गुवाहाटी : असम में 31 अगस्त को राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की सूची प्रकाशित होनी है. ऐसे में इससे जुड़े कई पहलुओं की जानकारी जरूरी है. जानें क्या है असम के लिए अहम माने जा रहे NRC का पूरा घटनाक्रम
जरूरतमंदों को मिलेगी कानूनी सहायता
असम सरकार उन जरूरतमंद लोगों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करेगी, जिनके नाम सूची में नहीं होंगे. सरकार के अलावा, राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा तथा विपक्षी कांग्रेस ने भी ऐसे नागरिकों को सहायता मुहैया कराने की घोषणा की है, जिनके नाम एनआरसी से बाहर हैं. असम सरकार ऐसे लोगों को जिला कानूनी सेवा प्राधिकार (डीएलएसए) के जरिए कानून सहायता मुहैया कराएगी.
NRC में नाम नहीं है, फिर भी नहीं होगी गिरफ्तारी
असम के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह एवं राजनीतिक विभाग) कुमार संजय कृष्णा यह साफ तौर पर कह चुके हैं कि राष्ट्रीय नागरिक पंजी सूची में जो लोग शामिल नहीं हो पाएंगे, उन्हें तब तक किसी भी हालत में हिरासत में नहीं लिया जाएगा, जब तक विदेशी न्यायाधिकरण (एफटी) उन्हें विदेशी नागरिक घोषित न कर दे.
आज जारी होगी एनआरसी की अंतिम सूची, जानें विवरण... विदेशी घोषित करने का अधिकार सिर्फ न्यायाधिकरण के पास
विदेशी अधिनियम, 1946 और विदेशी (न्यायाधिकरण) आदेश, 1964 के प्रावधानों के मुताबिक, सिर्फ विदेश न्यायाधिकरण के पास ही किसी व्यक्ति को विदेशी घोषित करने का अधिकार है.
हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में कर सकते हैं अपील
अगर आप न्यायाधिकरण के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं, तो हाईकोर्ट और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकते हैं.
सरकार कितने न्यायाधिकरण बनाएगी
200 विदेशी न्यायाधिकरण स्थापित किए जाएंगे, इसकी अधिसूचना राज्य सरकार जल्द ही जारी करेगी.
इससे पहले कब प्रकाशित हुआ था एनआरसी
इससे पहले एनआरसी राज्य में 1951 में प्रकाशित हुआ था.
कौन कर सकता है नागरिकता का दावा
गौरतलब है कि 24 मार्च 1971 से पहले बांग्लादेश से भारत आए अप्रवासी कानूनी रूप से भारतीय नागरिकता का दावा कर सकते हैं. असम में दशकों से बड़ी संख्या में लोग बांग्लादेश से अवैध तरीके से आ रहे हैं. इसलिए 1985 में हुए असम समझौते की एक शर्त अवैध प्रवासियों की पहचान कर उन्हें बाहर निकालने की है.
सूची में नाम शामिल होने की क्या है शर्त
NRC की सूची में शामिल होने के लिए आपका नाम 1951 में बने पहले नागरिकता रजिस्टर में होना चाहिए. अगर ऐसा नहीं है, तो 24 मार्च 1971 तक की चुनाव सूची में आपका नाम अवश्य होना चाहिए. असम समझौते में यही तिथि रखी गई है.
कौन-कौन से दस्तावेज जरूरी हैं
जन्म प्रमाण पत्र, शैक्षिक प्रमाण पत्र, स्थायी आवास प्रमाण पत्र, भूमि रिकॉर्ड पत्र, किराए का रिकॉर्ड, पासपोर्ट, बैंक खाता, पोस्ट ऑफिस खाता, सरकारी नौकरी का प्रमाण पत्र, एलआईसी पॉलिसी का प्रमाण पत्र और अदालती रिकार्ड.
कब से शुरू हुई एनआरसी की प्रक्रिया
कांग्रेस सरकार ने पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर 2010 में प्रक्रिया शुरू की थी. तब दो जिलों में ही इसे शुरू किया गया था. ये जिला थे बारपेटा और कामरूप. लेकिन बारपेटा में इसे लेकर हिंसा फैल गई. उसके बाद सरकार ने इस काम को रोक दिया. बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इसे दोबारा शुरू किया गया है.
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तिथिवार जानें, कब क्या हुआ था
- 19 जुलाई, 1948 को बड़ी संख्या में शरणार्थी आए, इसके खिलाफ इसी साल अध्यादेश लागू.
- 8 अप्रैल, 1950 को नेहरू और लियाकत अली के बीच समझौता.
- 1 मार्च, 1950 अप्रवासी (असम से निष्कासन) अधिनियम लागू.
- 1951: स्वतंत्र भारत में पहली बार जनगणना, असम में पहली NRC की प्रक्रिया शुरू.
- 30 दिसंबर, 1955: नागरिकता अधिनियम लागू
- 1957: अप्रवासी (असम से निष्कासन) अधिनियम निरस्त.
- 24 अक्टूबर 1960: असमिया एक मात्र आधिकारिक भाषा घोषित, संबंधित विधेयक पारित.
- 19 मई, 1961: बराक घाटी में बंगाली भाषियों का विरोध शुरू.
- 1961-1996: पूर्वी पाकिस्तानी प्रवासियों को असम छोड़ने पर मजबूर किया गया.
- 1964: पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में दंगों के बाद सीमा पार से बंगाली हिंदुओं का पलायन.
- 23 सितंबर, 1964: विदेशी अधिनियम के तहत न्यायाधिकरण गठन का आदेश.
- अप्रैल-सितंबर 1965: भारत-पाक युद्ध, पूर्वी पाकिस्तान से भारत में शरणार्थियों की बाढ़.
- 8 अगस्त, 1967: ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन का गठन.
- 1967: बराक घाटी के तीन जिलों की आधिकारिक भाषा में बंगाली शामिल.
- 1971: बांग्लादेश मुक्ति संग्राम शुरू, बांग्लादेशी शरणार्थियों की संख्या बढ़ी.
- 1978: मंगलदोई संसदीय क्षेत्र के लिए हुए उपचुनाव में मतदाता सूची पर विवाद.
- 26 अगस्त, 1979 : 1979 के संसदीय चुनाव का बहिष्कार, विदेशियों के खिलाफ आंदोलन शुरू.
- दिसंबर 1979: तीन साल तक असम में राष्ट्रपति शासन.
- मई, 1980: ऑल असम माइनॉरिटी स्टूडेन्ट्स यूनियन का गठन.
- 18 फरवरी 1983: नौगांग जिले के नेल्ली समेत 14 गांवों में हिंसा, तीन हजार बंगाली मुस्लिमों का नरसंहार.
- 1983: विरोध और बहिष्कार के बीच विधानसभा चुनाव.
- 12 दिसंबर, 1983: गैर कानूनी अप्रवासी अधिनियम पारित, 24 मार्च 1971 अंतिम तिथि घोषित. इसके बाद आने वाले को विदेशी घोषित किया गया.
- 15 अगस्त, 1985: असम समझौता पर हस्ताक्षर.
- 1997: चुनाव आयोग ने संदिग्ध (डी) वोटर व्यवस्था को अपनाया.
- 2003: नागरिकता (संशोधन) अधिनियम पेश.
- जुलाई 2005: सुप्रीम कोर्ट ने गैर कानूनी अप्रवासी एक्ट को खारिज कर दिया.
- जुलाई 2009: असम का एक एनजीओ, असम पब्लिक वर्क्स ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की.
- जून 2010: एनआरसी को लेकर पायलट प्रोजेक्ट दो जिलों में शुरू.
- जुलाई 2011: एनआरसी के संबंध में नए तौर तरीकों पर विचार. उप समिति का गठन.
- जुलाई 2012: उप समिति की रिपोर्ट को असम कैबिनेट की मंजूरी.
- जुलाई 2013: केन्द्रीय गृह मंत्रालय को उप समिति की रिपोर्ट दी गई.
- अगस्त 2013: एनआरसी को लेकर गिनती की प्रक्रिया तेज करने का आदेश.
- अक्टूबर 2013: प्रतीक हजेला राज्य के समन्वयक नियुक्त किए गए.
- दिसंबर 2013: केन्द्र ने गैजेट नोटिफिकेशन जारी किया.
- 2014: सुप्रीम कोर्ट ने 64 और विदेशियों न्यायाधिकरणों के गठन का दिया आदेश.
- मार्च 2015: लिगेसी डेटा ऑनलाइन प्रकाशित किया गया.
- अगस्त 2015: एनआरसी को अपडेट करने के लिये आवेदन मांगे गये.
- 19 जुलाई, 2016: भारतीय जनता पार्टी ने नागरिकता (संशोधन) विधेयक पेश किया.
- 31 दिसंबर, 2017: नए एनआरसी का पहला मसौदा प्रकाशित.
- मई 2018: नागरिकता (संशोधन) विधेयक के खिलाफ असम में व्यापक विरोध.
- 30 जुलाई, 2018: एनआरसी का अंतिम मसौदा प्रकाशित. 40 लाख लोगों का नाम इस सूची में नहीं था.
- 8 जनवरी, 2019: लोकसभा में नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 पारित.
- 21 जून, 2019: असम पब्लिक वर्क्स ने एनआरसी सूची के पुन: सत्यापन के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई.
- 26 जून, 2019: 1,02,462 लोगों को छोड़कर एनआरसी की अतिरिक्त मसौदा बहिष्करण सूची को प्रकाशित किया गया.
- 19 जुलाई, 2019: पुनः सत्यापन के लिए केन्द्र और राज्य सरकार ने याचिका लगाई.
- 22 जुलाई, 2019: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और असम सरकार की ओर याचिका खारिज कर दी.
- 13 अगस्त, 2019: सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त तक एनआरसी की सूची प्रकाशित करने के दिए आदेश.