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बाबरी मस्जिद केस: SC का विशेष न्यायाधीश को नौ महीनों में फैसला सुनाने का निर्देश - बाबरी मस्जिद मुरली मनोहर जोशी

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार और इलाहाबाद हाईकोर्ट को अयोध्या में बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराए जाने के मामले में आरोपी वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और अन्य के खिलाफ नौ महीने के अंदर फैसला लेने का निर्देश दिया है. पढ़ें क्या है पूरा मामला....

सुप्रीम कोर्ट

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Published : Jul 19, 2019, 2:25 PM IST

नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने निर्देश दिया कि भाजपा के वरिष्ठ नेताओं लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और अन्य के खिलाफ बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में नौ महीने में फैसला ले लिया जाना चाहिए. उत्तर प्रदेश सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि ट्रायल कोर्ट के जज का कार्यकाल 30 सितंबर को निर्धारित उसकी सेवानिवृत्ति के मद्देनजर बढ़ाया जाएगा.

इस तरह से ट्रायल सेवानिवृत्ति की तारीख से कम से कम छह महीने अधिक समय तक चलेगा.

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि वह चाहता है कि विशेष न्यायाधीश इस दिशा में अपना काम जारी रखें, भले ही ट्रायल में दो साल और लग जाएं.

शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के साथ परामर्श करने और विशेष न्यायाधीश के कार्यकाल का विस्तार करने के निर्देश दिए.

पढ़ें-अयोध्या विवाद पर SC का फैसला : 2 अगस्त को कोर्ट में होगी सुनवाई

इसके अलावा अदालत ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को चार सप्ताह के अंदर अपने आदेश के अनुपालन के संबंध में एक हलफनामा दायर करने को कहा है.

इस बात पर खास जोर दिया गया है कि मुकदमे को छह महीने में पूरा कर इसके आधार पर अगले तीन महीनों में फैसला सुनाया जाना चाहिए.

अयोध्या में स्थित 16वीं सदी की बाबरी मस्जिद में छह दिसंबर, 1992 को बेकाबू व उत्तेजित हिंदूओं की भीड़ ने तोड़फोड़ की. जब यह हुआ, तब आडवाणी, जोशी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अन्य नेता मौके पर मौजूद थे.

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