भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा मंगलवार की साम गुंडिचा मंदिर पहुंच गई. इस साल कोरोना महामारी के कारण प्रशासन के दिशानिर्देशों का पालन कर इस यात्रा को पूरा किया गया. जिसमें बहुत ही कम श्रद्धालु शामिल हुए. रथयात्रा के दौरान भक्तों ने सारे नियमों का पालन कर इसे सम्पन्न कराया. प्रभु जगन्नाथ अब बड़े भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा के साथ सात दिनों तक गुंडिचा मंदिर में निवास करेंगे.
गुंडिचा मंदिर पहुंची भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा
17:16 June 23
गुंडिचा मंदिर पहुंची भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा
16:37 June 23
रथयात्रा के दौरान 'उत्कल' का विमोचन करते सीएम नवीन पटनायक
ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक ने अपने कार्यालय से जगन्नाथ रथयात्रा का सीधा प्रसारण देखा. उन्होंने राज्य सरकार की पत्रिका 'उत्कल' प्रसंग के विशेष रथ यात्रा का विमोचन भी किया.
12:09 June 23
भगवान जगन्नाथ का रथ गुंडिचा मंदिर के लिए रवाना
भगवान जगन्नाथ का रथ गुंडिचा मंदिर के लिए रवाना हो चुका है. बताते चलें, इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने दिशानिर्देश जारी किए थे कि रथ खींचने में अधिकतम 500 लोग ही शामिल होने चाहिए.
11:12 June 23
पुरी नरेश ने तीनों रथों पर स्वर्णजड़ित झाड़ू से पूरी की छेरा पहरा की रस्म
10:28 June 23
स्थानीय निवासी ने बताया रथ यात्रा का विवरण
पुरी के स्थानीय निवासी शरत मोहंती ने रथ यात्रा को लेकर विस्तृत जानकारी ईटीवी भारत से साझा की.
09:11 June 23
ढोल बाजों के साथ भगवान को रथ तक ले जाया गया
रथ यात्रा अब से बस कुछ ही देर में शुरू हो जाएगी. यात्रा शुरू होने से पहले भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र को रथ पर सवार किया गया. बता दें ढोल बाजों के साथ भगवान को रथ तक ले जाया गया.
08:47 June 23
रेत कलाकार सुदर्शन पटनायक ने उकेरी भगवान जगन्नाथ की आकृति
ओडिशा के मशहूर रेत कलाकार सुदर्शन पटनायक ने रेत से सुंदर कलाकृति बनाई.
08:34 June 23
फूलों से सजाया जा रहा मंदिर
मंदिर को फूलों से सजाया जा रहा है. इसके साथ ही जितने लोगों को इस यात्रा में शामिल होने की इजाजत मिली है, वे सभी मंदिर में आ रहे हैं.
08:33 June 23
आस-पास के इलाके हो रहे सैनेटाइज
कोरोना के मद्देनजर सुरक्षा के खास इंतजाम किए गए हैं. ऐसे में आस पास की सड़कों को अच्छी तरह से सैनेटाइज किया जा रहा है.
08:31 June 23
पुरी के डीएम ने दी जानकारी
पुरी के डीएम ने सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कहा कि पर्याप्त बलों की तैनाती की गई है. सभी लोगों से अनुरोध है कि वे अपने घरों से ही दर्शन करें.
08:07 June 23
सुरक्षा के कड़े इंतजाम
ओडिशा में रथ यात्रा शुरू हो चुकी है. ऐसे में सुरक्षा के कई इंतजामात किए गए हैं. इस दौरान सुरक्षा व्यवस्था को बनाए रखने के लिए पुलिसकर्मी तैनात नजर आ रहे हैं.
07:54 June 23
रथ यात्रा में शामिल लोगों की जांच
रथ यात्रा में शामिल लोगों की पुलिस जांच कर रही है. इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क जैसे सुरक्षा मानकों पर भी खास ध्यान दिया जा रहा है.
07:40 June 23
रथ यात्रा के पहले कैसे शुरू हुआ अनुष्ठान
- पवित्र विग्रह की 'मंगला आरती' सुबह 3 बजे किया गया. उसके बाद मंदिर में 'मेलियामा' और 'तड़पा लागी' किया गया.
- सुबह 4.30 बजे देवताओं के अभिषेक की रस्म निभाई गई.
- सुबह 5:30 और 6:45 बजे गोपाल बल्लभ और सकल धूप
- सुबह 6:45 बजे रथ प्रतिष्ठा का अनुष्ठान.
- पहांडी अनुष्ठान (भगवान को मंदिर से बाहर निकालने की एक प्रक्रिया) सुबह 7 बजे शुरू.
- सुबह 10 बजे गुंडिचा मंदिर की ओर जाने वाले तीन अलग-अलग रथों पर सवार होंगे भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और दोनों की छोटी बहन सुभद्रा.
- सुबह 10 से 10.30 बजे तक 'मदन मोहन बिजे' का आयोजन.
- पूर्वाह्न 10.30 बजे देवताओं की 'चिता लागी' की शुरुआत होगी. यह 11 बजे समाप्त होगी.
- वार्षिक उत्सव का एक प्रमुख अनुष्ठान छेरा पहरा सुबह 11.30 बजे. इसमें पुरी नरेश एक सोना जड़ित झाड़ू से भगवान के रथों पर अनुष्ठान की अहम प्रक्रिया पूरी करते हैं.
- 11.30 से 12.15 बजे के बीच 'छेरा पहरा' होने के बाद सेवादार तीनों रथों में लकड़ी के बने घोड़ों को जोड़ेंगे.
- इसके बाद तीनों रथों को गुंडिचा मंदिर (मौसीबाड़ी) ले जाने की प्रक्रिया इसके बाद शुरू होगी.
06:54 June 23
शुरू हुईं रथ यात्रा की तैयारियां
भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. बता दें कोर्ट के आदेशों के अनुसार 500 से ज्यादा लोगों को रथ खींचने की अनुमति नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी दिशानिर्देश :
- रथ यात्रा के दौरान पुरी शहर के सभी प्रवेश बिंदु जैसे हवाई अड्डे, रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड बंद रहेंगे.
- राज्य सरकार पूरे दिन शहर में कर्फ्यू लगाएगी खासकर तब जब रथ जुलूस में निकाले जाएंगे.
- कर्फ्यू के दौरान किसी को भी अपने घरों से बाहर आने की अनुमति नहीं होगी.
- रथ खींचने में 500 से ज्यादा लोग शामिल नहीं होंगे.
- 500 की संख्या में पुलिसकर्मी तैनात रहेंगे.
- दो रथों के बीच एक घंटे का अंतराल होगा.
- रथ खींचने में लगे लोगों में से प्रत्येक रथ यात्रा के पहले और बाद में सामाजिक दूरी का ध्यान रखा जाएगा.
06:05 June 23
जगन्नाथपुरी रथ यात्रा
आज भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा होने जा रही है. संभवत: इतिहास में पहली बार ऐसा होगा जब भगवान मंदिर से बाहर अपने भक्तों को दर्शन देने आएंगे, लेकिन कोरोना प्रकोप के चलते लोगों से अपील की गई है कि वह इस दौरान घरों से बाहर न निकलें.
गौरतलब है कि भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा से पहले एक ऐसा अनुष्ठान भी किया जाता है, जिसमें डाहूक सेवादार गीत गाते हैं. सदियों पुराने इस अनुष्ठान के पूर्ण होने के बाद ही भगवान की रथ यात्रा शुरू होती है. डाहूक सेवादार यह गीत श्रद्धालुओं में जोश भरने के लिए गाते हैं.
पढ़ें :सुप्रीम कोर्ट से पुरी में जगन्नाथ यात्रा को मिली मंजूरी, नियमों का करना होगा पालन
यह प्रथा आज भी उतनी ही प्रचलित है. बता दें कि शुरुआती दिनों में इन गीतों की भाषा में गालियों का प्रयोग किया जाता था. हालांकि समय के साथ गीतों की भाषा में कई बदलाव किए गए.
डाहूक सेवादारों के बाहूक भी कहा जाता है. डाहूक सेवादार रथ पर सवार होते हैं और रथ का मार्गदर्शन करते हैं.
पढ़ें :भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में डाहूक सेवादारों का है खास महत्व
रथ यात्रा शुरू होने से पहले डाहूक सेवादार रथ पर छड़ी लेकर चढ़ जाते हैं. इसके बाद वे हृदय को छू लेने वाले गीत गाते हैं. इन सेवादारों को भगवान जगन्नाथ के भव्य रथ का सारथी माना जाता है.
डाहूक के गीतों को सुनकर भक्त भाव विभोर हो जाते हैं. गीत खत्म होने के बाद हरिबोल की जय-जयकार के साथ भव्य रथ यात्रा शुरू होती है. इस दौरान वाद्य यंत्रों की ध्वनि असीम शांति का अनुभव कराती है.
डाहूकों की इस सेवा का रथ यात्रा में अहम स्थान है. इसका उल्लेख श्री मंदिर (जगन्नाथ मंदिर) के संस्कारों के अभिलेख में भी मिलता है. वे आम सेवादारों की तरह नहीं होते. उनकी सेवा का खास महत्व होता है. यह सेवा वंशानुगत होती है.
डाहूक सेवादार रथ यात्रा के दौरान यह अनूठा अनुष्ठान करने के लिए प्रतिबद्ध होते हैं. जब डाहूक गीत गाते हैं तो मुख्य मंदिर को गुंडिचा मंदिर से जोड़ने वाली सड़क पर आध्यात्मिक वातावरण बन जाता है.