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इंडिया एक्सक्लूजन रिपोर्ट 2019 प्रकाशित, सस्ती परिवहन सुविधा पर जोर - दिनेश मोहन

देश की राजधानी दिल्ली में मंगलवार को इंडिया एक्सक्लूजन रिपोर्ट 2019 प्रकाशित की गई. इस रिपोर्ट में भारत में रह रहे गरीब और निचले तबके के साथ हो रहे व्यवहार पर चर्चा की जाती है. साथ ही सरकार द्वारा उनके उन्मूलन के लिए उठाए गए कदम का आकलन किया जाता है. उनके साथ हो रहे शोषण और गलत व्यवहार का ब्यौरा भी दिया जाता है.

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Published : Nov 26, 2019, 9:55 PM IST

नई दिल्ली : आदर्श रूप से लोगों को काम करने के लिए अपने आवागमन में प्रतिदिन दो घंटे से बहुत कम खर्च करना चाहिए. इसमें चलने का 16%, साइकिल की सवारी का 13% और यंत्रीकृत मोड में 12-27% शामिल हैं.

राष्ट्रीय राजधानी में मंगलवार को सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज (CES) द्वारा जारी इंडिया एक्सक्लूजन रिपोर्ट का पांचवां संस्करण जारी किया गया.

दअरसल सीईएस के अनुसार बहिष्करण तब होता है, जब लोगों को यात्रा नहीं करने के लिए मजबूर किया जाता है, अपनी यात्रा सीमित करने या यात्रा के लिए बहुत अधिक समय या पैसा खर्च करने के लिए मजबूर होना पड़ता है.

सीईएस के निदेशक हर्ष मंडेर ने इस अवसर पर कहा, 'यह प्रयास छह साल पहले सार्वजनिक प्रावधान में राज्य की भूमिका की जांच के रूप में शुरू हुआ था. वहीं भारतीय समाज में बहिष्कार, अन्याय और शोषण जैसे व्यापक मुद्दों पर सार्वजनिक चिंता और बहस करना था.'

CES निदेशक हर्ष मंडेर से ईटीवी भारत की खास बातचीत.

इंडिया एक्सक्लूजन रिपोर्ट 2019 असम के चार निवासियों की तरह 'कमजोर समूहों' की रूपरेखा के साथ शुरू हुई है, जो असम में पश्चिम बंगाल या दूसरे हिस्सों से आए मुसलमानों की कम्युनिटी है.

इस अध्याय के लेखक अबुल कलाम आजाद ने अपनी रिपोर्ट का संक्षिप्त परिचय देते हुए उन चार निवासियों के प्रति विशेष रूप से पक्षपाती रवैये की बात की, जिनमें चार निवासियों को 'विदेशी' या 'अवैध प्रवासी' माना जाता है. जिसके चलते वो हर अधिकार से वंचित हैं.

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सार्वजनिक परिवहन पर अध्याय के लेखक दिनेश मोहन ने बताया कि कैसे काम, स्वास्थ्य सेवा, भोजन या सामाजिक सांस्कृतिक गतिविधियों तक पहुंच को सस्ती और सर्वसुलभ परिवहन से आसान बनाया जा सकता है.

दिनेश मोहन ने विकास के एक विशेष मॉडल की आलोचना की, जो राज्यों में लागू किया गया है. जिसकी वजह से गरीबों को काम करने जाने के लिए आसान और सस्ती परिवहन सेवा बसों की ज्यादा जरूरत है, वह उन्हे नहीं मिल पा रही है.

उन्होंने जेएनयू और आईआईटी जैसी गेट वाली कॉलोनियों का जिक्र किया, जिससे गरीब तबके के आवागमन में दिक्कत होती है. साथ ही सार्वजनिक स्थलों (बस स्टैंड और फुटपाथ आदि) पर पुरुषों की अधिकता होने के कारण महिलाओं के लिए पहुंच काफी मुश्किल है.

रोजगार पर अध्याय के लेखकों में एक अतुल सूद ने भारत में नौकरियों के नजरिये को बदलने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा, 'वैसे तो हम विकास के बारे में लंबी-चौड़ी बातें करते हैं, जो खूबसूरत कल्पना की ओर ले जाती हैं, वास्तव में रोजगार पैदा करने में हम विफल रहे हैं.'

इंडिया एक्सक्लूजन रिपोर्ट 2019 में जीएसटी सुधारों पर ध्यान देने के साथ बजटीय और नियोजन प्रक्रिया में बहिष्करण की जांच भी की गई है.

साथ ही यह रिपोर्ट सामाजिक क्षेत्र, श्रम और कानूनी न्याय के क्षेत्रों में सार्वजनिक भलाई के संबंध में बहिष्करण की भी समीक्षा करती है.

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