शिमला :देश में मेडिकल एजुकेशन को रेगुलेट करने के लिए नए सिरे से गठित नेशनल मेडिकल कमीशन में देवभूमि हिमाचल के डॉक्टर्स का डंका बजा है. शुक्रवार से मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया यानी एमसीआई की जगह नेशनल मेडिकल कमीशन ने ले ली है.
पिछले साल ही संसद के दोनों सदनों से नेशनल मेडिकल कमीशन बिल पास हुआ था. देश में मेडिकल एजुकेशन और चिकित्सा से संबंधित सभी नीतियां नेशनल मेडिकल कमीशन यानी एनएमसी तैयार करेगा. इस कमीशन में हिमाचल से संबंध रखने वाले डॉक्टर्स का खासा प्रतिनिधित्व है.
एनएमसी का काम और ढांचा
एनएमसी को देश में मेडिकल शिक्षा और व्यवसाय को नियामक के तौर पर अस्तित्व में लाया गया है. यह काम अब तक भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) करता था. केंद्र सरकार ने 64 साल पुराने एमसीआई (1956) के संचालक बोर्ड को भंग कर इसके अस्तित्व को खत्म कर दिया है. राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग में एक अध्यक्ष, दस पदेन सदस्य और 22 अंशकालिक सदस्य होंगे.
एनएमसी के तहत स्नातक चिकित्सा शिक्षा, स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा, चिकित्सा मूल्यांकन के अलावा रेटिंग, नैतिकता और चिकित्सा पंजीकरण को नियंत्रित करने के लिए चार स्वायत्त बोर्ड होंगे.
कौन है एनएमसी का अध्यक्ष ?
दिल्ली एम्स के ईएनटी विभाग के पूर्व प्रमुख डॉ. सुरेश चंद्र शर्मा को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है. एनएचसी के अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल या फिर 70 वर्ष की आयु तक होगा. डॉ. सुरेश चंद्र को तीन साल के लिए आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है.
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एनएमसी के सदस्यों में हिमाचल के डॉक्टर
कमीशन में हिमाचल के प्रोफेसर डॉ. सुरेंद्र कश्यप, प्रोफेसर डॉ. राजबहादुर, प्रोफेसर डॉ.जगत राम और प्रोफेसर डॉ. रणदीप गुलेरिया सहित डेंटल चिकित्सा में विख्यात नाम डॉ. महेश वर्मा अलग-अलग रूप से शामिल किए गए हैं. यही नहीं, नीती आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) प्रोफेसर डॉ. विनोद पॉल, जिन्होंने कमीशन के सदस्यों का ऐलान किया है, वे भी हिमाचल के ही रहने वाले हैं. डॉ. विनोद पॉल जिला कांगड़ा से संबंध रखते हैं.
प्रोफेसर डॉ. सुरेंद्र कश्यप
डॉ. सुरेंद्र कश्यप शिमला जिले के छोटे से गांव भलावग के रहने वाले हैं. डॉ. जगतराम सिरमौर जिला और डॉ. राजबहादुर ऊना जिला के हैं. नेशनल मेडिकल कमीशन में इन्हें सदस्यों के तौर पर शामिल किया गया है. इन सभी का मेडिकल फील्ड में उल्लेखनीय योगदान है. चिकित्सा शिक्षा संबंधी नीतियां बनाने में इनके अनुभव का बहुत योगदान रहेगा.
डॉ. महेश वर्मा
इसके अलावा डेंटल चिकित्सा में देश में एक बड़ा नाम डॉ. महेश वर्मा भी नेशनल मेडिकल कमीशन में सदस्य के तौर पर शामिल किए गए हैं. डॉ. महेश वर्मा विश्वविख्यात डेंटल चिकित्सक हैं. बीसी रॉय सम्मान से अलंकृत डॉ. महेश वर्मा हिमाचल के बिलासपुर जिले के रहने वाले हैं, हालांकि उन्होंने डेंटल चिकित्सा की पढ़ाई त्रिवेंद्रम से की है.
प्रोफेसर डॉ. सुरेंद्र कश्यप
प्रोफेसर डॉ. सुरेंद्र कश्यप हिमाचल के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान आईजीएमसी अस्पताल के प्रिंसिपल रहे डॉ. सुरेंद्र कश्यप पल्मोनरी मेडिसिन के विशेषज्ञ हैं. वे इस समय अटल मेडिकल यूनिवर्सिटी नेरचौक मंडी के वाइस चांसलर हैं.
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डॉ. कश्यप
इससे पहले वे करनाल हरियाणा के कल्पना चावला मेडिकल संस्थान के निदेशक थे. डॉ. कश्यप का मेडिसिन, पल्मोनरी मेडिसिन और स्वास्थ्य प्रबंधन में चार दशक के करीब का अनुभव है. देश-विदेश में वे कई महत्वपूर्ण सेमीनार्स में हिस्सा ले चुके हैं.
प्रोफेसर डॉ. जगतराम
प्रोफेसर डॉ. जगतराम देश के प्रतिष्ठित पीजीआई मेडिकल साइंस एंड रिसर्च चंडीगढ़ के निदेशक डॉ. जगतराम किसी परिचय का मोहताज नहीं हैं. पदम सम्मान से अलंकृत डॉ. जगतराम विश्वविख्यात नेत्र चिकित्सक हैं. वे सिरमौर जिला के रहने वाले हैं. संघर्ष से सफलता की मिसाल डॉ. जगतराम विश्व के कई प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजे गए हैं. डॉ. जगतराम इंटरनेशनल ऑप्थेमोलॉजी अकादमी के सदस्य हैं. मेडिकल साइंस में देश और विदेश के 24 बड़े अवार्ड डॉ. जगतराम के खाते में दर्ज हैं. वे पीजीआईएमआर चंडीगढ़ के एडवांस्ड आई सेंटर के हैड रहे हैं.
प्रोफेसर डॉ. राज बहादुर
प्रोफेसर डॉ. राज बहादुर पंजाब की बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हैल्थ साइंस के वाइस चांसलर हिमाचल के रहने वाले डॉ. राजबहादुर हैं. डॉ. राजबहादुर विश्वविख्यात आर्थोपेडिक सर्जन हैं. उनके पास यूके, यूएसए, स्विटजरलैंड सहित अन्य देशों की फैलोशिप है. चार दशक के रिसर्च अनुभव से सज्जित डॉ. राजबहादुर पूर्व में गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज अस्पताल चंडीगढ़ के भी प्रमुख रहे हैं. अब वे नेशनल मेडिकल कमीशन में भी सदस्य के तौर पर अहम योगदान देंगे.
राज बहादुर (दाएं), रणदीप गुलेरिया(बाएं) डॉ. रणदीप गुलेरिया
डॉ. रणदीप गुलेरिया देश के इस प्रतिष्ठित स्वास्थ्य संस्थान के प्रमुख हिमाचल के डॉक्टर रणदीप गुलेरिया के अनुभव का लाभ नेशनल मेडिकल कमीशन के जरिए भी मिलेगा. डॉ. गुलेरिया पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी के निजी चिकित्सक रहे हैं.
डॉ. विनोद पॉल
डॉ. विनोद पॉल नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) प्रोफेसर डॉ. विनोद पॉल हिमाचल के जिला कांगड़ा के रहने वाले हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इनकी प्रतिभा के कायल हैं. हेल्थ साइंस रिसर्च में देश के सबसे बड़े सम्मान डॉ. बीआर अंबेदकर सेंटेनरी अवार्ड हासिल कर चुके डॉ. विनोद पाल एम्स दिल्ली में पीडियाट्रिक्स डिपार्टमेंट के एचओडी रहे हैं.
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डॉ. पॉल
समय से पूर्व जन्म लेने वाले शिशुओं के लिए जीवनरक्षक दवाओं को विकसित करने के साथ-साथ उनके शोध ने बाल स्वास्थ्य में कई आयाम स्थापित किए हैं. डॉ. पॉल की सबसे बड़ी कामयाबी आज से दो दशक पहले बिना किसी बजट के नवजात शिशुओं की स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों पर शोध के लिए नेशनल न्यूनेटल पैरीनेटल डाटाबेस नेटवर्क तैयार किया था. उन्होंने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च को न्यूबोर्न बेबी हेल्थ को लेकर ब्लू प्रिंट तैयार करने में सहयोग दिया है. उनके शोध के कारण ही भारत में न्यू बोर्न बेबी केयर का नया अध्याय शुरू हुआ.
डॉ. रणदीप गुलेरिया
एम्स दिल्ली के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया पल्मोनरी मेडिसिन के विश्व प्रसिद्ध विशेषज्ञ हैं. पदमश्री और डॉ. बीसी रॉय सम्मान से नवाजे जा चुके डॉ. रणदीप गुलेरिया कई देशों में विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सम्मेलनों में शिरकत कर चुके हैं. यहां दिलचस्प बात ये है कि उनके पिता डॉ. जेएस गुलेरिया भी एम्स दिल्ली के डीन रहे हैं.
डॉ. पॉल
डॉ. विनोद पॉल को हेल्थ साइंस रिसर्च में देश का सबसे बड़े सम्मान डॉ. बीआर अंबेदकर सेंटेनरी अवार्ड मिल चुका है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की तरफ से दिया जाने वाला ये सम्मान देश का सर्वोच्च रिसर्च सम्मान है. डॉ. पॉल को वर्ष 2009 के लिए ये सम्मान मिला था. वर्ष 2009 के डॉ. बीआर अंबेदकर सेंटेनरी अवार्ड समारोह में बताया गया था कि डॉ. पॉल ने नवजात शिशुओं की स्वास्थ्य समस्याओं और बाल स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहद सराहनीय शोध कार्य किए हैं.