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मंदिरों को न खोलने पर भड़कीं कंगना, कहा- महाराष्ट्र में 'गुंडा' सरकार

महाराष्ट्र में बार और रेस्टोरेंट खुल चुके हैं लेकिन मंदिरों को बंद रखा गया है. इस विषय को लेकर सियासी घमासान के बीच कंगना रनौत ने उद्धव सरकार पर निशाना साधा है.

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Published : Oct 13, 2020, 6:19 PM IST

Updated : Oct 13, 2020, 7:17 PM IST

मुंबई : महाराष्ट्र में धार्मिक स्थलों को खोलने को लेकर जारी सियासी घमासान के बीच अब फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत कूद पड़ी हैं. उन्होंने उद्धव सरकार को गुंडा का सरकार बताते हुए कहा है कि सोनिया सेना, बाबर सेना से भी बुरा व्यवहार कर रही है.

कंगना ने ट्वीट किया, यह जानकर अच्छा लगा कि माननीय गवर्नर महोदय ने गुंडा सरकार से पूछताछ की है. गुंडों ने बार और रेस्टोरेंट खोल दिए हैं, लेकिन रणनीतिक रूप से मंदिरों को बंद रखा है. कंगना ने लिखा, सोनिया सेना, बाबर सेना से भी बुरा व्यवहार कर रही है.

कंगना का ट्वीट

बता दें कि महाराष्ट्र में मंदिर खोलने की मांग को लेकर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखा था. जिस पर सीएम ने अपना जवाब दिया है.

सीएम ठाकरे का राज्यपाल कोश्यारी को जवाब

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्यपाल बी एस कोश्यारी को सूचित किया है कि राज्य में कोविड-19 संबंधी हालात की पूरी समीक्षा के बाद धार्मिक स्थलों को पुन: खोलने का फैसला किया जाएगा.

ठाकरे ने कोश्यारी के सोमवार को लिखे पत्र के जवाब में मंगलवार को पत्र लिखकर कहा कि राज्य सरकार इन स्थलों को पुन: खोलने के उनके अनुरोध पर विचार करेगी.

कोश्यारी ने अपने पत्र में कहा था कि उनसे तीन प्रतिनिधिमंडलों ने धार्मिक स्थलों को पुन: खोले जाने की मांग की है.

ठाकरे ने अपने जवाब में कहा कि यह संयोग है कि कोश्यारी ने जिन तीन पत्रों का जिक्र किया है, वे भाजपा पदाधिकारियों और समर्थकों के हैं.

कोश्यारी आरएसएस से जुड़े रहे हैं और भाजपा के उपाध्यक्ष रह चुके हैं. उन्हेंने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा था, 'क्या आप अचानक धर्मनिरपेक्ष हो गए हैं?

इसके जवाब में ठाकरे ने सवाल किया कि क्या कोश्यारी के लिए हिंदुत्व का मतलब केवल धार्मिक स्थलों को पुन: खोलने से है और क्या उन्हें नहीं खोलने का मतलब धर्मनिरपेक्ष होना है.

ठाकरे ने कहा, क्या धर्मनिरपेक्षता संविधान का अहम हिस्सा नहीं है, जिसके नाम पर आपने राज्यपाल बनते समय शपथ ग्रहण की थी.

उन्होंने कहा, लोगों की भावनाओं और आस्थाओं को ध्यान में रखने के साथ साथ, उनके जीवन की रक्षा करना भी अहम है. लॉकडाउन अचानक लागू करना और समाप्त करना सही नहीं है.

राज्यपाल के पत्र पर संजय राउत का पलटवार: हमें हिंदुत्व पर पाठ की जरूरत नहीं

वहीं शिवसेना के सांसद संजय राउत ने कहा कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को सिर्फ यह देखना चाहिए कि महाराष्ट्र में संविधान के अनुसार शासन चल रहा है या नहीं तथा बाकी चीजों की देखभाल के लिए लोगों द्वारा एक निर्वाचित सरकार है.

राज्य में उपासना स्थलों को खोलने को लेकर कोश्यारी द्वारा मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखने और उस पर ठाकरे के जवाब के आलोक में राउत ने यहां संवाददाताओं से कहा कि शिवेसना का हिंदुत्व दृढ है और मजबूत बुनियाद पर टिका है तथा उसे इस पर किसी से पाठ की जरूरत नहीं है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस बयान, कि अब भी कोविड-19 का खतरा बना हुआ है, का हवाला देते हुए राउत ने कहा कि स्वास्थ्य चिंता के मद्देनजर लोगों की सुरक्षा का ख्याल रखना ठाकरे की जिम्मेदारी है और राज्यपाल को तो यह काम अच्छी तरह करने के लिए ठाकरे की प्रशंसा करनी चाहिए.

मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में कोश्यारी ने कहा कि उन्हें प्रतिनिधिमंडलों से तीन प्रतिवेदन मिले हैं जिनमें धर्मस्थलों को खोले जाने की मांग की गयी है.

उन्होंने पत्र मे लिखा है, क्या आप अचानक धर्मनिरपेक्ष हो गये?

राउत ने कहा, कोश्यारी राज्य के संवैधानिक प्रमुख हैं. उन्हें यह देखना है कि राज्य में शासन संविधान के अनुसार चल रहा है या नहीं. बाकी बातों के लिए लोगों द्वारा निर्वाचित सरकार है. वह निर्णय लेती है.

शिवसेना नेता ने कहा कि इसी प्रकार महाराष्ट्र में लोगों द्वारा निर्वाचित सरकार, मुख्यमंत्री एवं मंत्रिपरिषद है जो कोविड-19 संकट पर गौर करके यह तय करेगी कि राज्य में पाबंदियों में कैसे ढील दी जाए.

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राज्यपाल द्वारा मुख्मयंत्री से यह सवाल करने पर कि क्या वह धर्मनिरपेक्ष हो गये हैं, राउत ने कहा कि क्या कोश्यारी धर्मनिरपेक्ष नहीं हैं.

Last Updated : Oct 13, 2020, 7:17 PM IST

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