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विशेष लेख : मोदी की विदेश नीति में पाम ऑयल है नया हथियार? - विदेश नीति में पाम ऑयल नया हथियार

भारत ने रिफाइंड पाम ऑयल और पाम ओलीन के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है. विशेषज्ञों का मानना है कि जम्मू-कश्मीर पर भारत का विरोध करने वाले मलेशिया को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा. पढ़ें विस्तार से...

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Published : Jan 11, 2020, 10:46 PM IST

रिफाइंड पाम ऑयल और पाम ओलीन के आयात पर प्रतिबंध, मोदी सरकार की विदेश नीति का नया हथियार है . नई दिल्ली की विदेश नीति को लागू कराने के लिए पहली बार व्यापार को अंग्रेजी मुहावरे, 'कैरेट एंड स्टिक' की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है.

मोदी ने अपने अंदाज में मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर बिन मोहम्मद को यह बता दिया है कि भारत की नीतियों और खासतौर पर जम्मू-कश्मीर पर भारत का विरोध करने का खामियाजा मलेशिया को भुगतना पड़ेगा. इंडोनीशिया के बाद, पाम ऑयल का मलेशिया विश्व में सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है.

अब मलेशिया पर भारत से करोड़ों रुपये का व्यापार खोने का खतरा मंडरा रहा है. भारत को रिफाइंड पाम ऑयल और पाम ओलीन निर्यात करने वाला मलेशिया सबसे बड़ा देश है.

मोदी की इस नई नीति का मतलब यह भी है कि भारतीय रिफाइनरियों को कच्चा पाम ऑयल बेचने की दौड़ में इंडोनेशिया सबसे आगे हो जाएगा. कुछ साल पहले तक भारत में कच्चे पाम ऑयल के निर्यात के बाजार का दो तिहाई हिस्सा इंडोनेशिया के कब्जे में था. एक साल पहले, कच्चे पाम ऑयल के आयात पर शुल्क घटाने से मलेशिया को इस बाजार में दाखिल होने में काफी मदद मिली.

मलेशिया के उलट, इंडोनेशिया ने भारत के आंतरिक मामलों पर बयानबाजी और दखल देने से परहेज किया है जबकि इंडोनेशिया में विश्व की सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी रहती है .वाणिज्य मंत्रालय से जारी नोटिफिकेशन में मलेशिया का सीधे तौर पर जिक्र नहीं है, लेकिन इसका भाव साफ है. रिफाइंड पाम ऑयल के आयात की श्रेणी को शुल्क-मुफ्त से बदलकर सीमित श्रेणी में डाल दिया गया है. अब तक भारत बिना किसी खास लाइसेंस के मलेशिया से रिफाइंड ब्लीच डी-ओडराइज्ड पाम ऑयल और पाम ओलीन के आयात की इजाजत देता था .

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कार्यभार संभालने के बाद से ही मलेशिया के 94 वर्षीय प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद दुनिया के तमाम मुसलमानों की आवाज बनने की कोशिशें कर हे हैं. पिछले साल मोदी सरकार द्वारा आर्टिकल 370 को हटाये जाने के बाद, महातिर ने इसे भारत द्वारा कश्मीर पर हमला और अधिग्रहण कहा था.

महातिर ने हाल ही में भारत सरकार द्वारा लाए गए नागरिकता संशोधन कानून पर भी सवाल खड़े किए हैं. उनके बयानों का भारतीय विदेश मंत्रालय ने कड़ाई से खंडन किया था और पीएम मोदी ने भी अपनी नाराजगी जाहिर की थी. इसके बाद से ही मोदी महातिर से नाखुश चल रहे हैं.

मलेशिया की सरकार ने विवादों में घिरे इस्लामिक घर्म गुरु जाकिर नाइक को भी भारत को सौंपने से इनकार कर दिया था.

महातिर से पहले, प्रधानमंत्री नाजिब रज्जाक के नेतृत्व में मलेशिया को मोदी की 'लुक ईस्ट' नीति के तहत काफी फायदा पहुंचा था. लेकिन मई 2018 के चुनावों में पकता हारापन सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही, भारत-मलेशिया संबंधों में खटास आने का सिलसिला जारी है.

15 सालों के बाद सत्ता में आये महातिर ने दुनिया में मलेशिया का दबदबा बढ़ाने के लिए देश की विदेश नीति को बदलने की कसम खाई थी. मुस्लिम समाज में अपने को मजबूती से स्थापित करने की महातिर की ख्वाहिश के चलते, मलेशिया ने पाकिस्तान से संबंध बढ़ाने की शुरुआत की, जो नई दिल्ली को नागवार गुजरा.

अपने देश के पाम ऑयल उत्पादकों की आर्थिक सुरक्षा के लिए क्या महातिर मोदी के सामने घुटने टेकेंगे? ऐसा लगता नहीं है क्योंकि महातिर भारतीय मुसलमानों के समर्थन को एक सैद्धांतिक मुद्दा मानते हैं. लेकिन क्या मलेशिया इसके कारण इंडोनेशिया के बढ़ते प्रभाव को चुपचाप देखता रहेगा?

पाम ऑयल उत्पाद से पर्यावरण को बड़े पैमाने पर होने वाले नुकसान और श्रमिकों और मानवाधिकार के उल्लंघनों के आरोपों के चलते महातिर पर पश्चिमी देशों का जबर्दस्त दबाव है. वहीं, मलेशिया से तेल के आयात पर अनाधिकारिक तौर पर लगाए प्रतिबंध से भारत में तेल के दामों में इजाफा हो रहा है, लेकिन इस बारे में सरकार में ज्यादा बेचैनी नहीं दिख रही है.

तेल रिफाइनरी से जुड़े भारतीय व्यापारियों को मलेशिया से आयात होने वाले तेल के कारण काफी नुक़सान उठाना पड़ता था.उन्हें अब उम्मीद है कि उनका व्यापार वापस पटरी पर आने लगेगा.

- शेखर अय्यर

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