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'फाइव आइज' ने हांगकांग को लेकर चीन की नीति पर जताई चिंता

दुनिया के सबसे व्यापक जासूसी नेटवर्क वाले देश, जिन्हें फाइव आइज कहा जाता है. उन्होंने चीन को लेकर एक संयुक्त बयान जारी किया है. बयान में इस बात पर जोर दिया है कि खुफिया नेटवर्क की निकट भविष्य में कहीं अधिक बढ़ी भूमिका हो सकती है. पढ़िए वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट.

फाइव आइज
फाइव आइज

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Published : Nov 19, 2020, 5:38 PM IST

नई दिल्ली :वह समय गया जब 'फाइव आइज' को फुसफुसा माना जाता था. अब इस बात के संभावित संकेत मिल रहे हैं कि आने वाले समय में फाइव आइज गठबंधन का उपयोग तेजी से वैश्विक रणनीति और नीति पर निश्चित रुख अपनाने के लिए किया जा सकता है.

बुधवार (18 नवंबर) को दुनिया के सबसे पुराने खुफिया साझाकरण जासूस नेटवर्क बनाने वाले देश एक साथ सामने आए और हांगकांग को लेकर चीन की नीति के खिलाफ आवाज बुलंद की. इस दौरान सभी देशों ने एक संयुक्त बयान जारी किया.

इस बयान में कहा गया है कि हम आस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैंड, यूके और अमेरिका के विदेश मंत्री चीन द्वारा हांगकांग पर लागू किए गए नए नियमों से चिंतित हैं, जिनको हांगकांग की विधायिका द्वारा खारिज कर दिया गया है.

उन्होंने कहा कि हम चीन के केंद्रीय अधिकारियों से हांगकांग की निर्वाचित विधायिका के खिलाफ अपने नियम पर दोबारा विचार करने एवं विधान परिषद के सदस्यों को तुरंत बहाल करने का आग्रह करते हैं.

इसके अलावा बयान में कहा गया है कि हम संयुक्त घोषणापत्र एवं मूलभूत कानून को ध्यान में रखते हुये चीन से जन प्रतिनिधि चुनने के हांगकांग के लोगों के अधिकारों को कम करने की कवायद बंद करने की अपील करते हैं. हांगकांग की स्थिरता एवं समृद्धि की खातिर, यह आवश्यक है कि चीन और हांगकांग के अधिकारी वहां के लोगों की जायज चिंताओं और विचारों को अभिव्यक्त करने वाले माध्यमों का सम्मान करें.

इसमें कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के एक प्रमुख सदस्य के रूप में, हम चीन से उम्मीद करते हैं कि वह अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं और हांगकांग के लोगों के प्रति अपने कर्तव्य की दिशा में काम करेगा.

11 अक्टूबर के बाद यह दूसरा मौका है, जब फाइव आइज ने संयुक्त बयान जारी किया हो, इससे पहले फाइव आइज ने एक संयुक्त बयान जारी करके विशाल प्रौद्योगिकी कंपनियों को समाधान प्रदान करने के लिए कहा, ताकि वॉट्सएप, सिग्नल, टेलीग्राम, फेसबुक मैसेंजर आदि सहित एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड संचारों को एक्सेस किया जा सके.

गौरतलब है कि भारत और जापान भी 11 अक्टूबर के बयान के हस्ताक्षरकर्ता थे. दिलचस्प बात यह है कि भारत और जापान को शामिल करने के लिए फाइव आइज नेटवर्क का विस्तार किया जा सकता है.

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बता दें कि फाइव आइज को 1941 में स्थापित किया गया था. यह पांच सरकारों का एक विशिष्ट, बहुत व्यापक और गुप्त क्लब है -यह ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैंड, यूके और यूएस- के राजनयिक द्वारा उपयोग किया जाता है. इसका कार्य अन्य देशों के खुफिया सूचना, सुरक्षा, सैन्य और आर्थिक लाभ में सहयोग करना है.

90 के दशक तक, जासूस गठबंधन के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी. ट्विन टावर्स और पेंटागन पर 9/11 के हमलों के बाद 'वैश्विक वॉर ऑन टेरर' के तहत फाइव आइज की भूमिका को बढ़ाया गया.

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