नई दिल्ली :चीन कीपीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के सैनिकों ने बीते दो सितंबर को अरुणाल प्रदेश के पांच युवाओं को अपने कब्जे में ले लिया था. पांचों युवा भारत-चीन सीमा के पास ऊंचाई वाले क्षेत्र से लापता हुए थे. चीनी कब्जे से मुक्त होने के बाद अरुणाचल के सुबनसिरी इलाके में रहने वाले इन पांच युवाओं को एक नई जिंदगी मिली है. इन लोगों को कभी न भूलने वाला अनुभव भी हासिल हुआ है.
इन युवकों को 12 सितंबर को किबिथु-दमाई सीमा पर भारतीय सेना के हवाले किया गया था. यह स्थान भारत-चीन-म्यांमार सीमा के त्रिकोणीय जंक्शन से 1,000 किमी दूर पूर्व दिशा में है.
पीएलए द्वारा इन युवकों को इतनी दूर सौंपने को लेकर सेना के सूत्रों ने ईटीवी भारत को बताया कि पीएलए द्वारा उन्हें इतनी दूर सौंपने का कारण यह है कि उन्हें जिस जगह से उठाया गया था वह दीमापुर-आधारित 3 कोर के तहत आती है और 3 कोर और पीएलए के बीच बातचीत के लिए निर्दिष्ट बिंदु किबिथु है.
दमाई चीनी पक्ष में एक पीएलए पोस्ट है, जबकि भारत की पोस्ट अंजु जिले के किबिथु में है. दोनों पोस्ट एक दूसरे से मुश्किल से 2.5 किमी दूर हैं. हालांकि इस दौरान, पांचों युवकों ने पृथ्वी पर सबसे खूबसूरत क्षेत्रों में से एक में गहरी घाटियों वाली पहाड़ी, नदियों और हरे भरे परिवेश में यात्रा की. इस इलाके को अक्सर चीन का 'स्विट्जरलैंड' कहा जाता है.
हालांकि इसमें कोई संदेह नहीं है कि युवाओं का जीवन भर यह अनुभव याद रहेगा. इनमें से किसी ने भी यह नहीं सोचा होगा कि उनका यह सफर इतना आनंददायक होगा.
फिलहाल कोविड 19 के चलते एहतियाती के तौर पर पांचों युवक 14 दिन की संगरोध के लिए किबिथू में हैं, सेना इन युवाओं की दुर्लभ साहसिक यात्रा के बारे में खामोश है, जो उन्हें चीनी हिरासत में ले गई थी.