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दीपावली के बाद शिवराज चौहान बनेंगे एमपी के मुख्यमंत्री : गोपाल भार्गव - गोपाल भार्गव ने साधा कमलनाथ पर निशाना

मध्य प्रदेश के झाबुआ उपचुनाव में बीजेपी प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार करने पहुंचे नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कमलनाथ सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि दीपावली से पहले कमलनाथ सरकार गिर जाएगी और शिवराज सिंह चौहान फिर प्रदेश के मुख्यमंत्री की शपथ लेंगे.

गोपाल भार्गव.

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Published : Oct 15, 2019, 8:33 PM IST

झाबुआ : मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने भी झाबुआ उपचुनाव में बीजेपी प्रत्याशी के समर्थन में मैदान संभाला. लंबे समय बाद भार्गव ने कमलनाथ सरकार गिराये जाने की बात दोहराई. उन्होंने कहा कि दीपावली के बाद शिवराज सिंह चौहान फिर से मुख्यमंत्री की शपथ लेंगे और मध्यप्रदेश में बीजेपी की सरकार बनेगी.

नेता प्रतिपक्ष ने झाबुआ उपचुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी भानू भूरिया के समर्थन में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि भानू भूरिया के जीतते ही एक बार फिर से प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनेगी.

झाबुआ उपचुनाव में बीजेपी प्रत्याशी के समर्थन में जनसभा को संबोधित करते नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव.

भार्गव ने पंचायत मंत्री कमलेश्वर पटेल के बयान पर पलटवार करते हुए कहा, 'मेरा बेटा, मेरा ही है और ओरिजनल बेटा है, लेकिन कांग्रेस यह बताए कि उसने अब तक कौन सा चुनाव लड़ा है.' उन्होंने कहा, 'कमलेश्वर पटेल के पिताजी मंत्री थी, अब वे आ गये. राजनिति दो प्रकार से की जाती है, एक समाजसेवा और दूसरी पद की लालसा, लेकिन मैं और मेरा बेटा केवल समाजसेवी के तौर पर राजनीति करते हैं.'

मीडिया से बात करते गोपाल भार्गव.

प्रदेश की जनता की इच्छा है कि कमलनाथ सरकार अब जाए
गोपाल भार्गव ने कहा, 'प्रदेश की जनता अब महसूस करने लगी है कि कमलनाथ सरकार को जाना चाहिए तो फिर हम सरकार को विदा करने का वादा करते हैं. कुशासन किसी भी सरकार के राज में होता है तो वह ठीक नहीं है. अगर ऐसा हमारी सरकार में हुआ तो जनता हमें भी माफ नहीं करेगी. उन्होंने कहा कि, जो सरकार दूसरों के भरोसे चल रही है, वह कब तक टिकी रहेगी.'

झाबुआ में दर्ज एफआईआर पर भी बोले नेता प्रतिपक्ष
भार्गव ने कहा कि उनके ऊपर, जो एफआईआर दर्ज की गई थी, उस पर वह चुनाव आयोग को भी जवाब दे चुके हैं. उन्होंने कहा कि चुनावी सभा में गीता या भागवत तो नहीं कर सकते, जाहिर है कि मुद्दों की बात करनी पड़ेगी, आरोप लगाना पड़ेगा, विचारधारा की बात करनी पड़ेगी. यह सब करते वक्त किसी की आजादी नहीं छीनी जा सकती.

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