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भारत-चीन के सैन्य कमांडरों की बैठक, 13 घंटे तक चली वार्ता - चीन के सैन्य कमांडरों की बैठक

भारत और चीन तनाव के बीच छठी कोर कमांडर-स्तर की बैठक मोल्दो में सोमवार को हुई. जो लंबी वार्ताओं के साथ 13 घंटे तक चली. पहली बार, सैन्य वार्ता से संबंधित भारतीय प्रतिनिधिमंडल में विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी शामिल हुए.

India, China Corps Commander
भारत, चीन के सैन्य कमांडरों की बैठक

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Published : Sep 22, 2020, 10:15 AM IST

नई दिल्ली :चीन के साथ वरिष्ठ सैन्य कमांडर स्तर की छठे दौर की वार्ता के दौरान सोमवार को भारत ने पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले स्थानों से चीनी सैनिकों को शीघ्र और पूर्ण रूप से हटाए जाने पर बल दिया. यह वार्ता सीमा पर लंबे समय से जारी टकराव को दूर करने के लिए पांचसूत्री द्विपक्षीय समझौते के क्रियान्वयन पर केंद्रित रही. जो 13 घंटों तक चली.

सूत्रों ने बताया कि कोर कमांडर स्तर की छठे दौर की यह वार्ता पूर्वी लद्दाख में भारत के चुशूल सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पार मोल्डो में चीनी क्षेत्र में सुबह करीब नौ बजे शुरू हुई और रात 11 बजे तक चली.

समझा जाता है कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने 10 सितंबर को मास्को में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक के इतर विदेश मंत्री एस जयशंकर तथा उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच हुए समझौते को निश्चित समय-सीमा में लागू करने जोर दिया.

भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई भारतीय सेना की लेह स्थित 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने की. पहली बार, सैन्य वार्ता से संबंधित भारतीय प्रतिनिधिमंडल में विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी हैं.

विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव नवीन श्रीवास्तव इस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं. वह सीमा विषयक परामर्श एवं समन्वय कार्य प्रणाली के तहत चीन के साथ सीमा विवाद पर राजनयिक वार्ता में शामिल रहे हैं.

भारतीय प्रतिनिधिमंडल में लेफ्टिनेंट जनरल पी जी के मेनन भी शामिल हैं, जो अगले महीने 14 वीं कोर कमांडर के तौर पर सिंह का स्थान ले सकते हैं.

सूत्रों ने कहा कि भारतीय दल ने साढे चार महीने से जारी गतिरोध को खत्म करने के लिए चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी द्वारा सैनिकों को शीघ्र और पूरी तरह हटाने पर बल दिया. उन्होंने बताया कि वार्ता का एजेंडा पांच सूत्री समझौते के क्रियान्वयन की स्पष्ट समयसीमा तय करना था.

पांच सूत्री समझौते का लक्ष्य तनावपूर्ण गतिरोध को खत्म करना है जिसके तहत सैनिकों को शीघ्र वापस बुलाना, तनाव बढ़ाने वाली कार्रवाइयों से बचना, सीमा प्रबंधन पर सभी समझौतों और प्रोटोकॉल का पालन करना तथा वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति बहाली के लिए कदम उठाना जैसे उपाय शामिल हैं.

कोर कमांडर स्तर की वार्ता के पांचवें दौर में भारत ने चीनी सैनिकों की यथाशीघ्र वापसी तथा पूर्वी लद्दाख के सभी क्षेत्रों में अप्रैल से पहले वाली स्थिति की बहाली पर जोर दिया था. यह गतिरोध पांच मई को शुरू हुआ था.

पांचवें दौर की कोर कमांडर स्तर की वार्ता दो अगस्त को करीब 11 घंटे चली थी. उससे पहले चौथा दौरान 14 जुलाई को करीब 15 घंटे चली थी.

इस बीच, सैन्य सूत्रों ने बताया कि वायुसेना में हाल में शामिल किए गए राफेल विमानों ने पूर्वी लद्दाख के ऊपर चक्कर लगाने शुरू कर दिए हैं. यह बीते तीन हफ्तों में चीनी सैनिकों की 'उकसावे की कार्रवाइयों' के मद्देनजर प्रतिरोधक तैयारी को मजबूती देने के हिस्से के तौर पर किया गया है.

भारतीय वायुसेना के बेड़े में औपचारिक रूप से शामिल करने के 10 दिन में ही राफेल विमानों को लद्दाख में तैनात किया गया है.

अंबाला में पांच राफेल विमानों को वायुसेना में शामिल करने के समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि सीमा पर जिस तरह का माहौल बनाया जा रहा है, उसे देखते हुए यह अहम है और भारत की संप्रभुता पर नजर रखने वालों को 'बड़ा और कड़ा' संदेश भी देगा.

सूत्रों ने बताया कि सेना ने पूर्वी लद्दाख और कड़ाके की सर्दी में ऊंचाई वाले संवेदनशील सेक्टरों में सैनिकों और हथियारों का वर्तमान स्तर बनाए रखने के लिए सभी व्यापक इंतजाम किए हैं.

पढ़ें -तनाव कम करने को भारत-चीन में कमांडर स्तर पर हुई वार्ता

उन्होंने बताया कि पैंगोंग झील के दक्षिणी तथा उत्तरी तट पर तथा अन्य टकराव वाले बिंदुओं पर स्थिति तनावपूर्ण है.

चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने बीते तीन हफ्तों में पैंगोंग झील के दक्षिणी और उत्तरी तट पर भारतीय सैनिकों को 'धमकाने' के लिए कम से कम तीन बार कोशिश की है. यहां तक कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 45 साल में पहली बार हवा में गोलियां चलाई गई हैं.

पूर्वी लद्दाख में स्थिति तब बिगड़ी जब चीन ने 29-30 की रात को पैंगोंग झील के दक्षिणी तट पर भारतीय क्षेत्र पर कब्जा करने की विफल कोशिश की.

सात सितंबर को पैंगोग झील के दक्षिणी तट पर रेजांग-ला रिजलाइनके मुखपारी में चीनी सैनिकों ने भारतीय ठिकाने के जाने का विफल प्रयास किया और हवा में गोलिया चलायीं.

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