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चीन बन रहा मसूद अजहर का रक्षा कवच, पूर्व विदेश सचिव ने सुझाया यह विकल्प

आतंकी मसूद अजहर एक बार फिर वैश्विक आतंकी घोषित होने से बच गया, क्योंकि चीन ने वीटो का इस्तेमाल कर दिया. जानें आखिर ऐसा करने से चीन को क्या फायदा होगा ?

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Published : Mar 16, 2019, 5:34 PM IST

पूर्व विदेश सचिव शशांक.

नई दिल्ली : चीन ने मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित किए जाने के संबंध में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध समिति में पेश प्रस्ताव को अपने वीटो पॉवर के माध्यम से चौथी बार बाधित कर दिया था. इस प्रस्ताव को अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन ने पेश किया था. इस पर देश के पूर्व विदेश सचिव ने अपनी राय दी है.

बता दें कि चीन 2009, 2016 और 2017 में भी मसूद को बचाने के लिए वीटो का इस्तेमाल कर चुका है. पुलवामा हमले के बाद अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन ने अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने के लिए सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव पेश किया था. चीन को छोड़कर सभी सदस्यों ने इसका समर्थन किया था. चीन के इस रवैये से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी बहुत निंदा हो रही है.

पूर्व विदेश सचिव शशांक से खास बातचीत.

विश्व महाशक्तियों के साथ मिलकर काम करने की जरूरत
इस विषय पर देश के पूर्व विदेश सचिव शशांक ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि किसी भी अनुकूल परिणाम की उम्मीद करने से पहले भारत को चीन सहित विश्व महाशक्तियों के साथ मिलकर काम करने की जरूरत है.

अपने हितों को साधने की कोशिश
उन्होंने यह दावा करते हुए कि पाकिस्तान के साथ चीन का हित जुड़ा हुआ है. चीन भारत के साथ किसी भी प्रकार के विवाद में नहीं है, लेकिन चीन ऐसा कर के अपने हितों को साधने की कोशिश में है.

पाकिस्तान करेगा चीन की मदद
उन्होंने कहा कि चीन पहले ही एक नीतिगत निर्णय ले चुका है. वह यह है कि 2050 तक उसे दुनिया में नंबर वन सैन्य, आर्थिक और अंतरिक्ष शक्ति बनना है. इसके लिए पाकिस्तान ने उसे अपनी मदद और अपने क्षेत्रफल तक देने की बात कही है.

चीन की महत्वाकांक्षी 'वन बेल्ट वन रोड' पहल के लिए भारत के निरंतर विरोध को याद करते हुए, भारत के पूर्व राजनयिक ने कहा कि चीन भारत में दिलचस्पी रखता है क्योंकि यह उनके लिए एक बड़ा बाजार है. लेकिन उन्हें लगता है कि भारत चीन के साथ एक पेज पर नहीं है.

जब भारत के अगले कदम के बारे में पूछा गया, तो पूर्व विदेश सचिव ने दावा किया कि भारत को चीन सहित विश्व महाशक्तियों के साथ मेल-जोल बढ़ाने की आवश्यकता है. उन्होंने यहां तक ​​दावा किया कि भारत को सभी दिशाओं में काम करने की जरूरत है, जो सभी के लिए पारस्परिक रूप से समर्थित हो.

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