हैदराबाद : देश में 26 जुलाई को कारगिल दिवस मनाया जाएगा. 1999 में इसी दिन भारतीय सेना के आगे पाकिस्तानी सेना ने आत्मसमर्पण कर दिया था. इसके बाद से ही इस दिन को कारगिल विजय दिवस के रूप के मनाया जाने लगा. इस युद्ध के बाद ही भारत सरकार और सेना ने कारगिल में युद्धस्तर की सभी तैयारियां शुरू कर दीं और मौजूदा समय में वहां की यह स्थिति है कि पाक सेना वहां से घुसपैठ करने के लिए पूरी ताकत लगा दे तो भी नाकाम रहेंगी. भारतीय सेना समयानुसार वहां पर अपने दुश्मनों को देखते हुए युद्धनीति और रणनीति में बदलाव कर रही है.
वर्तमान समय में करगिल स्थित सीमा नियंत्रण रेखा पर भारतीय सेना की तीन बटालियन रखवाली करती हैं, लेकिन कारगिल युद्ध के दौरान वहां पर सीमा पर सिर्फ एक बटालियन नियंत्रण रेखा पर तैनात थी.
भारतीय सेना ने एलओसी के मुश्को-द्रास-काकसर-यलदोर अक्ष पर एक डिवीजन के लगभग 10,000 सैनिकों को तैनात किया है. वहीं 1996 में इस जगह पर 3,000 सैनिक तैनात थे. स्ट्राइकिंग क्षमता भी दोगुनी होकर 2,000 पुरुषों की हो गई है.
सड़कों के माध्यम से सुलभ सेक्टर में सभी बटालियन मुख्यालयों को एक साथ जोड़ दिया गया है. साथ ही सर्दियों के महीनों के दौरान भी 15,000 फीट से अधिक ऊचांई पर सैनिकों का ध्यान रखा जाता है.
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वर्तमान में पाकिस्तानी सैनिकों घुसपैठ के लिए उपयोग किए जा रहे मार्गों की भी पहचान कर ली गई है. घुसपैठियों पर जवाबी कार्रवाई के लिए ग्रिड बनाए गए हैं. यह ग्रिड दर्रों समेत सभी घुसपैठ मार्गों पर निगरानी रखते हैं.
अब सेना की तैनाती की क्षमता तीन गुना से अधिक है. दर्रों और घाटियों के आस-पास में हुई सेना तैनाती अंतराल से खामियां खत्म हो गई.