खेल कूद से ही आती है, हिम्मत कुछ करने की !
मुझे बताया करती थी यह हंस-हंस प्यारी दादी !!
प्रसिद्ध कवि प्रकाश मनु की खेल पर आधारित यह पंक्तियां वाकई में जोश से परिपूर्ण कर देने वाली है. उन्होंने खेल से होने वाले फायदों और बड़े-बूढ़ों द्वारा खेल को लेकर दी गई हिदायतों को आपस में जोड़ा है. इससे साफ है कि हमेशा से हमारे बुजुर्ग भी इस बात का एहसास दिलाते आए हैं कि खेल-कूद का जीवन में कितना ज्यादा महत्व है.
खेल व्यक्ति को न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी मजबूत और स्वस्थ बनाता है. पी साइरन ने कहा है कि अच्छा स्वास्थ्य एवं अच्छी समझ दोनों जीवन के दो सर्वोत्तम वरदान हैं.
इतिहास में भी खेलों ने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार कर बीमारियों से बचने में मदद की है, हालांकि कोरोना वायरस के प्रकोप ने खेल गतिविधियों को कम करने के लिए मजबूर कर दिया है.
भाग दौड़ वाले खेलों की बात करें, या फिर घर में खेले जाने वाले खेल. दोनों से ही शरीर का विकास होता है.
ऐसे में आज हम बात करने जा रहे हैं दिमाग से खेले जाने वाले गेम शतरंज की. यह ऐसा खेल है, जो बड़ा ही दिलचस्प होता है. साथ ही इससे व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य का भी अच्छी तरह से विकास होता है.
इस खेल में धैर्य की काफी जरूरत होती है. अगर हड़बड़ी के साथ इसे खेला जाए, तो आप कभी नहीं जीत सकते. इसके साथ ही इसे खेलने के लिए सिर्फ दो लोगों की जरूरत होती है.
पिछले कुछ महीनों की बात की जाए, तो शतरंज में लोगों की रुचि दोगुनी हुई है. साथ ही शतरंज अब ऑनलाइन प्लेटफॉर्मों के माध्यम से भी तेजी से आयोजित हो रहा है.
क्यों मनाया जाता है शतरंज दिवस ?
20 जुलाई 1924 को अंतरराष्ट्रीय शतरंज संघ की स्थापना की गई थी. इसके बाद यूनेस्को द्वारा 20 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय शतरंज दिवस मनाने का सुझाव यूनेस्को ने दिया था. इसके बाद से 1966 से हर साल 20 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय शतरंज दिवस के तौर पर मनाया जाता है.
इसके साथ ही यह दिन 1924 में पेरिस में अंतरराष्ट्रीय शतरंज महासंघ (FIDE) की स्थापना की तारीख को चिह्नित करने के लिए 20 जुलाई को मनाया जाता है.
क्या होता है शतरंज ?
शतरंज दो लोगों द्वारा खेला जाने वाला खेल है, जिसमें छह प्रकार के 32 मोहरे होते हैं, जो बोर्ड पर रखे जाते हैं. प्रत्येक प्रकार के मोहरे का आगे बढ़ने का तरीका अलग होता है. बोर्ड में 64 वर्ग या खाने होते हैं, जिनमें 32 वर्ग सफेद, जबकि 32 वर्ग काले रंग के होते हैं. प्रत्येक खिलाड़ी के पास काले और सफेद रंग का एक राजा, एक वजीर, दो ऊंट, दो घोड़े, दो हाथी और आठ-आठ सैनिक (प्यादे) होते हैं. खेल का लक्ष्य अपने प्रतिद्वंदी को शह-मात देना होता है. इसका मतलब यह है कि विरोधी खिलाड़ी के बादशाह को बंदी बना लेता है. यह जरूरी नहीं कि खेल पूरा होने पर ही खत्म हो, बल्कि खिलाड़ी प्रायः अपनी हार में यकीन हो जाने पर हार मान कर खेल छोड़ भी सकता है. इसके अलावा कई बार खेल ड्रॉ की स्थिति में भी खत्म हो जाता है.
पृष्ठभूमि
इतिहास के पन्नों को उलटकर देखें, तो शतरंज का खेल पहले राजा-महाराजाओं द्वारा खेला जाता था. लगभग 1500 साल पुराने इस खेल का नाम पहले चतुरंग हुआ करता था, लेकिन बाद में बदलकर इसे शतरंज कर दिया. विदेशों में भी यह खेल काफी लोकप्रिय हुआ.
शतरंज और सतत विकास
संयुक्त राष्ट्र का मानना है कि खेल में शारीरिक गतिविधि, धारणाएं, व्यवहार बदलने के साथ-साथ लोगों को प्रेरित करने, नस्लीय और राजनीतिक बाधाओं को तोड़ने और भेदभाव का मुकाबला करने की शक्ति है.