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किसानों का जमीन समाधि सत्याग्रह जारी, बोले- 'हर जोर-जुल्म की टक्कर में, संघर्ष हमारा नारा है'

कड़कड़ाती ठंड में किसानों ने जयपुर विकास प्राधिकरण की कार्रवाई के विरोध में ये सत्याग्रह शुरू किया है. जेडीए की भूमि अवाप्ति के खिलाफ शुरू हुए इस सत्याग्रह की अगुवाई नींदड़ बचाओ युवा किसान संघर्ष समिति के बैनर तले डॉ. नगेंद्र सिंह शेखावत कर रहे हैं.

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नींदड़ में किसानों का जमीन समाधि सत्याग्रह

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Published : Jan 8, 2020, 2:29 PM IST

जयपुर : राजस्थान के चौमूं के किसानों ने अपनी जमीन बचाने के लिए जमीन समाधि सत्याग्रह शुरू कर दिया है. किसानों ने एक बार फिर जयपुर विकास प्राधिकरण की कार्रवाई के विरोध में जमीन समाधि सत्याग्रह शुरू कर दिया है. जेडीए (जयपुर विकास प्राधिकरण) की भूमि अवाप्ति के खिलाफ शुरू हुए इस सत्याग्रह की अगुवाई नींदड़ बचाओ युवा किसान संघर्ष समिति के बैनर तले डॉ. नगेंद्र सिंह शेखावत कर रहे हैं.

उनका कहना है कि नींदड़ में अवाप्ति की जमीन पर जेडीए कॉलोनी काट रहा है. लेकिन इस संबंध में किसानों से कोई बातचीत नहीं की गई, बिना बातचीत के ही जमीन पर कब्जा शुरू कर दिया गया. इसी वजह से एक बार फिर उन्हें आंदोलन की राह अपनानी पड़ी.

किसानों की जमीन सत्याग्रह जारी

बता दें कि कुल पांच लोगों ने जमीन समाधि लगाकर विरोध शुरू किया. वहीं रात को भी सैंकड़ों की संख्या में लोग धरने पर बैठे रहे. साथ ही गांव की महिलाएं भी इस धरने में शामिल हैं. किसान जमीन में गड्ढा खोदकर गर्दन से नीचे तक का हिस्सा दफन कर अपना विरोध जता रहे हैं. इसकी शुरुआत नगेंद्र सिंह ने जमीन समाधि लेकर की है.

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वही मंगलवार देर शाम को नगेंद्र शेखावत सहित चार लोग और जमीन समाधि सत्याग्रह पर बैठ गए हैं. समिति के संयोजक नगेन्द्र का कहना है यदि मांग नहीं मानी जाती है तो धीरे-धीरे नींदड़ गांव के किसान पिछली बार की तरह समाधि लेंगे.

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गौरलतब है कि साल 2017 में भी नींदड़ के किसानों का ये सत्याग्रह चर्चा में रहा था. उस समय सरकार ने आश्वासन दिया तो आंदोलन समाप्त कर दिया गया था. लेकिन किसानों को अब तक उनका हक नहीं मिला और जेडीए उनकी मांगें पूरी करने के वादे से मुकर गया.

किसानों का आरोप है कि जेडीए प्रशासन ने नींदड़ आवासीय योजना का काम तो शुरू कर दिया. लेकिन इसके लिए किसानों से किसी तरह की बातचीत नहीं की. आपको याद दिला दें कि साल 2017 में किसान 44 दिन तक जमीन समाधि सत्याग्रह पर बैठे रहे और दिवाली के दीपक भी समाधि स्थल पर ही जलाए गए थे.

आंदोलन कर रहे नगेन्द्र शेखावत ने कहा की दिन में जब आंदोलन शुरू हुआ था तो JDA और पुलिस के अधिकारी मौके पर आए थे. लेकिन उसके बाद किसी ने सुध नहीं ली है. अब नींदड़ गांव के किसान अपनी जमीन बचाने के लिए अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं.

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