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हरियाणा का वो सरकारी विश्वविद्यालय जो सौर ऊर्जा से बिजली बनाकर बेचता है

एमडीयू प्रशासन ने खाली छतों पर एक मेगावाट का सोलर पैनल लगाया है. इससे विश्वविद्यालय का ना सिर्फ अपने लिए बिजली का इस्तेमाल करता है, वहीं छुट्टी के दिन पावर हाउस के बिजली बेचता है.

सौर ऊर्जा से बिजली
सौर ऊर्जा से बिजली

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Published : Feb 9, 2021, 12:42 PM IST

चंडीगढ़ :21वीं सदी आधुनिक क्रांति का युग है. पिछले एक दशक से हर क्षेत्र में तेजी से विकास हो रहा है. इस डेवलेपमेंट के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले ऊर्जा के वैकल्पिक स्त्रोतों की खोज की जा रही है, ताकि कम खर्चे में ज्यादा उपयोगिता हासिल की जा सके और पर्यावरण को भी बचाया जा सके.

ऐसे में सोलर एनर्जी सबसे बेहतर और सस्ता विकल्प बनकर सामने आया है. इसी सोलर एनर्जी के इस्तेमाल कर हरियाणा के सरकारी विश्वविद्यालय ने मिसाल पेश की है. रोहतक का महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी (एमडीयू) ना सिर्फ सोलर एनर्जी का इस्तेमाल कर अपने खर्चों को कम रहा है, बल्कि बिजली बेच कर कमाई भी कर रहा है.

सौर ऊर्जा से बिजली

एमडीयू प्रशासन ने जैक्जन नाम की कंपनी के साथ करार करके कैंपस में 500 किलोवॉट्स के दो बड़े प्लांट लगाए गए हैं. जिसमे 3302 सोलर पैनल्स को इंस्टॉल किया गया है. ये प्लांट एक मेगावाट बिजली उत्पन्न करता है.

छुट्टी वाले दिन MDU पावर हाउस को बेचता है बिजली

एक मेगावाट इतनी उर्जा है, जिससे विश्वविद्यालय की हर रोज हजारों यूनिट्स बिजली के खर्चे को बचाया जाने लगा है. वहीं छुट्टी वाले दिन जब बिजली इस्तेमाल नहीं होती तब विश्वविद्याल रोहतक पावर हाउस को अपने प्लांट की बनाई बिजली बेच देता है.

कैसे बिजली बेचता है MDU?

एमडीयू में बिजली विभाग से बिजली का कनेक्शन लिया गया है. इसके साथ ही सोलर प्लांट भी बिजली उतपन कर रहा है. अब होता ये है कि बिजली विभाग से आई बिजली से एमडीयू में 10000 यूनिट खपत हुई और सोलर प्लांट ने 12,000 यूनिट बिजली उत्पन्न की, तो बची हुई दो हजार यूनिट बिजली जो सोलर प्लांट ने बनाई थी वो बिजली विभाग की तारों से बिजली विभाग को सप्लाई हो जाती है. जिसका एमडीयू को पैसा मिलता है.

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एक मेगावाट का सोलर प्लांट लगाने की योजना- रजिस्ट्रार

महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार गुलशन लाल तनेजा बताते हैं कि एमडीयू अभी एक मेगवाट्स का सोलर प्लांट लगवा चुका है. भविष्य में एक और एक मेगवाट्स सोलर प्लांट लगवाने की योजना बना रहा है, ताकि विश्वविद्यालय को पावर डिपार्टमेंट से बिजली खरीदने की जरूरत ही ना पड़े.

खर्चे बचेंगे तो कैंपस का डेवलेपमेंट होगा- छात्र

वहीं दूसरी ओर एमडीयू के स्टूडेंट भी विश्वविद्यालय के इस फैसले को सही बता रहे हैं. उनका कहना है कि सोलर पैनल लगाने से खर्चा बचेगा और कमाई होगी तो विश्वविद्यालय का ज्यादा विकास हो सकेगा, जो कि विद्यार्थियों की लिए सुविधाजनक है.

देश की सबसे साफ-सुथरी यूनिवर्सिटी का मिल चुका है दर्जा

साल 2018 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने हरियाणा के महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी (एमडीयू) को देश का सबसे स्वच्छ सरकारी यूनिवर्सिटी घोषित किया है. हरियाली की वजह से एमडीयू को ऑक्सीजन जोन कहा जाता है. जब शहर में प्रदूषण का आंकड़ा 150 एमजी को पार कर जाता है. तब भी यहां पर पीएम 2.5 की मात्रा 80 से नीचे होती है.

महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी की खास बातें:

  • एमडीयू का क्षेत्रफल : 697 एकड़
  • ग्रीन एनर्जी : एक मेगावाट सोलर प्लांट ग्रिड कनेक्टेड
  • रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम
  • मानव संसाधन : 250 सफाई कर्मचारी
  • बागवानी कर्मी - 70
  • पब्लिक हेल्थ व इलेक्ट्रिक कर्मी - 60
  • 3 इको फ्रेंडली व्हीकल - 14 सीटर
  • वाटर ट्रीटमेंट प्लांट - 0.5 मिलियन गैलन प्रतिदिन
  • भविष्य की योजना : सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट चालू करवाना

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