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जानें, दासप्रथा का इतिहास और उन्मूलन के लिए उठाए गए कदम

दासप्रथा और दास व्यापार को शोषण की पराकाष्ठा कहा जा सकता है. 23 अगस्त को दास व्यापार की त्रासदी को दर्शाने के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाता है. इतिहास के पन्ने पलट कर देखें तो पता लगता है कि अफ्रीकी लोगों को बड़ी संख्या में दास बनाया गया. इतिहास में ट्रांस-अटलांटिक दास व्यापार 15वीं शताबदी से 17वीं शताबदी तक पूरे जोरों पर था. 18वीं शताब्दी में इसका अंत होना शुरू हुआ.

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दास व्यापार

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Published : Aug 23, 2020, 5:29 AM IST

हैदराबाद :सैंटो डोमिंगो (आज हैती और डोमिनिकन गणराज्य) में 22 और 23 अगस्त 1791 को दासप्रथा के खिलाफ कड़ा विरोध दर्ज किया गया था, जिसने ट्रांस-एटलांटिक दास व्यापार के उन्मूलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, इसलिए हर साल 23 अगस्त को दास व्यापार और उसके उन्मूलन को लोगों की स्मृति में रखने के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाते हैं.

यूनेस्को का इंटरकल्चरल प्रोजेक्ट 'द स्लेव रूट', दास व्यवहार के ऐतिहासिक कारणों, सामूहिक विचारों, इस त्रासदी के तरीके और परिणामों को जानने के लिए एक अवसर प्रदान करता है. इसमें अफ्रीका, यूरोप, अमेरिका और कैरिबियन देशों में दास व्यापार की वृद्धि को लेकर विश्लेषण किया गया है.

दास प्रथा का इतिहास
15वीं शताब्दी की शुरुआत में ट्रांस-एटलांटिक दास व्यापार ने गुलामी की प्रणाली का बीज बोना शुरू किया, जो कि व्यावसायिक और नस्लीय था. गुलामों को इंसानों के रूप में कम बल्कि खरीदने, बेचने और शोषित किए जाने वाली चीजों की तरह देखा जाता था. हालांकि अफ्रीकी मूल के स्वतंत्र और गुलामी कर रहे लोग पहले से ही उत्तरी अमेरिका में रह रहे थे लेकिन अफ्रीकी नागरिकों की बिक्री ने संयुक्त राज्य अमेरिका में दास प्रथा को बढ़ा दिया.

ब्रिटेन के अलावा, कई अन्य पश्चिमी यूरोपीय देश जैसे फ्रांस, हॉलैंड, स्पेन, डेनमार्क और पुर्तगाल प्रमुख दास व्यापारी थे या अमेरिका में रहने वाले अफ्रीकियों के शोषक के रूप में इस व्यापार से जुड़े थे.

दास व्यापार और दासप्रथा से जुड़े तथ्य

  • ट्रांस-एटलांटिक स्लेव वॉएज : एटलांटिक स्लेव ट्रेड की अवधि में (1526 से 1867 तक) अफ्रीका से लगभग 12.5 मिलियन लोगों को दास व्यापार में धकेला गया, जिसमें से 10.7 मिलियन लोगों को अमेरिका भेजा गया था.
  • दासों का स्वास्थ्य : दासों को अटलांटिक दास व्यापार के चलते अमानवीय जीवन जीना पड़ा. उनकी स्थिति दयनीय थी और उन्हें अक्सर घातक विकृतियों का सामना करना पड़ा. गुलामों की आबादी को अंधेपन, पेट की सूजन, पैरों और त्वचा की परेशामियों से जुझना पड़ा था.
  • मध्य मार्ग (मिडिल पैसेज) : अफ्रीका से अमेरिका तक दासों को जहाज से ले जाया जाता था जो कि ट्रांस-एटलांटिक ट्रेड का एक क्रूर रास्ता था, क्योंकि इस दौरान लगभग 15 प्रतिशत दासों की मृत्यु हो जाती थी.
  • घरेलू दास व्यापार : अफ्रीकी-अमेरिकी दासों की बड़ी आबादी को पूरे उत्तरी अमेरिका में भेजा जाता था जो कि अमेरिका में घरेलू दास व्यापार का हिस्सा था. इससे एटलांटिक दास व्यापार को और बढ़ावा मिला.
  • लाभ :आपूर्ति सहित कपास जैसे वस्तुओं की कीमतों में परिवर्तन के कारण समय के साथ दासों की कीमतों में व्यापक रूप से बदलाव आए, बावजूद इसके दास रखना फायदे का सौदा था.

दास व्यापार- एक ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
दास व्यापार यानी लोगों को पकड़कर उनसे काम करवाने के लिए उन्हें बेचना और खरीदना. प्राचीन काल से दुनियाभर में यह प्रथा मौजूद है.

9वीं और 10वीं शताब्दी में एक विस्तृत व्यापार नेटवर्क विकसित हुआ. उदाहरण के लिए, वाइकिंग्स पूर्व स्लाविक दासों को अरब और यहूदी व्यापारियों को बेचते थे जिसके बाद वे दासों को वर्दुन और लियोन ले जाते थे, जहां से उन्हें मूरिश स्पेन और उत्तरी अफ्रीका में बेचा जाता था.

ट्रांस-एटलांटिक दास व्यापार सबसे ज्यादा जाना जाता है. अफ्रीका में महिलाओं और बच्चों को श्रम के लिए और वंश को आगे बढ़ाने के लिए दास बनाया जाता था. वहीं पुरुषों को यूरोपीय लोगों के बीच बेच दिया जाता था. इसके बाद उन्हें कैरिबियन या ब्राजील ले जाया जाता था, यहां उनकी नीलामी होती थी और फिर बेच दिया जाता था.

कई देशों में (अवैध रूप से) गुलामी की प्रथा अब भी जारी है. अमेरिकन एंटी-स्लेवरी ग्रुप, जो नॉट-फॉर-प्रॉफिट एबोलिशनिस्ट ऑर्गनाइजेशन है, का दावा है कि दुनियाभर में 40 मिलियन से अधिक लोग अब भी कहीं न कहीं, किसी न किसी की गुलामी कर रहे हैं.

सेक्स स्लेवरी, जिसमें महिलाओं और बच्चों को वेश्यावृत्ति के लिए मजबूर किया जाता है. यह दुनियाभर में बढ़ती कुप्रथा है.

दास-व्यापार का संचालन (स्लेव रूट)
दास व्यापार से तात्पर्य ट्रांस-एटलांटिक ट्रेडिंग पैटर्न से है जो 17वीं शताब्दी के मध्य में स्थापित हुआ था.

व्यापारिक जहाज यूरोप से अफ्रीका के पश्चिमी तट पर निर्मित वस्तुओं के साथ रवाना होते थे. जहां दासों के लिए अफ्रीकी व्यापारियों द्वारा उपलब्ध कराए गए इन सामानों का कारोबार हफ्तों और महीनों तक चलता था.

यूरोपीय व्यापारियों के लिए अफ्रीकी बिचौलियों के साथ व्यापार करना आसान था क्योंकि यह बिचौलिए अफ्रीकी तट से दूर बसी बस्तियों से युवा और स्वस्थ लोगों को लाते थे और दास व्यापार में धकेल देते थे. इसके बाद दासों को जहाज में ठूंस दिया जाता था और 'मध्य मार्ग' के जरिए उन्हें अमेरिका या कैरिबियन भेज दिया जाता था. दासों को इतनी बुरी तरह से जाहज में रखा जाता था कि कुछ तो यात्रा के दौरान ही मर जाते थे.

दासों को अमेरिका या कैरिबिया में छोड़कर यह यूरोपियन जहाज चीनी, रम, तंबाकू और अन्य 'लक्जरी' वस्तुओं के साथ वापस लौट जाते थे. जानकारी के अनुसार, 1790 में ब्रिटिश कॉलोनियों में चार लाख 80 हजार गुलाम थे.

दासों से बगान में वृक्षारोपण जैसे काम करवाए जाते थे. कैरिबियन और अमेरिका में भेजे गए दासों से चीनी या तंबाकू जैसे उत्पादों का उत्पादन करवाया जाता था जो यूरोपियन लोगों को बेचे जाते थे.

दास व्यापार का समर्थन करने वालों ने तर्क दिया कि इसने देश की अर्थव्यवस्था और ब्रिटेन में उपभोक्तावाद को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. बावजूद इसके 18वीं शताब्दी के अंत में लोगों ने गुलामी के खिलाफ अभियान चलाना शुरू कर दिया था.

दासप्रथा को समाप्त करने के लिए दासों की भूमिका को अक्सर अनदेखा किया जाता है. हालांकि ओलाउदा इक्वियानो और मैरी प्रिंस ने दास व्यापार के उन्मूलन में एक बड़ा योगदान दिया है.

देश जहां दास व्यापार पर प्रतिबंध लगा

  • 1787 - ब्रिटेन में ग्रेनविले शार्प और थॉमस क्लार्कसन द्वारा दास व्यापार के उन्मूलन के लिए सोसायटी स्थापित की गई.
  • 1792 - डेनमार्क ने अपनी वेस्टइंडीज कॉलोनियों में दासों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया, हालांकि यह कानून 1803 से प्रभावी हुआ.
  • 1807 - ब्रिटेन ने दास व्यापार अधिनियम को समाप्त कर दिया, ब्रिटिश एटलांटिक दास व्यापार को रद्द कर दिया. अमेरिका ने भी दास व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिया, जो 1808 की शुरुआत से प्रभावी हुआ.
  • 1811 - स्पेन ने दासप्रथा को समाप्त कर दिया, हालांकि क्यूबा ने प्रतिबंध को खारिज कर दिया और दास व्यापार जारी रखा.
  • 1813 - स्वीडन ने दास व्यापार पर प्रतिबंध लगाया.
  • 1814 - नीदरलैंड ने दास व्यापार पर रोक लगाई.
  • 1817 - फ्रांस ने दास व्यापार पर प्रतिबंध लगाया, लेकिन 1826 तक यह प्रभावी नहीं था.
  • 1819 - पुर्तगाल ने भूमध्य रेखा के उत्तर में दास व्यापार को समाप्त कर दिया, ब्रिटेन ने दास व्यापार पर प्रतिबंध को लागू करने के लिए पश्चिम अफ्रीकी तट से दूर एक नौसेना स्क्वाड्रन तैनात किया.
  • 1823 - ब्रिटेन में एंटी-स्लेवरी सोसायटी का गठन हुआ. सदस्यों में विलियम विल्बरफोर्स शामिल थे.
  • 1833 - ब्रिटेन ने सभी ब्रिटिश उपनिवेशों में दासप्रथा के क्रमिक उन्मूलन का आदेश देते हुए दासप्रथा अधिनियम को समाप्त कर दिया. इसके बदले वेस्टइंडीज में बागान मालिकों को मुआवजे के तौर पर 20 मिलियन पाउंड मिले.
  • 1833 - ग्रेट ब्रिटेन और स्पेन ने दास व्यापार पर प्रतिबंध लगाने वाली एक संधि पर हस्ताक्षर किए.
  • 1846 - डेनमार्क के गवर्नर ने वेस्टइंडीज में दासों की मुक्ति की घोषणा की और गुलामी को समाप्त किया.
  • 1848 - फ्रांस ने गुलामी को समाप्त किया
  • 1851 - ब्राजील ने दास व्यापार को समाप्त कर दिया
  • 1858 - पुर्तगाल ने दासप्रथा को समाप्त कर दिया.
  • 1861 - नीदरलैंड ने डच कैरिबियाई कॉलोनियों में दासप्रथा को समाप्त किया.
  • 1862 - अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने एक जनवरी, 1863 से गुलामों की मुक्ति की घोषणा की.
  • 1865 - अमेरिकी संविधान के 13वें संशोधन में गुलामी पर प्रतिबंध लगाया गया.
  • 1886 - क्यूबा में दासप्रथा को समाप्त किया गया.
  • 1888 - ब्राजील ने गुलामी को समाप्त किया.
  • 1926 - लीग ऑफ नेशंस ने दासप्रथा को समाप्त करने के लइए दासता आयोग बनाया गया और दास व्यापार के संपूर्ण उन्मूलन संबंधी प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए गए.
  • 1948 - संयुक्त राष्ट्र महासभा ने यूनिवर्सल डिक्लेरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स को अपनाया, जिसके अनुच्छेद चार में लिखा गया कि कोई भी गुलामी या दासता की हालत में नहीं रखा जाएगा, दासप्रथा और गुलामों का व्यापार अपने सभी रूपों में प्रतिबंधित होगा.

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