1. कांग्रेस के जीतने की कितनी संभावना है, खासकर तब जबकि हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी को 48 में से सिर्फ एक सीट ही मिली थी.
2019 का लोकसभा चुनाव राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रीयता के मुद्दे पर लड़ा गया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोगों को ये विश्वास दिलाने में सफल रहे कि उन्होंने पाकिस्तान का मुद्दा बेहतर तरीके से संभाला है. हकीकत ये है कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गंधी ने 1971 में पाकिस्तान को निर्णायक तरीके से हराया था और बांग्लादेश बनाकर उनके दो टुकड़े कर दिए थे. अब वो पीढ़ी रही नहीं. नई पीढ़ी हमारे सामने है. विधानसभा का यह चुनाव स्थानीय मुद्दों पर लड़ा जाएगा.
2. क्या चनाव से पूर्व बना गठबंधन कांग्रेस के लिए लाभकारी होगा ?
पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी का राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन नहीं था. इस बार हमने कई समान विचारधारा वाले दलों के साथ मजबूत साझेदारी की है. साथ ही प्रकाश आंबेडकर की वंचित बहुजन आघाडी पार्टी और एआईएमआईएम भी हमारा वोट नहीं काटेंगे क्योंकि 2014 के चुनाव में इन दोनों पार्टियों से गठबंधन किया था. इस बार दोनों अलग-अलग चुनाव लड़ रही हैं. प्रकाश आंबेडकर से हमे इस बार नुकसान नहीं पहुंचेगा. मेरी राय में लोकसभा चुनाव के मुकाबले कांग्रेस बेहतर करेगी. खासकर दक्षिण-पश्मिच और विदर्भ इलाके में.
3. कांग्रेस और एनसीपी ने इस बार संयुक्त घोषणा पत्र जारी किया है. इसके बाद दोनों पार्टियों के एक होने की खबरें आने लगी हैं. इस पर आप क्या कहेंगे.
यह तो सिर्फ बाते हैं. विलय के मुद्दे पर कोई गंभीर चर्चा चुनाव के बाद ही होगी और बहुत कुछ चुनाव परिणाम पर निर्भर करेगा. मुख्य बात यह है कि क्या नेतृत्व के मुद्दे को हल किया जा सकता है. नेतृत्व का मुद्दा अनसुलझा हुआ है. एनसीपी केवल नेतृत्व के मुद्दे पर ही कांग्रेस से अलग हो गई थी.
4. आप को क्या लगता है, इसबार कितनी सीटें कांग्रेस के खाते में जाने वाली हैं?
अनुमान के आधार पर जवाब देना नहीं चाहता हूं.
5. कांग्रेस चुनाव प्रचार इस बार किन अहम मुद्दों पर केंद्रित हैं?
भाजपा सरकार की विफलता, बेरोजगारी, भारी कृषि संकट, किसानों का लगातार आत्महत्या करना, गिरता हुआ निर्यात, विकास दर में कमी और फडणवीस सरकार में हुए भ्रष्टाचार और घोटाले पर हमारा अभियान मुख्य रूप से केंद्रित है. भाजपा स्थानीय मुद्दों से भाग रही है और जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 निरस्त किए जाने के मुद्दे को बार-बार हवा दे रही है. हालांकि, इस कदम की वैधता उच्चतम न्यायालय की एक संवैधानिक पीठ के समक्ष लंबित है. हम बुनियादी मुद्दे, जैसी रोटी-पानी को आधार बना रहे हैं, लेकिन भाजपा भावनात्मक मुद्दों को उठाने की कोशिश कर रही है.