नई दिल्ली : कोरोना वायरस के खतरे पर दक्षेस देशों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान पाकिस्तान ने कश्मीर के बारे में 'अवांछित' बयान देकर एक मानवीय मुद्दे का 'राजनीतिकरण' करने का प्रयास किया, जो इस तरह के मुद्दों से निपटने में उसके ढुलमुल रवैये को प्रदर्शित करता है. यह बात रविवार को सरकारी सूत्रों ने कही.
वीडियो कॉन्फ्रेंस का उद्देश्य इस वायरस से एकजुट होकर निपटने का संदेश देना था, लेकिन पाकिस्तान ने इस मौके का इस्तेमाल कश्मीर मुद्दे को उठाने के लिए किया और कहा कि कोरोना वायरस के खतरे से निपटने के लिए जम्मू-कश्मीर में सभी तरह की पाबंदी हटा लेनी चाहिए.
सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तान ने 'अशिष्ट' बनने का चयन किया और वीडियो कॉन्फ्रेंस का इस्तेमाल राजनीतिक लाभ के लिए किया. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने स्वास्थ्य विषयों (पाकिस्तान के) पर प्रधानमंत्री इमरान खान के सलाहकार एवं संबद्ध विभाग के मंत्री जफर मिर्जा को भेजा, जो बोलने के दौरान सहज नहीं थे.
सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तान द्वारा मामले को उठाना मानवीय मुद्दे से निपटने में उसके 'ढुलमुल रवैये' को दिखाता है.
एक सरकारी सूत्र ने कहा, 'मुद्दे को उठाना अवांछित था और संदर्भ से परे था. पाकिस्तान ने एक मानवीय मुद्दे का राजनीतिकरण करने का प्रयास किया.' सूत्रों ने कहा कि भारत वीडियो कॉन्फ्रेंस से पाकिस्तान को अलग रख सकता था लेकिन यह एक मानवीय मुद्दा था, इसलिए इस पड़ोसी देश को आमंत्रित किया गया.
सूत्र ने कहा, 'प्रत्येक नेता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान का जवाब दिया लेकिन पाकिस्तान ने अपने स्वास्थ्य मंत्री को भेजने का चयन किया, जो उसमें गंभीरता की कमी को दर्शाता है.'