दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

जानें, लैंडर का नाम 'विक्रम' क्यों रखा गया, कैसे करता है काम - चंद्रयान 2 विक्रम

चंद्रयान-2 चांद पर साफ्ट लैंडिंग करेगा. चंद्रयान को चांद पर लैंड कराने में लैंडर विक्रम की महत्वपूर्ण भूमिका होगी. जानें क्या है लैंडर विक्रम और किस तरह यह काम करता है.

लैंडर विक्रम

By

Published : Sep 7, 2019, 12:05 AM IST

Updated : Sep 29, 2019, 5:38 PM IST

हैदराबाद: चंद्रयान 2 के लैंडर का नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम ए साराभाई के नाम पर रखा गया है. यह चन्द्रमा के एक पूरे दिन काम करने के लिए विकसित किया गया है, जो पृथ्वी के लगभग 14 दिनों के बराबर है. विक्रम के पास बैंगलोर के नजदीक बयालू में भारतीय डीप स्पेस नेटवर्क (आईडीएसएन) के साथ-साथ ऑर्बिटर और रोवर के साथ संवाद करने की क्षमता है. लैंडर को चंद्र सतह पर सफल लैंडिंग करने के लिए डिजाइन किया गया है.

इसका वजन 1471 किलोग्राम है. इसकी विद्युत उत्पादन क्षमता है 650 वॉट.

देखें वीडियो. सौ. @isro

इसरो के अनुसार लैंडर में तीन वैज्ञानिक उपकरण लगे हैं जो चांद की सतह और उप सतह पर वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देगा, जबकि रोवर के साथ दो वैज्ञानिक उपकरण हैं जो चांद की सतह से संबंधित समझ में मजबूती लाने का काम करेंगे. लैंडर चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में दो गड्ढों-'मैंजिनस सी' और 'सिंपेलियस एन' के बीच उतरेगा.

संक्षेप में जानें क्या है चंद्रयान 2 मिशन

  • 2007: चंद्रयान 2 को लेकर रूस से समझौता
  • 2011: रूस ने जताई असमर्थता
  • 2013: भारत ने अकेले पूरा करने का लिया निर्णय
  • 22.07.2019: चंद्रयान 2 मिशन लॉन्च
  • 22.09.2019 विक्रम लैंडर ऑर्बिटर से हुआ अलग

खासियत

  • चंद्रमा के द. ध्रुव पर उतरने वाला पहला अंतरिक्ष यान
  • पूरी तरह से भारतीय तकनीक का प्रयोग
  • चौथा देश है जिसने चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग की
  • चंद्रयान -2, चंद्रयान -1 की अगली कड़ी
  • चंद्रयान 2 की टीम में 30% महिलाएं
  • परियोजना निदेशक एम वनिता और मिशन निदेशक रितु कारिधल
  • रोवर-व्हील पर अशोक चक्र
  • लैंडर पर तिरंगा
  • ऑर्बिटर मिशन एक साल तक जारी रहेगा
  • चांद का एक दिन पृथ्वी के 14 दिन के बराबर
  • इन - सिटु आंकड़े होंगे इकट्ठे
  • पानी के संकेतों के लिए रॉक इमेजिंग का प्रयोग

चंद्रयान 2 का लक्ष्य

  • चंद्रमा के द. ध्रुव की मिलेगी जानकारी
  • चंद्रमा के अस्तित्व में आने की वजह
  • खनिजों का विश्लेषण
  • मौसम संबंधित अध्ययन

पढ़ें-पीएम की अपील- जरूर देखें चंद्रयान-2 की लैंडिंग, फोटो करुंगा रिट्वीट

चंद्रयान 2 मिशन का बजट

  • सैटेलाइट के लिए 603 करोड़ जबकि जीएसएलवी एमके 3 में 375 करोड़

चन्द्रयान -1 का इतिहास

  • 1999 में इंडियन साइंस अकेदमी ने चांद पर मिशन भेजने का लिया फैसला
  • 15 अगस्त 2003 वाजपेयी द्वारा चंद्रयान1 की घोषणा
  • 22 अक्टूबर, 2008 श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान-1 का प्रक्षेपण
  • 8 नवंबर, 2008 चंद्रयान-1 का चन्द्रमा की ट्रांसफर ट्रेजेक्टरी में प्रवेश
  • 14 नवंबर, 2008: दक्षिण ध्रुव के पास दुर्घटनाग्रस्त
  • 28 अगस्त, 2009: चंद्रयान-1 कार्यक्रम की समाप्ति
Last Updated : Sep 29, 2019, 5:38 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details