नई दिल्ली : पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के हालिया बयान पर पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव के पोते ने प्रतिक्रिया दी है.
पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव के पोते और भाजपा नेता एनवी सुबाष ने कहा एक परिवार के सदस्य के रूप में, मैं डॉ मनमोहन सिंह के इस बयान से दुखी हूं, यह अस्वीकार्य है.
उन्होंने सवाल किया कि क्या कोई भी गृह मंत्री बिना कैबिनेट की स्वीकृति कोई निर्णय ले सकता है? अगर सेना को बुला ली गई होती, तो अनर्थ हो जाता.
इस पर भाजपा सांसद विजय बघेल ने कहा कि अगर इतने साल बाद पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इस बात को छेड़ रहे हैं तो यह गलत है. उस समय क्या परिस्थिति थी, क्या माहौल था, उसपर टिप्पड़ी करना गलत है. क्योंकि दोनो (पीवी नरसिम्हा राव और इंद्र कुमार गुजराल) ही राजनेता स्वर्गीय हैं.
इस प्रकरण पर पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का समर्थन करते हुए वरिष्ठ वकील और 1984 पीड़ितों के वकील, एचएस फूलका ने कहा कि सिंह बिल्कुल सही हैं. 1985 में गठित मिश्रा कमिशन ने कहा है कि अगर सेना को तैनात कर दिया जाता तो नसंहार से बचा जा सकता था.
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उन्होंने आगे कहा कि डॉ. सिंह के बयान से कोर्ट में चल रहे केस पर कोई असर नहीं पड़ेगा. लेकिन इससे यह तथ्य और मजबूत होगा कि सरकार ने समय पर कार्रवाई नहीं की और यह राज्य प्रायोजित नरसंहार था.
वहीं इस संबंध में पूर्व वित्त राज्य मंत्री और भाजपा सांसद शिव प्रताप शुक्ला ने कहा है कि 1984 में जो सिखों का कत्लेआम हुआ था वह कहीं ना कहीं कांग्रेस का प्रायोजित दंगा था.
उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कहा था कि जब बड़ा पेड़ गिरता है तो उसके नीचे कई चीजें आ जाती है, यह बयान अपने आप में स्पष्ट करता है कि उस वक्त इस बात से कांग्रेस का क्या मतलब था.