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विशेष : क्यों गिरती है आकाशीय बिजली, जानें वज्रपात से जुड़े रोचक तथ्य

बारिश के सीजन में आकाशीय बिजली गिरने की घटनाएं आम हो जाती हैं. आकाशीय बिजली (वज्रपात) गिरने से कई लोगों की मौत भी हो जाती है. बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और झारखंड में बिजली गिरने से करीब 135 लोगों की मौत हो गई. क्या आपने कभी सोचा है कि बिजली गिरने के पीछे क्या कारण है और यह कैसे बनती है, जानें, बिजली गिरने से जुड़े तथ्य और जानकारियां...

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आकाशीय बिजली

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Published : Jun 26, 2020, 5:43 PM IST

Updated : Jun 26, 2020, 7:15 PM IST

हैदराबाद : बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल में हाल ही में बिजली गिरने से 135 लोगों की जान चली गई, जिसमें सबसे ज्यादा 105 मौतें बिहार के 24 जिलों में हुई हैं. वहीं उत्तर प्रदेश में 24, झारखंड में आठ और पश्चिम बंगाल में तीन लोगों की मौत हुई. मौसम विभाग ने अगले तीन दिनों तक बिहार के 18 जिलों में भारी बारिश और बिजली गिरने का अलर्ट जारी किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चारों राज्यों में हुई मौतों पर दुख व्यक्त किया है और उन्होंने कहा कि राज्य सरकारें राहत कार्य में लगी हुई हैं.

राज्य प्रभावित जिले मौतें
बिहार 24 105 (अब तक)
उत्तर प्रदेश 8 24
झारखंड 2 8
पश्चिम बंगाल 2 5

बिजली के बारे में रोचक तथ्य :-

  1. पृथ्वी पर हर दिन लगभग 80 से 90 लाख बार बिजली गिरती है. बिजली गिरने पर तापमान तुरंत 27 हजार 760 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है. एक सामान्य बिजली में 100 मिलियन वोल्ट बिजली का उत्पादन होता है, यदि लंबाई में मापा जाए तो यह 8 किलोमीटर तक होती है.
  2. यह घटना एक स्थिर विद्युत चिंगारी जैसी दिखाई देती है, लेकिन वास्तव में बहुत बड़ी होती है. लाइटनिंग लगभग 27000 डिग्री सेल्सियस पर होती है, जो सूरज की सतह से छह गुना अधिक गर्म होती है.
  3. बिजली अद्भुत नहीं, खतरनाक होती है. हर साल बिजली गिरने से दुनिया भर में लगभग 2,000 लोगों की मौत हो जाती है.
  4. कई लोग जो आकाशीय बिजली गिरने के बाद जीवित बचते हैं, उन्हें मेमोरी लॉस, चक्कर आना, कमजोरी जैसी अन्य परेशानियां होती हैं.
  5. देश में 2010 से 2018 के बीच 22,027 लोगों की आकाशीय बिजली गिरने से मौत हो चुकी है, यानी हर साल औसतन 2447 लोग बिजली गिरने से अपनी जान गंवा चुके हैं.

आकाशीय बिजली के कारण

  • जलवायु परिवर्तन और अन्य प्राकृतिक आपदाएं आकाशीय बिजली गिरने का मुख्य कारण हैं.
  • आकाशीय बिजली गिरने के समय लोग पेड़ों के नीचे खड़े हो जाते हैं. इससे लगभग 71 प्रतिशत मौतें हुई हैं.
  • बिजली गिरने के समय बरतने वाली सावधानियों के बारे में जानकारी नहीं होना.
  • आपदा प्रबंधन इकाई की गतिविधियां जमीनी स्तर तक नहीं पहुंच पाई हैं.

बिजली गिरना प्राकृतिक आपदा

बिजली गिरना एक प्राकृतिक आपदा है. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के अनुसार, राज्य की जिम्मेदारी नागरिकों को प्राकृतिक आपदा से बचाने की है. राज्य को अपने नागरिकों की रक्षा करनी चाहिए. यदि यह संभव नहीं हो पाता है तो पीड़ित परिवार को मुआवजा दिया जाना चाहिए. पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय ने हाल ही में इसका आदेश दिया है. उच्च न्यायालय ने स्वीकार किया है कि आकाशीय बिजली एक प्राकृतिक आपदा है. इसे सुनामी और भूकंप की तरह माना जाना चाहिए.

आकाशीय बिजली कैसे बनती है?

बिजली एक विद्युत प्रवाह है. इस विद्युत प्रवाह में बादलों की भी भूमिका होती है. जब जमीन गर्म होती है, तो हवा को गर्म करती है. जैसे ही यह गर्म हवा जमीन से ऊपर आती है, भाप ठंडी होती है और बादल बनते हैं. जब हवा बढ़ती रहती है, तो बादल और बड़ा हो जाता है. बादलों के ऊपर तापमान बहुत ठंडा होता है और भाप बर्फ में बदल जाती है.

इसके बाद बादलों में गड़गड़ाहट होती है. इससे बर्फ के छोटे-छोटे टुकड़े एक-दूसरे से टकराते हैं. इनके टकराने से विद्युत आवेश (इलेक्ट्रिक चार्ज) बनता है जिससे पूरा बादल विद्युत आवेशों से भर जाता है. हल्के आवेशित कण (पॉजिटिवली चार्जड पार्टिकल्स) बादल के ऊपर बनते हैं. वहीं भारी नकारात्मक रूप से आवेशित कण (नेगेटिवली चार्जड पार्टिकल्स) बादल के नीचे बैठ जाते हैं.

जब पॉजिटिवली और नेगेटिवली चार्जड पार्टिकल्स काफी बड़े हो जाते हैं, तो इनके बीच एक विशाल चिंगारी या बिजली बनती है.

पढ़ें-जम्मू-कश्मीर : आकाशीय बिजली गिरने से सेना के जवान की मौत

भारतीय उष्णकटिबंधीय प्रबंधन संस्थान (IITM) की रिपोर्ट :-

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मैनेजमेंट (IITM) द्वारा जारी किए गए डेटा ऑफ लाइटनिंग (थंडरक्लैप) के अनुसार, यह स्पष्ट हो जाता है कि झारखंड में बिहार की तुलना में बिजली गिरने की घटनाओं की संख्या दोगुनी थी. हालांकि, झारखंड में मृतकों की संख्या बिहार से कम थी. यह स्पष्ट है कि लोग इससे बचाव के तरीकों के बारे में नहीं जानते हैं. भारतीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत काम करने वाले संगठन आईआईटीएम की रिपोर्ट में कहा गया है कि 26 जून को अधिकांश मौतें खेतों और खुली जगहों में हुईं.

वज्रपात से कैसे बचें :-

  • एक मजबूत छत के साथ पक्का घर बिजली के दौरान सबसे सुरक्षित है.
  • घरों में लाइटनिंग ड्राइवर्स लगवाएं.
  • बिजली के उपकरणों को बंद कर दें.
  • यदि वाहन पर सवार हैं, तो तुरंत सुरक्षित स्थान पर जाएं.
  • बिजली के पोल, टेलीफोन और टीवी टॉवर से दूर रहें.
  • कपड़े सुखाने के लिए तार का उपयोग न करें, जूट या कपास की रस्सी का उपयोग करें.
  • किसी पेड़ के नीचे न खड़े हों.
  • यदि जंगल में हैं तो बौने (कम लंबे पेड़) और घने पेड़ों के नीचे खड़े हो जाएं.
  • दलदल और जल निकायों से दूर रहने की कोशिश करें.
  • गीले खेतों में हल या जुताई करने वाले किसान और मजदूर सूखे स्थानों पर जा सकते हैं.
  • तांबे के तार को ऊंचे पेड़ के तने या टहनियों में बांधकर जमीन में गहरा दबा दें जिससे पेड़ सुरक्षित हो जाए.
  • कभी भी फर्श या जमीन पर नंगे पैर न खड़े हों, तेज गर्जन के दौरान मोबाइल और छतरी का उपयोग न करें.
  • बारिश और तूफान के दौरान तुरंत घर से बाहर न निकलें. यह देखा गया है कि गरज और तेज बारिश के बाद 30 मिनट तक बिजली गिरती है.
  • यदि आप भारी बारिश में फंस गए हैं, तो अपने हाथों को अपने घुटनों पर और अपने सिर को अपने घुटनों के बीच रखें. इससे शरीर को कम से कम नुकसान होगा.
  • घरों के दरवाजे और खिड़कियों को ढंक कर रखें.
  • बादल गरजने और बारिश के दौरान घर के नल, टेलीफोन, टीवी और फ्रिज आदि को न छुएं.

बिहार में इतनी मौतें क्यों ?

बिहार में पिछले 24 घंटों में आकाशीय बिजली गिरने से 105 लोगों की मौत हो गई है. पिछले चार वर्षों में बिहार में वज्रपात से मौत के आंकड़े :-

वर्ष मौतें
2016 107
2017 180
2018 139
2019 172
2020 208 अब तक)

किसान इन दिनों खेतों में खरीफ की फसल बोने या मक्का और मूंग की कटाई के लिए काम कर रहे हैं. धान की रोपाई जून-जुलाई के महीने में भी की जाती है. वहीं उत्तर बिहार में हर साल बाढ़ आती है. इन इलाकों में किसान खेतों में काम करते हैं और झोपड़ियों और कच्चे मकानों में रहते हैं, जिनमें बिजली गिरने से कई लोगों की मौत हो जाती है.

पढ़ें -असम में बिजली गिरने से एक ही परिवार के पांच लोगों की मौत

नेपाल के तराई, उत्तर और मध्य बिहार, पश्चिमी चंपारन, पूर्वी चंपारन, गोपालगंज, सीवान, शिवहर, सीतामढ़ी, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, सारण, मधुबनी, सुपौल, अररिया, सहरसा, मधेपुरा, पूर्णिया, किशनगंज में मानसून के सीजन में तेज बारिश होती है. वहीं ऐसे में आकाशीय बिजली गिरती है और खेतों में काम करने वाले किसानों की मौत हो जाती है.

बिजली क्यों गिरती है?

मानसून के दौरान पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों में कम दबाव का क्षेत्र जल्दी बनता है. इसके कारण नेपाल के पहाड़ी मैदानी क्षेत्रों में कम दबाव के क्षेत्र बनने और नदियों के होने से नमी बढ़ी जाती है. इसके बाद आंधी आती है, जो तूफान में बदल जाती है. इसी कारण बिजली लगातार गिरती रहती है. वर्तमान में, बंगाल की खाड़ी से आ रही नम और राजस्थान की शुष्क हवाएं उत्तर बिहार के सीमावर्ती क्षेत्रों में लगभग 3.5 किमी की ऊंचाई पर पहुंच रही हैं. इस कारण बिजली कड़क रही है और गरज के साथ बारिश हो रही है.

बिहार सरकार ने दिए निर्देश...

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक दिन में बिजली गिरने से हुई मौतों पर दुख व्यक्त किया है. उन्होंने मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की है. उन्होंने लोगों से खराब मौसम में सतर्क रहने, आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा जारी निर्देशों का पालन करने, बारिश के दौरान घर के अंदर रहने और सुरक्षित स्थानों पर रहने की अपील की है.

बिहार सरकार द्वारा किए उपाए

आपदा प्रबंधन विभाग (डीएमडी) राज्य भर में आकाशीय बिजली का पता लगाने वाले 45 सेंसर लगाए जाएंगे जो लोगों को आंधी और बिजली के बारे में चेतावनी देगें.

बारिश के मौसम में गिरने वाली आकाशीय बिजली की सटीक जानकारी देने के लिए दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय (CUSB) में लाइटमिंग लोकेशन नेटवर्क स्थापित किया गया है. इससे दो सौ किलोमीटर के दायरे में बिजली गिरने की प्रारंभिक चेतावनी 20 से 30 मिनट पहले जारी की जाएगी. इससे लोगों और मवेशियों की जान बचाई जा सकेगी.

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आकाशीय बिजली से लोगों की जान बचाने के लिए पिछले साल अगस्त में सरकार ने अर्थ नेटवर्क कंपनी के साथ चार साल का एक समझौता किया है. इस कंपनी ने इंद्रवज्र ऐप बनाया है, जिसे प्लेस्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है. यह ऐप एंड्रॉइड मोबाइल उपभोक्ताओं को बिजली गिरने से 30-45 मिनट पहले अलर्ट कर देगा. इसके लिए फोन में जीपीएस चालू होना चाहिए.

Last Updated : Jun 26, 2020, 7:15 PM IST

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