पटना :बिहार के गया जिले की पहचान माउंटेन मैन दशरथ मांझी से भी होती है, जिन्होंने 22 वर्षों की कड़ी मेहनत से पहाड़ को तोड़कर रास्ता बनाया था. इसी गया जिले से दोबारा एक लौंगी भुईयां नामक एक व्यक्ति की संघर्ष की कहानी सामने आई है. इमामगंज प्रखंड के रहने वाले लौंगी भुईयां ने 30 वर्षों की कड़ी मेहनत से 5 किलो मीटर लंबी नहर खोद दी. लौंगी के इस अथक प्रयास के बाद गांव की बंजर भूमि अब खेती के लायक हो जाएगी.
गया जिला मुख्यालय से 90 किलोमीटर दूर बांकेबाजार प्रखंड के लुटुआ पंचायत के जंगल में बसा कोठीलवा गांव के लौंगी भुईयां ने 30 सालों तक कड़ी मेहनत कर पहाड़ के पानी संचय कर गांव तक लाने की ठान ली. वह प्रतिदिन घर से जंगल में बकरी चराने जाते थे. उसी बीच वे नहर बनाने का काम भी करते थे.
मेहनत लाई रंग
सिंचाई के अभाव में ग्रामीण सिर्फ मक्का व चना की खेती करते थे. इन दो फसलों से ग्रामीणों का भरण-पोषण नहीं हो पाता था और रोजगार की तलाश में गांव के अधिकतर पुरुष दूसरे प्रदेशों में काम करने चले जाते थे. इसी बीच लौंगी भुईयां बकरी चराने जंगल गए और उसे ख्याल आया कि अगर गांव तक पानी आ जाए, तो लोगों का पलायन रुक जाएगा. खेतों में सभी फसलों का पैदावार होने लगेगा. इसके बाद वह पूरा जंगल घूम कर आए और वहां उन्होंने देखा कि बंगेठा पहाड़ से वर्षा का पानी पहाड़ पर रुक जाता था.
उन्होंने पानी को अपने गांव तक लाने के लिए एक डीपीआर यानी नक्शा तैयार किया. उसी नक्शे के अनुसार दिन में जब भी समय मिलता, वह नहर बनाने में लग जाते. 30 साल बाद उनकी मेहनत रंग लाई और नहर पूरी तरह तैयार हो गई. बारिश के पानी को गांव में बने तालाब में स्टोर कर दिया गया, जहां से लोग सिंचाई के लिए पानी का उपयोग कर रहे हैं. अब गांव के तीन हजार से अधिक लोग लाभान्वित हो रहे हैं.