82 वर्षीय फारूक अब्दुल्ला को 13 मार्च 2020 को सात महीने से अधिक की कैद के बाद रिहा किया गया.
रिपोर्ट में कहा गया है कि करीब 400 लोग अभी भी हिरासत में हैं. इन नेताओं में इश्फाक जब्बार और गुलाम नबी भट (एनसी), बशीर मीर (कांग्रेस), जहूर मीर और यासिर रेशी (पीडीपी) को भी गिरफ्तार किया गया.
रिहा किए गए नेता
25 नवंबर को दो राजनीतिक नेताओं - पीडीपी के दिलावर मीर और डेमोक्रेटिक पार्टी नेशनलिस्ट के गुलाम हसन मीर को नए केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन द्वारा रिहा किया गया.
एनसी के नजीर गुरेजी, पीडीपी के अब्दुल हक खान, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के मोहम्मद अब्बास वानी और कांग्रेस के अब्दुल रशीद को 18 जनवरी 2020 को रिहा किया गया.
पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख सजाद लोन को 31 जुलाई 2020 को हाउस अरेस्ट किया गया था उन्हें एक साल पूरा होने से पांच दिन पहले रिहा किया गया.
मारे गए आतंकवादी
2018- एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2018 में मारे गए 257 आतंकवादियों में से कम से कम 142 स्थानीय थे और शेष 115 विदेशी थे.
2019- साल 2019 में मारे गए 152 आतंकवादियों में से 120 स्थानीय थे.
2020- साल 2020 में कश्मीर में मारे गए 24 आतंकवादियों में से 21 स्थानीय थे.
आतंकवादियों की भर्ती
आतंकवादियों की अनुमानित भर्ती में भी भारी कमी आई है.
2019 - जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में बुधवार रात सुरक्षा बलों ने बड़े पैमाने पर कार बम हमले को रोका, जब उन्होंने 40 से 45 किलो के विस्फोटक ले जा रहे एक वाहन को रोका.
अनुच्छेद 370 के उन्मूलन के बाद से आतंकवाद में शामिल होने वाले कश्मीरी युवकों में 40 प्रतिशत की कमी आई.