रिफाइंड पाम ऑयल और पाम ओलीन के आयात पर प्रतिबंध, मोदी सरकार की विदेश नीति का नया हथियार है . नई दिल्ली की विदेश नीति को लागू कराने के लिए पहली बार व्यापार को अंग्रेजी मुहावरे, 'कैरेट एंड स्टिक' की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है.
मोदी ने अपने अंदाज में मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर बिन मोहम्मद को यह बता दिया है कि भारत की नीतियों और खासतौर पर जम्मू-कश्मीर पर भारत का विरोध करने का खामियाजा मलेशिया को भुगतना पड़ेगा. इंडोनीशिया के बाद, पाम ऑयल का मलेशिया विश्व में सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है.
अब मलेशिया पर भारत से करोड़ों रुपये का व्यापार खोने का खतरा मंडरा रहा है. भारत को रिफाइंड पाम ऑयल और पाम ओलीन निर्यात करने वाला मलेशिया सबसे बड़ा देश है.
मोदी की इस नई नीति का मतलब यह भी है कि भारतीय रिफाइनरियों को कच्चा पाम ऑयल बेचने की दौड़ में इंडोनेशिया सबसे आगे हो जाएगा. कुछ साल पहले तक भारत में कच्चे पाम ऑयल के निर्यात के बाजार का दो तिहाई हिस्सा इंडोनेशिया के कब्जे में था. एक साल पहले, कच्चे पाम ऑयल के आयात पर शुल्क घटाने से मलेशिया को इस बाजार में दाखिल होने में काफी मदद मिली.
मलेशिया के उलट, इंडोनेशिया ने भारत के आंतरिक मामलों पर बयानबाजी और दखल देने से परहेज किया है जबकि इंडोनेशिया में विश्व की सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी रहती है .वाणिज्य मंत्रालय से जारी नोटिफिकेशन में मलेशिया का सीधे तौर पर जिक्र नहीं है, लेकिन इसका भाव साफ है. रिफाइंड पाम ऑयल के आयात की श्रेणी को शुल्क-मुफ्त से बदलकर सीमित श्रेणी में डाल दिया गया है. अब तक भारत बिना किसी खास लाइसेंस के मलेशिया से रिफाइंड ब्लीच डी-ओडराइज्ड पाम ऑयल और पाम ओलीन के आयात की इजाजत देता था .
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कार्यभार संभालने के बाद से ही मलेशिया के 94 वर्षीय प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद दुनिया के तमाम मुसलमानों की आवाज बनने की कोशिशें कर हे हैं. पिछले साल मोदी सरकार द्वारा आर्टिकल 370 को हटाये जाने के बाद, महातिर ने इसे भारत द्वारा कश्मीर पर हमला और अधिग्रहण कहा था.