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राष्ट्रपति के रूप में प्रणब मुखर्जी द्वारा उठाए गए अहम कदम

प्रणब मुखर्जी ने 25 जुलाई 2012 को भारत के 13 वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली. राष्ट्रपति पद पर रहते हुए उन्होंने भारतीय राजनीति मे कई अहम योगदान दिए. आइए एक नजर डालते हैं राष्ट्रपति रूप में उनके उल्लेखनीय कार्यों पर.

प्रणब मुखर्जी
प्रणब मुखर्जी

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Published : Aug 31, 2020, 5:52 PM IST

Updated : Aug 31, 2020, 7:37 PM IST

हैदराबाद : प्रणब मुखर्जी ने 25 जुलाई 2012 को भारत के 13वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली. राष्ट्रपति पद पर रहते हुए उन्होंने भारतीय राजनीति मे कई अहम योगदान दिए. आइए एक नजर डालते हैं राष्ट्रपति रूप में उनके उल्लेखनीय कार्यों पर.

आदेश और दया याचिकाएं
प्रणब मुखर्जी ने अपने कार्यकाल के दौरान 26 अध्यादेशों को रद्द या फिर से लागू किया. पांचवें वर्ष के दौरान, उन्होंने पांच अध्यादेशों की घोषणा की.

इसी अवधि में उन्होंने चार दया याचिकाओं को बदल दिया और 30 को खारिज कर दिया, जो केवल आर वेंकटरमण के बाद दूसरी सबसे अधिक हैं. आर वेंकटरमण, जिन्होंने 45 दया याचिकाओं को खारिज कर दिया था.

शिक्षक प्रणब मुखर्जी
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देश के पहले ऐसे राष्ट्रपति थे, जिन्होंने स्कूली बच्चों को पढ़ाया और रिकॉर्ड बनाया.

अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के अंतिम दो वर्षों में उन्होंने वह किया, जो वह 50 साल पहले करते थे. यह काम था पढ़ाने का.

उन्होंने राष्ट्रपति भवन के परिसर के भीतर स्कूल की कक्षाएं आयोजित कीं. इतिहास, राजनीति विज्ञान और कानून में मास्टर डिग्री रखने वाले मुखर्जी ने लगभग 80 छात्रों को पढ़ाया.

राष्ट्रपति के राजेंद्र प्रसाद सर्वोदय विद्यालय में कक्षा 11 और 12 के छात्रों को भारतीय राजनीति के इतिहास की जानकारी दी और देश और बाहर आतंकवाद के बढ़ते खतरे के बारे में भी बताया.

ट्विट्टर पर राष्ट्रपति भवन
राष्ट्रपति भवन से सीधे जुड़ने के लिए राष्ट्रपति भवन का ट्विटर अकाउंट 1 जुलाई, 2014 को शुरू किया गया. इसके माध्यम से जनता के बीच राष्ट्रपति की गतिविधियों के बारे में जानकारी का प्रसार किया गया.

अकाउंट को 20 दिनों में लगभग 1,02,000 लोगों ने फॉलो किया. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के कार्यालय के रूप में, राष्ट्रपति भवन के ट्विटर पर 32,97,391 फॉलोवर्स हैं.

अध्यक्ष पद की डेमोक्रेसी
प्रणब मुखर्जी के कार्यकाल की पहली वर्षगांठ पर राष्ट्रपति भवन ने संस्था के लोकतंत्रीकरण के लिए कई एलान किए. राष्ट्रपति भवन में आमंत्रित अतिथियों के लिए प्रोटोकॉल और सुरक्षा प्रतिबंधों में ढील दी गई.

प्रणब मुखर्जी राजधानी के विभिन्न हिस्सों में होने वाली कई गतिविधियों में भाग लेते थे. हालांकि जिससे आम आदमी को असुविधा हो, इस तरह के कामों से बचने के लिए कई निर्णय लिए गए.

संग्राहलय
संसद भवन के हैरिटेज भवन में एक नया संग्रहालय - कैरिज हॉल और अस्तबल, जो पहले घोड़ों और घर के बग्गियों के लिए उपयोग किया जाता था उसे एक अत्याधुनिक संग्रहालय में बदल दिया गया.

यह 1911 के दिल्ली दरबार से शुरू होने वाले ऐतिहासिक कार्यक्रमों से लेकर प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के शपथ ग्रहण तक प्रकाश डालता है.

संग्रहालय में हथियारों के संग्रह का एक हिस्सा, लुटियंस द्वारा निर्मित कुछ फर्नीचर, राष्ट्रपति के बॉडी गार्ड की गतिविधियां और भारतीय-विदेशी गणमान्य व्यक्तियों द्वारा राष्ट्रपति को भेंट किए गए उपहारों का एक समृद्ध संग्रह भी प्रदर्शित किया गया है.

10,000 वर्ग मीटर के संग्रहालय को एक उच्च तकनीक में राष्ट्रपति भवन के इतिहास को चित्रित करने के लिए भूमिगत रूप से विकसित किया गया है.

स्मार्टग्राम की पहल
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दो जुलाई, 2016 को स्मार्टग्राम पहल की शुरुआत की. इसका उद्देश्य गांवों को हैप्पी और हाई-टेक टाउनशिप में विकसित करना था.

इस पहल के तहत, हरियाणा में गुरुग्राम और मेवात जिलों के पांच गांवों को केंद्र, हरियाणा सरकार, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के संगठनों, गैर सरकारी संगठनों और व्यक्तियों के समर्थन के साथ एक मॉडल के आधार पर विभिन्न कार्यक्रमों को लागू करने के लिए चुना गया था.

इन गांव में शिक्षा, कौशल विकास, बुनियादी ढांचे के विकास, कृषि, स्वास्थ्य और स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में बड़ी संख्या में कार्यक्रम लागू किए गए.

देहरादून में हेरिटेज बिल्डिंग का नवीनीकरण
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के समय में हेरिटेज बिल्डिंग का जीर्णोद्धार, पुनर्निमाण और नवीनीकरण किया गया था.

आशियाना, जिसे पहले कमांडेंट के बंगले के रूप में जाना जाता था और 217.14 एकड़ जमीन शामिल थी, को 1836 में तत्कालीन वायसराय के बॉडीगार्ड द्वारा लीज पर लिया गया था. 1975 में, इसे राष्ट्रपति आशियाना के रूप में फिर से नामित किया गया था.

राष्ट्रपति भवन में जनता
राष्ट्रपति भवन को भारत में एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए, तीन पर्यटन सर्किट - राष्ट्रपति भवन, मुगल गार्डन और राष्ट्रपति भवन संग्रहालय - 25 जुलाई 2016 को खोले गए.

प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति पद के पांचवें वर्ष के दौरान 94,360 से अधिक लोगों ने राष्ट्रपति भवन का दौरा किया.

उदयनोत्सव में रिकॉर्ड संख्या 6.95 लाख से अधिक लोगों ने दौरा किया - 5 फरवरी से 12 मार्च, 2017 के बीच मुगल गार्डन का वार्षिक उद्घाटन से 77,323 से अधिक लोगों ने राष्ट्रपति भवन का दौरा किया.

साथ ही 30,866 से अधिक लोगों ने पांचवें वर्ष के दौरान ऑनलाइन बुकिंग प्रणाली का उपयोग कर राष्ट्रपति भवन का भ्रमण किया.

वेलफेयर एक्टिविटीज
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 4एस अभियान की शुरुआत की थी. इसमें 7 से 15 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों और उनके संपूर्ण विकास करने के लिए संस्कृति की पहल की. जिसमें पेंटिंग, स्टोरीटेलिंग, योगा, गायन, नाटक आदि की कक्षाएं ली जाती थीं.

इसके अलावा उन्होंने समागम समुदाय बनाया जो राष्ट्रपति भवन में रहने वाले वरिष्ठ नागरिकों के लिए सोमवार से शुक्रवार तक हर दोपहर एक साथ रहने का अवसर प्रदान करती है.

इसके अलावा योग कक्षाएं, सामुदायिक गायन, परामर्श सेवाएं, मुफ्त स्वास्थ्य जांच और बोर्ड गेम जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं.

विशेष बच्चों के लिए पहल करते हुए 'स्पर्श' के तहत एक राहत केंद्र खोला गया है.

वहीं 'संस्कार’ का उद्देश्य राष्ट्रपति भवन प्ले स्कूल में बच्चों की पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करना है.

सौर ऊर्जा पैनलों की स्थापना
प्रणब मुखर्जी के कार्यकाल के दौरान राष्ट्रपति भवन को अधिक ऊर्जा कुशल बनाने के लिए कई पहल की गईं.

उनके पांचवें वर्ष के दौरान, लगभग 508 किलोवाट की क्षमता वाले रूफटॉप सौर ऊर्जा पैनल ग्रामीण विद्युतीकरण निगम लिमिटेड और टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रिब्यूशन लिमिटेड के सहयोग से स्थापित किए गए.

निवास पर कार्यक्रम
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बड़े पैमाने पर लोगों के लिए राष्ट्रपति भवन के द्वार खोले. यह उनके द्वारा शुरू की गई पहल में से सबसे महत्वपूर्ण पहल थी.

राषट्रपति भवन में होने वाले कार्यकर्मों के माधयम से उन्होंने लोगों की रचनात्मक और अभिनव क्षमता को प्रोत्साहित किया.

ई-शासन
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नई तकनीकों और समाधानों को अपनाने के लिए कई पहल कीं. बार कोडिंग और किताबों की कैटलॉगिंग के लिए ई-पुस्ताकालय परियोजना शुरू की. ई-ग्रन्थालय सॉफ्टवेयर का उपयोग करके राष्ट्रपति सचिवालय (ALPS) की स्वचालित लाइब्रेरी से संबंधित, लगभग 8310 ई-पुस्तकें अपलोड की गई हैं और 34,117 से अधिक पुस्तकों को ई-कैटलॉग किया गया है. यह किताबें ई-ऑफिस प्लेटफॉर्म के तहत उपलब्ध हैं.

अगस्त, 2015 में लागू डिजिटल फोटो लाइब्रेरी (डीपीएल) के माध्यम से, लगभग 3.75 लाख फोटो निगेटिव स्कैन किए गए हैं. दिसंबर 1996 से लगभग 92,105 डिजीटल तस्वीरों को डीपीएल सर्वर पर अपलोड किया गया है.

विजिटर्स सिस्टम (ई-एमवीएस) के ई-प्रबंधन के तहत, सिस्टम की ऑनलाइन निगरानी की जाती है. अबतक लगभग 3.75 लाख आगंतुकों ने राष्ट्रपति भवन दौरा किया है.

ऑनलाइन प्रणाली का उपयोग कर संग्रहालय परिसर ई-एमवीएस को महाराष्ट्र, उत्तराखंड और तमिलनाडु के राजभवन ने भी अपनाया है.

बग्गी
आधुनिक भारतीय इतिहास और इसके अनूठे गवाह के रूप में राष्ट्रपति भवन की भूमिका पर प्रकाश डालने और विरासत भवन के रूप में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बग्गी का उपयोग करने की परंपरा को पुनर्जीवित किया. लगभग 30 वर्षों के अंतराल के बाद पहली बार बग्गी का उपयोग 29 जनवरी 2014 को बीटिंग रिट्रीट समारोह के लिए किया गया था.

प्रणब मुखर्जी सार्वजनिक पुस्तकालय
राष्ट्रपति भवन की अनुसूची में एक जर्जर इमारत भी शामिल थी, जिसे प्रणब मुखर्जी पब्लिक लाइब्रेरी के रूप में परिवर्तित किया गया. यह काम पांच महीने के रिकॉर्ड समय में पूरा हुआ और 25 जुलाई, 2013 को इसका उद्घाटन किया गया.

राष्ट्रपति की संपत्ति में सुधार
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने ग्रीन बिल्डिंग के मापदंडों का पालन करने के लिए प्रयास किए. राष्ट्रपति भवन के कर्मचारियों के लिए नर्मदा आवासीय परिसर में विशेष सुविधाएं दी गई हैं. इनमें वर्षा जल संचयन, ऊर्जा कुशल एलईडी लाइट्स का उपयोग, अपशिष्ट जल का पुनर्चक्रण, विभाजन की दीवारों में फ्लाई ऐश ईंटों का उपयोग और सौर ऊर्जा ताप शामिल हैं.

Last Updated : Aug 31, 2020, 7:37 PM IST

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