चंडीगढ़ :21वीं सदी आधुनिक क्रांति का युग है. पिछले एक दशक से हर क्षेत्र में तेजी से विकास हो रहा है. इस डेवलेपमेंट के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले ऊर्जा के वैकल्पिक स्त्रोतों की खोज की जा रही है, ताकि कम खर्चे में ज्यादा उपयोगिता हासिल की जा सके और पर्यावरण को भी बचाया जा सके.
ऐसे में सोलर एनर्जी सबसे बेहतर और सस्ता विकल्प बनकर सामने आया है. इसी सोलर एनर्जी के इस्तेमाल कर हरियाणा के सरकारी विश्वविद्यालय ने मिसाल पेश की है. रोहतक का महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी (एमडीयू) ना सिर्फ सोलर एनर्जी का इस्तेमाल कर अपने खर्चों को कम रहा है, बल्कि बिजली बेच कर कमाई भी कर रहा है.
एमडीयू प्रशासन ने जैक्जन नाम की कंपनी के साथ करार करके कैंपस में 500 किलोवॉट्स के दो बड़े प्लांट लगाए गए हैं. जिसमे 3302 सोलर पैनल्स को इंस्टॉल किया गया है. ये प्लांट एक मेगावाट बिजली उत्पन्न करता है.
छुट्टी वाले दिन MDU पावर हाउस को बेचता है बिजली
एक मेगावाट इतनी उर्जा है, जिससे विश्वविद्यालय की हर रोज हजारों यूनिट्स बिजली के खर्चे को बचाया जाने लगा है. वहीं छुट्टी वाले दिन जब बिजली इस्तेमाल नहीं होती तब विश्वविद्याल रोहतक पावर हाउस को अपने प्लांट की बनाई बिजली बेच देता है.
कैसे बिजली बेचता है MDU?
एमडीयू में बिजली विभाग से बिजली का कनेक्शन लिया गया है. इसके साथ ही सोलर प्लांट भी बिजली उतपन कर रहा है. अब होता ये है कि बिजली विभाग से आई बिजली से एमडीयू में 10000 यूनिट खपत हुई और सोलर प्लांट ने 12,000 यूनिट बिजली उत्पन्न की, तो बची हुई दो हजार यूनिट बिजली जो सोलर प्लांट ने बनाई थी वो बिजली विभाग की तारों से बिजली विभाग को सप्लाई हो जाती है. जिसका एमडीयू को पैसा मिलता है.